ETV Bharat / city

अजमेर का गांधी भवन सिर्फ 20 हजार में बनकर हुआ था तैयार...88 लोगों ने दिया था दान - गांधी भवन न्यूज

अजमेर में स्थित गांधी भवन जिले में महात्मा गांधी के स्मारक के रूप में प्रसिद्ध है. इसका निर्माण 88 दानदाताओं के सहयोग से किया गया था. जिसमें 5 रुपए से लेकर 3 हजार रुपए तक का दान किया.

Ajmer Gandhi Bhavan, अजमेर न्यूज
author img

By

Published : Oct 2, 2019, 11:13 PM IST

अजमेर. महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती को पूरा देश जयंती वर्ष मना रहा है. वहीं जिले में स्थित गांधी के स्मारकों में गांधी भवन प्रसिद्ध स्मारक है. ये अजमेर के मुख्य गांधी भवन चौराहा से प्रसिद्ध है. गांधी भवन 125 साल पहले ट्रैवर टाउन हॉल के नाम से बनवाया गया था.

पढ़ें- महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर जयपुर पुलिस ने चलाया सफाई अभियान

जानकारों के अनुसार 1895 ई. से 1900 ई. के बीच अजमेर मेरवाड़ा के चीफ कमिश्नर जीएच ट्रेवर की याद में गांधी भवन का निर्माण करवाया गया था. उस वक्त उसका नाम ट्रैवर टाउन हॉल रखा गया था. 1905 में पुरातत्वविद गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने विक्टोरिया हॉल पुस्तकालय नाम से पुस्तकालय की स्थापना की. वहीं आजादी के बाद इसका नाम गांधी भवन पुस्तकालय रखा गया.

प्रदेश के 88 दानदाताओं ने धन इकट्ठा करके गांधी भवन का निर्माण करवाया था. गांधी भवन निर्माण के वक्त 5 रुपए की भी बहुत कीमत थी. क्योंकि गांधी भवन के लिए चंदा देने वालों की सूची में 5 रुपए का चंदा देने वालों के भी नाम हैं. उस वक्त बीस हजार की रकम इकट्ठा करके गांधी भवन का निर्माण किया गया था.

88 दानदाताओं ने बनवाया था अजमेर का गांधी भवन

गांधी भवन के लिए सर्वाधिक 3 हजार रुपए दो महाराजाओं ने दिए. जिनमें उदयपुर के महाराणा और जोधपुर के तत्कालीन शासकों के नाम शामिल हैं. अलवर और बीकानेर के तत्कालीन शासकों ने भी 15-15 सौ रुपए का दान दिया था. साथ ही जैसलमेर के शासक ने 1 हजार और किशनगढ़ के शासक ने 5 सौ रुपए दिए थे. कुल 88 लोगों के सहयोग से इसका निर्माण हुआ था.

अजमेर. महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती को पूरा देश जयंती वर्ष मना रहा है. वहीं जिले में स्थित गांधी के स्मारकों में गांधी भवन प्रसिद्ध स्मारक है. ये अजमेर के मुख्य गांधी भवन चौराहा से प्रसिद्ध है. गांधी भवन 125 साल पहले ट्रैवर टाउन हॉल के नाम से बनवाया गया था.

पढ़ें- महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर जयपुर पुलिस ने चलाया सफाई अभियान

जानकारों के अनुसार 1895 ई. से 1900 ई. के बीच अजमेर मेरवाड़ा के चीफ कमिश्नर जीएच ट्रेवर की याद में गांधी भवन का निर्माण करवाया गया था. उस वक्त उसका नाम ट्रैवर टाउन हॉल रखा गया था. 1905 में पुरातत्वविद गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने विक्टोरिया हॉल पुस्तकालय नाम से पुस्तकालय की स्थापना की. वहीं आजादी के बाद इसका नाम गांधी भवन पुस्तकालय रखा गया.

प्रदेश के 88 दानदाताओं ने धन इकट्ठा करके गांधी भवन का निर्माण करवाया था. गांधी भवन निर्माण के वक्त 5 रुपए की भी बहुत कीमत थी. क्योंकि गांधी भवन के लिए चंदा देने वालों की सूची में 5 रुपए का चंदा देने वालों के भी नाम हैं. उस वक्त बीस हजार की रकम इकट्ठा करके गांधी भवन का निर्माण किया गया था.

