पुष्कर(अजमेर). देश दुनिया में अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध पुष्कर पशु मेला तमाम सरकारी शर्तों के साथ आज से शुरू हो गया. हिंदू आस्था के पवित्र और पौराणिक तीर्थ पुष्कर में ब्रह्माजी का मंदिर है.
हर वर्ष दिवाली पर्व के बाद कार्तिक मास में पुष्कर में पशु मेला लगता है. मेले में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आवक होती है. 2 साल से कोरोना महामारी के कारण पुष्कर का पर्यटन और पशुपालन व्यवसाय ठंडा था. इस बार कोरोना गाईड लाइन के तहत पशु हाट मेला आयोजित किया जा रहा है.
पशु मेले का इतिहास
पुराने समय में जब परिवहन के साधन इतने उन्नत नहीं थे, तब पुष्कर तीर्थ में कार्तिक स्नान करने और ब्रह्मा मंदिर में दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालु अपने साथ पशुओं को लाया करते थे. धीरे-धीरे यह धार्मिक यात्रा पशुओं के क्रय विक्रय का बड़ा मंच बन गई. तभी से पुष्कर की पहचान एक धार्मिक स्थल के साथ-साथ पशुओं के क्रय-विक्रय के बाजार के रूप में भी स्थापित हो गई. इसे अंतराष्ट्रीय पुष्कर पशु एवं धार्मिक मेले के रूप में पहचान मिल गई.
देशभर से आते हैं पशुपालक
देशभर से इस मेले में पशुपालक आते हैं. उनकी आमदनी का मुख्य जरिया बन चुका यह मेला 2 साल बाद आयोजित किया जा रहा है. कोरोना महामारी के संक्रमण से बचाव के लिए राज्य सरकार ने कोरोना की नई गाइडलाइन के तहत पुष्कर अंतरराष्ट्रीय पशु मेले पुष्कर पशु हाट मेले के रूप में आयोजित किया है. यानी धार्मिक उद्देश्य से लोग पुष्कर यात्रा नहीं कर पाएंगे. जबकि पशुपालक इस मेले में शर्तों के साथ शामिल हो सकते हैं.
पहले दिन आए सिर्फ 297 पशु
पशुपालन विभाग ने 8 नवम्बर से 21 नवम्बर तक नए मेला मैदान में चलने वाले इस हाट में पशुओं की गणना के लिए 10 चौकियां बनाई हैं. दो मोबाइल टीमें पशुओं की आवक पर नजर रखेंगी. पुष्कर पशु हाट मेला क्षेत्र में पशुपालन विभाग ने 100 कर्मचारियों की नियुक्ति की है. नए मेला क्षेत्र में बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सभी विभागों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. पुष्कर मेले के पहले ही दिन पशुपालकों की पुष्कर पशु हाट मेले के प्रति उदासीनता साफ नजर आई. पशु हाट मेले के पहले दिन 1 गोवंश, 134 ऊंट वंश, 163 अश्व वंश और कुल 297 पशुओं की आवक हो पाई.
पशुपालकों को बिजली पानी तक की सुविधा नहीं
तमाम दावों से इतर मेले में आए पशुपालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पशुपालक बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए भी परेशान नजर आ रहे हैं. वर्ष 2001 में इस हाट में 15,460 ऊंटों की आवक हुई थी. जबकि 2019 में मात्र 1784 ऊंट वंश की ही आवक हो पाई. 2019 के बाद 2 साल से पशुपालक रोजी रोटी के लिए भटक रहे हैं. पशु मेले में आए पशुपालक अब पुष्कर आने के अपने फैसले को लेकर खुद को कोस रहे हैं.
जिला कलेक्टर ने अव्यवस्थाओं पर जताई नाराजगी
पुष्कर पशु हाट मेला-2021 का निरीक्षण करने पुष्कर पहुंचे अतिरिक्त जिला कलेक्टर राजेंद्र अग्रवाल ने हाट मेला क्षेत्र में पशुओं के लिए चारे और पशुपालकों के लिए पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं होने पर नाराजगी जताई और संबंधित अधिकारी को सुधार के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि मेले का आज पहला दिन है, खामियों को जल्द सुधार लिया जाएगा.
इस बार व्यवस्था को लेकर नहीं हुई बैठक
खास बात ये है कि पुष्कर मेले को लेकर हर वर्ष जिला कलेक्टर और उच्च सरकारी अधिकारियों की बैठक होती थी जिसमें मेले की व्यवस्थाओं को सुनिश्चित किया जाता था. इस साल ऐसी कोई बैठक आयोजित नहीं हुई. नतीजतन सरकारी अमले की उदासीनता जमीनी स्तर पर पहले दिन ही नजर आई.
पुलिस है अलर्ट, अस्थायी थाने स्थापित
मेले में सुरक्षा कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन भी अलर्ट है. पुलिस का अतिरिक्त जाब्ता तैनात किया गया है. मेला क्षेत्र में 80 पुलिसकर्मी तैनात हैं. आईपीएस सुमित मेहरड़ा व थाना प्रभारी महावीर शर्मा ने बताया कि नए मेला मैदान क्षेत्र व नगरपालिका कार्यालय परिसर में 2 अस्थाई थाने स्थापित किए गए हैं. सीसीटीवी कैमरों से भी मेला क्षेत्र और घाट पर नजर रखी जा रही है.
मेले पर गाइडलाइन की मार
सितंबर महीने की शुरुआत में राज्य सरकार ने सभी धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर पाबंदियां लगा दी थी. इसके बाद पुष्कर धार्मिक और पशु मेले के आयोजन पर संशय था. 14 अक्टूबर को शासन सचिव डॉ आरुषि मलिक ने जिला कलेक्टर को पुष्कर पशु मेला आयोजन करने की स्वीकृति सशर्त जारी कर दी. इससे पुष्कर पशु मेला एक छोटे हाट पशु बाजार तक ही सीमित रह गया. इसके साथ ही इस 8 दिवसीय पशु मेले को लेकर भी सरकार ने कोविड गाइडलाइन जारी कर दी.
गाइड लाइन के अनुसार पशु हाट मेले में प्रवेश के पूर्व आरटीपीसीआर टेस्ट के साथ-साथ कोरोना वैक्सीन की कम से कम प्रथम डोज की अनिवार्यता लागू रहेगी. मेला सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक ही संचालित होगा. मेला क्षेत्र में पशु संबंधित दुकानों के अलावा किसी अन्य दुकान या प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति नहीं है. ऐसे में पुष्कर अंतरराष्ट्रीय पशु मेले के रंग इस साल भी फीके ही नजर आ रहे हैं.