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अलवर में डिप्थीरिया बन रहा है जानलेवा, अब तक चार बच्चों की हुई मौत

अलवर में कोरोना के बाद अब डिप्थीरिया ने बच्चों को अपनी जद में लेना शुरू कर दिया है. डिप्थीरिया के कारण जिले में अब तक 4 बच्चों की मौत भी हो चुकी है. जिसको देखते हुए जिला कलेक्टर ने जिले भर में हाई अलर्ट जारी किया था. और टीकाकरण से वंचित बच्चों का सर्वे करने के बाद टीकाकरण करने के निर्देश दिए थे, लेकिन टीकाकरण का कार्य अभी तक धरातल पर पूरी तरह नहीं हो सका है.

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Published : Sep 30, 2020, 6:17 PM IST

alwar news, राजस्थान न्यूज
अलवर में डिप्थीरिया के कारण हुई 4 बच्चों की मौत

अलवर. शहर में कोरोना के साथ डिप्थीरिया भी जानलेवा साबित हो रहा है. अलवर के किशनगढ़बास, रामगढ़, तिजारा, लक्ष्मणगढ़, राजगढ़ और मालाखेड़ा सहित भरतपुर के आस-पास क्षेत्र में 15 साल तक के 35 डिप्थीरिया के संक्रमित बच्चे चयनित किए गए हैं. इनमें से 4 की मौत भी हो चुकी है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की परेशानी बढ़ती हुई नजर आ रही है.

अलवर में डिप्थीरिया के कारण हुई 4 बच्चों की मौत

अलवर जिला सीमावर्ती जिला है. साल भर यहां मौसमी बीमारियों का प्रभाव रहता है. इस साल कोरोना ने पहले से ही हालात खराब कर रखी हैं. कोरोना का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है. इन सबके बीच अलवर में डिप्थीरिया भी जानलेवा बन रही है. डिप्थीरिया में मृत्यु दर ज्यादा रहती है. इसलिए जिला कलेक्टर ने बीते दिनों सभी गांव का सर्वे करते हुए शत प्रतिशत टीकाकरण करने के निर्देश दिए थे.

बता दें कि अलवर जिले में आस-पास क्षेत्र में ढाई साल से 15 साल तक के 35 डिप्थीरिया संक्रमित बच्चे चिन्हित किए गए. जिनमें चार की मौत हो चुकी है. किशनगढ़ बास के नाहरपुर गांव में अगस्त में डिप्थीरिया के संक्रमित बच्चे सामने आने के बाद जिला कलेक्टर ने जिले भर में हाई अलर्ट जारी करते हुए वंचित बच्चों का सर्वे के बाद टीकाकरण करने के निर्देश दिए थे, लेकिन टीकाकरण का कार्य अभी तक धरातल पर पूरी तरह नहीं हो सका है.

ऐसी स्थिति में डिप्थीरिया से संक्रमित बच्चे लगातार सामने आ रहे हैं. अब तक डिप्थीरिया के संदिग्ध और पॉजिटिव बच्चों में एक विशेष समुदाय के बच्चों की संख्या ज्यादा हैं. जिसका पूरी तरह टीकाकरण नहीं हुआ है. डीपीटी के टीके ही नहीं लग पाए हैं. एक से दूसरे में फैलने वाला रोग कोरोना से भी घातक है. इसी तरह से जुलाई माह में डिप्थीरिया के लक्षण वाली बालिका की मौत के बाद जिला प्रशासन चिकित्सा विभाग हरकत में आया. स्वास्थ्य विभाग के बीमार मिलने वाले बच्चों के सैम्पल जांच के लिए पीजीआई चंडीगढ़ भेजे गए थे. जहां डिप्थीरिया की पुष्टि हो चुकी है.

पढ़ें- अलवर में ग्राम विकास समिति की ओर से बैठक आयोजित...इन अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

अलवर जिले में अब तक किशनगढ़ बास के नाहरपुर गांव में 31 जुलाई को 12 वर्षीय बालिका की मौत हुई थी. तिजारा में 28 अगस्त को 8 साल के बालक ने डिप्थीरिया से दम तोड़ा था. किशनगढ़ बास के नाहरपुर में 7 साल की बालिका की जयपुर के जेके लोन अस्पताल में 2 सितंबर को मौत हुई थी. तो वहीं भरतपुर के पहाड़ी में 6 साल के बालक की 11 सितंबर को सामान्य अस्पताल में मौत हुई थी.