88 दानदाताओं ने बनवाया था अजमेर का गांधी भवन

गांधी भवन के लिए सर्वाधिक 3 हजार रुपए दो महाराजाओं ने दिए. जिनमें उदयपुर के महाराणा और जोधपुर के तत्कालीन शासकों के नाम शामिल हैं. अलवर और बीकानेर के तत्कालीन शासकों ने भी 15-15 सौ रुपए का दान दिया था. साथ ही जैसलमेर के शासक ने 1 हजार और किशनगढ़ के शासक ने 5 सौ रुपए दिए थे. कुल 88 लोगों के सहयोग से इसका निर्माण हुआ था.

Intro:इस खबर को वॉइस ओवर करके लगाया जा सकता है क्योंकि गांधी भवन की ऐतिहासिक बिल्डिंग के कट शॉर्ट मेरे द्वारा भेजे गए हैं


अजमेर/ इतिहास के झरोखे से 125 साल का हो गया गांधी भवन, ऐतिहासिक इमारतों से सुसज्जित खड़ा गांधी भवन आज भी अजमेर की शानो शौकत से चमचम आता हुआ नजर आ रहा है जो अजमेर के मुख्य गांधी भवन चौराहा से प्रसिद्ध है

प्रदेश के 88 दानदाताओ ने 20 हजार खर्च करके बनवाया था गांधी भवन शहर के बीचोंबीच स्थित गांधी भवन लगभग 125 साल का हो चुका है गांधी भवन के निर्माण के वक्त 5 की भी कितनी अहमियत थी इसका अंदाजा उस सूची को देखकर लगाया जा सकता है जिसमें गांधी भवन के लिए चंदा देने वाले सेठ साहूकारों के नाम को दर्ज किया गया है


आपको यह जानकर आश्चर्य तो जरूर होगा कि प्रदेश भर के 88 दानदाताओं ने 20 हजार का चंदा जुटाकर गांधी भवन को बनवाया था चंदा देने वालों में कई राजा महाराजा तो कई सेठ साहूकार भी उस सूची में शामिल थे खास बात तो यह थी कि चंदा देने वालों की सूची में 5 रुपय का दान देने वालों का भी नाम लिखा हो गया है



गांधी भवन के लिए सबसे ज्यादा 3 हजार रुपय दो महाराजाओं ने दिए जिनमें उदयपुर के महाराणा और जोधपुर के तत्कालीन शासकों के नाम को शामिल किया गया है अलवर और बीकानेर के तत्कालीन शासकों ने भी 1500-1500 रुपए का अपना हिस्सा दिया था जहां जैसलमेर के शासक ने ₹1000 और किशनगढ़ के तत्कालीन शासक ने 500 दिए इसी तरह टोंक के नवाब ने 250 रुपय , सेठ लक्ष्मणदास रायबहादुर समीर मल लोढ़ा, मूलचंद सोनी, चांदमल, सोभागमल ढंढा और आबकारी कॉन्ट्रैक्टर नोराजी रस्तोमजी ने 551-551 रुपय दिए



दरगाह कमेटी ने 500 का योगदान दिया तो शारदा एक्ट बनाने वाले हरविलास शारदा ने 75 रुपय और अल्लाह रखा सेठ के पूर्वज जीवाजी मोहम्मद अली ने 5 रुपय का चंदा दिया था , जानकारों के अनुसार वर्ष 1895 से 1900 के बीच अजमेर मेरवाड़ा के चीफ कमिश्नर जी.एच .ट्रेवर की याद में गांधी भवन को बनाया गया जहां उस वक्त उसका नाम ट्रैवर टाउन हॉल रखा गया था


राजस्थान के पुस्तकालय नामक पुस्तक में गांधी भवन के पुस्तकालय का भी जिक्र किया गया है जिसमें बताया गया कि वर्ष 1905 में प्रसिद्ध पुरातत्वविद्द गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने गांधी भवन पुस्तकालय की स्थापना की उस समय इसका नाम विक्टोरिया हॉल पुस्तकालय रखा गया था वही आजादी के बाद इसका नाम गांधी पुस्तकालय रखा गया





Body:अजमेर


Conclusion:अजमेर
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.