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जेल में कैद भाइयों की कलाई रहेगी सूनी, कोरोना को लेकर बहनें नहीं बांध पाईं राखी - बहने नहीं बांध पाई राखी

पूरे देश में जहां रक्षाबंधन पर्व पर बहनों ने भाई की कलाई पर राखी बांधी, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय कारागार में कैद बंदियों की कलाई इस बार सूनी रही. कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जेल प्रशासन ने कैदियों को राखी बांधने आने वाली बहनों को इजाजत नहीं दी है.

जेल में कैद भाइयों की कलाई रहेगी सूनी, wrist of brothers in jail will remain dry
कोरोना को लेकर बहने नहीं बांध पाई राखी
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Published : Aug 3, 2020, 2:14 PM IST

अजमेर. जिले में एक ओर जहां रक्षाबंधन का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय कारागार में कैद बंदियों की कलाई इस बार सुनी रहेगी. कोरोना महामारी के चलते जेल इतिहास में पहली बार बहनों को भाइयों की कलाई पर राखी बांधने की इजाजत नहीं दी गई.

कोरोना को लेकर बहने नहीं बांध पाई राखी

केंद्रीय कारागार जेल में 1110 कैदी है. रक्षाबंधन के पर्व पर जेल परिसर में भावनाओं की सरिता बहा करती थी, लेकिन इस बार जेल में बंद कैदियों की कलाई सुनी ही रहेगी. जेल प्रशासन ने कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार जेल परिसर में कैदियों को राखी बांधने आने वाली बहनों को इजाजत नहीं दी है.

यही वजह है कि दूर-दूर से बहने भाइयों को राखी बांधने के लिए जेल पहुंची, लेकिन जेल के मुख्य द्वार से ही उन्हें रवाना कर दिया गया. भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांधने का दुख बहनों को था, लेकिन इस बात का सुकून भी था कि उनके भाई सुरक्षित हैं. हालांकि कुछ बहनों का यह भी कहना था कि उन्होंने पूर्व में यदि सूचना हो जाती तो वह यहां नहीं आते.

पढ़ेंः रक्षाबंधन पर मास्क और सैनिटाइजर का अटूट बंधन बनेगा कोरोना की ढाल

गरीब होने के बावजूद भाई के साथ त्यौहार मनाने के लिए वह बहुत दूर से पैसा खर्च कर अजमेर केंद्रीय कारागार जेल में आई थी, लेकिन यहां आकर उन्हें निराशा हाथ लगी. बता दें कि अजमेर केंद्रीय कारागार में कोरोना महामारी को लेकर विशेष एतीहात बरती जा रही है.

अजमेर. जिले में एक ओर जहां रक्षाबंधन का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय कारागार में कैद बंदियों की कलाई इस बार सुनी रहेगी. कोरोना महामारी के चलते जेल इतिहास में पहली बार बहनों को भाइयों की कलाई पर राखी बांधने की इजाजत नहीं दी गई.

कोरोना को लेकर बहने नहीं बांध पाई राखी

केंद्रीय कारागार जेल में 1110 कैदी है. रक्षाबंधन के पर्व पर जेल परिसर में भावनाओं की सरिता बहा करती थी, लेकिन इस बार जेल में बंद कैदियों की कलाई सुनी ही रहेगी. जेल प्रशासन ने कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार जेल परिसर में कैदियों को राखी बांधने आने वाली बहनों को इजाजत नहीं दी है.

यही वजह है कि दूर-दूर से बहने भाइयों को राखी बांधने के लिए जेल पहुंची, लेकिन जेल के मुख्य द्वार से ही उन्हें रवाना कर दिया गया. भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांधने का दुख बहनों को था, लेकिन इस बात का सुकून भी था कि उनके भाई सुरक्षित हैं. हालांकि कुछ बहनों का यह भी कहना था कि उन्होंने पूर्व में यदि सूचना हो जाती तो वह यहां नहीं आते.

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गरीब होने के बावजूद भाई के साथ त्यौहार मनाने के लिए वह बहुत दूर से पैसा खर्च कर अजमेर केंद्रीय कारागार जेल में आई थी, लेकिन यहां आकर उन्हें निराशा हाथ लगी. बता दें कि अजमेर केंद्रीय कारागार में कोरोना महामारी को लेकर विशेष एतीहात बरती जा रही है.

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