स्वास्थ्य विभाग में प्रशासन की तरफ से लगातार टीकाकरण के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन हालात में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है. जिला कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जरूरी निर्देश देते हुए सभी गांव का सर्वे करने के निर्देश दिए थे. जिला कलेक्टर ने कहा कि एक भी बच्चा टीकाकरण से बचा ना रहे इसका खासतौर पर ध्यान रखा जाए.

अलवर. शहर में कोरोना के साथ डिप्थीरिया भी जानलेवा साबित हो रहा है. अलवर के किशनगढ़बास, रामगढ़, तिजारा, लक्ष्मणगढ़, राजगढ़ और मालाखेड़ा सहित भरतपुर के आस-पास क्षेत्र में 15 साल तक के 35 डिप्थीरिया के संक्रमित बच्चे चयनित किए गए हैं. इनमें से 4 की मौत भी हो चुकी है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की परेशानी बढ़ती हुई नजर आ रही है.

अलवर में डिप्थीरिया के कारण हुई 4 बच्चों की मौत

अलवर जिला सीमावर्ती जिला है. साल भर यहां मौसमी बीमारियों का प्रभाव रहता है. इस साल कोरोना ने पहले से ही हालात खराब कर रखी हैं. कोरोना का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है. इन सबके बीच अलवर में डिप्थीरिया भी जानलेवा बन रही है. डिप्थीरिया में मृत्यु दर ज्यादा रहती है. इसलिए जिला कलेक्टर ने बीते दिनों सभी गांव का सर्वे करते हुए शत प्रतिशत टीकाकरण करने के निर्देश दिए थे.

बता दें कि अलवर जिले में आस-पास क्षेत्र में ढाई साल से 15 साल तक के 35 डिप्थीरिया संक्रमित बच्चे चिन्हित किए गए. जिनमें चार की मौत हो चुकी है. किशनगढ़ बास के नाहरपुर गांव में अगस्त में डिप्थीरिया के संक्रमित बच्चे सामने आने के बाद जिला कलेक्टर ने जिले भर में हाई अलर्ट जारी करते हुए वंचित बच्चों का सर्वे के बाद टीकाकरण करने के निर्देश दिए थे, लेकिन टीकाकरण का कार्य अभी तक धरातल पर पूरी तरह नहीं हो सका है.

ऐसी स्थिति में डिप्थीरिया से संक्रमित बच्चे लगातार सामने आ रहे हैं. अब तक डिप्थीरिया के संदिग्ध और पॉजिटिव बच्चों में एक विशेष समुदाय के बच्चों की संख्या ज्यादा हैं. जिसका पूरी तरह टीकाकरण नहीं हुआ है. डीपीटी के टीके ही नहीं लग पाए हैं. एक से दूसरे में फैलने वाला रोग कोरोना से भी घातक है. इसी तरह से जुलाई माह में डिप्थीरिया के लक्षण वाली बालिका की मौत के बाद जिला प्रशासन चिकित्सा विभाग हरकत में आया. स्वास्थ्य विभाग के बीमार मिलने वाले बच्चों के सैम्पल जांच के लिए पीजीआई चंडीगढ़ भेजे गए थे. जहां डिप्थीरिया की पुष्टि हो चुकी है.

पढ़ें- अलवर में ग्राम विकास समिति की ओर से बैठक आयोजित...इन अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

अलवर जिले में अब तक किशनगढ़ बास के नाहरपुर गांव में 31 जुलाई को 12 वर्षीय बालिका की मौत हुई थी. तिजारा में 28 अगस्त को 8 साल के बालक ने डिप्थीरिया से दम तोड़ा था. किशनगढ़ बास के नाहरपुर में 7 साल की बालिका की जयपुर के जेके लोन अस्पताल में 2 सितंबर को मौत हुई थी. तो वहीं भरतपुर के पहाड़ी में 6 साल के बालक की 11 सितंबर को सामान्य अस्पताल में मौत हुई थी.

स्वास्थ्य विभाग में प्रशासन की तरफ से लगातार टीकाकरण के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन हालात में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है. जिला कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जरूरी निर्देश देते हुए सभी गांव का सर्वे करने के निर्देश दिए थे. जिला कलेक्टर ने कहा कि एक भी बच्चा टीकाकरण से बचा ना रहे इसका खासतौर पर ध्यान रखा जाए.

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