अजमेर. रेलवे के निजीकरण का विरोध नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एंप्लाइज यूनियन लगातार कर रही है. इसी कड़ी में मंगलवार को यूनियन के सदस्यों ने जमकर नारेबाजी करते हुए निगमीकरण व निजीकरण का विरोध किया. कर्मचारियों ने कहा कि यह फैसला उचित नहीं है. निजीकरण से जहां एक ओर रेल कर्मचारियों पर भी बुरा असर पड़ रहा है तो वहीं आम जनता को भी इससे आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है. यूनियन बुधवार से निजीकरण के खिलाफ जन जागरण अभियान की भी शुरुआत करने जा रहा है.
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नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एंप्लाइज यूनियन के जोनल सेक्रेटरी भूपेंद्र यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि लगातार यूनियन निजीकरण का विरोध कर रही है. लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए रेलवे का निजीकरण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए अब तक रेलो को फिर से शुरू नहीं किया गया. जिस तरह से पूरे देश में कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा था उसके बाद सभी दूसरे यातायात के माध्यम शुरू हो गए हैं. लेकिन रेलवे सेवाओं को पूर्ण रूप से अभी भी शुरू नहीं किया गया है.
पिछले दिनों ही 109 रूटों पर चलने वाली ट्रेनों को सरकार ने निजी क्षेत्र को सौंप दिया. अप्रैल 2023 से इन रूट्स पर निजी रेल सेवाएं शुरू हो जाएंगी. 109 रूटों पर 151 उच्च तकनीक वाली ट्रेनों का संचालन किया जाएगा. प्रत्येक ट्रेन में 16 कोच होंगे. इन 151 नए ट्रेनों का उत्पादन भारत में होगा और इसके रखरखाव का पूरा जिम्मा निजी कंपनियों का होगा.