अलवर. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के दिल्ली, भिवाड़ी सहित अन्य शहरों की तरह अलवर में भी स्मोग की समस्या तेजी से हर साल बढ़ रही है. लगातार प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है, तो वहीं तेजी से पेड़ काटे जा रहे हैं. ऐसे में प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है और पर्यावरण, प्रकृति के संतुलन के लिए पेड़ जरूरी है. यही कारण है कि लोगों में पौधारोपण को लेकर जागरूकता होना जरूरी है.
बच्चों को जन्म से ही पेड़ों के महत्व और पेड़ लगाने के बारे में बताया जाना चाहिए. वहीं हर साल वन विभाग की तरफ से लाखों नए पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन इनमें से 30 प्रतिशत पौधे हर साल खराब हो जाते हैं. वन विभाग के 5 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 5 साल से इसी तरह के हालात बने हुए हैं. वहीं बेहतर विकास और आधुनिकता के नाम पर भी अलवर में खुलेआम पेड़ काटे जा रहे हैं.
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वन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2014-15 में 3 लाख 24 हजार पेड़ वन विभाग ने लगाए थे. इनमें से 2 लाख 49 हजार 304 जीवित है. इसी तरह से 2015-16 में 4 लाख 60 हजार 727 पेड़ लगाए गए थे. इनमें से 3 लाख 61 हजार 582 पेड़ जीवित है.
वहीं साल 2016-17 में 3 लाख 77 हजार 526 पेड़ लगाए गए. इनमें से 2 लाख 98 हजार 521 जीवित है. तो वहीं साल 2017-18 में 5 लाख 1 हजार 40 पेड़ लगाए गए. इनमें से 3 लाख 97 हजार 154 पेड़ जीवित है. साल 2018-19 में 4 लाख 58 हजार 775 पेड़ लगाए गए. इनमें से 3 लाख 60 हजार 960 पेड़ अभी जीवित है.
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ऐसे में साफ है कि हर साल लाखों पेड़ समाप्त हो जाते हैं. दअरसल रखरखाव का अभाव होने के कारण हर साल पेड़ कम होते हैं, वहीं आंकड़े पूरे करने के लिए वन विभाग के अधिकारी पेड़ तो लगा देते हैं, लेकिन उनकी देखभाल नहीं कर पाते है. ऐसे में जिले में लगातार पेड़ों की संख्या कम हो रही है. यही हालात रहे तो आने वाले समय में पेड़ नहीं बचेंगे और पेड़ नहीं रहे तो पर्यावरण और जीवन नहीं बचेगा. ऐसे में सभी को जागरूक होकर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की आवश्यकता है.