अजमेर. लॉकडाउन में औद्योगिक क्षेत्रों को छूट दिए जाने के बाद भी श्रमिकों का पलायन नहीं रुक रहा है. लॉकडाउन में रोजगार से वंचित हुए श्रमिक अपने घर लौटना चाहते हैं. हालांकि राजस्थान सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को भेजने की व्यवस्था की है. लेकिन, श्रमिकों की संख्या के मुकाबले उन्हें भेजने की व्यवस्थाएं कम है. यही वजह है की अपना सब्र खो चुके श्रमिक सामान उठाकर पैदल ही 40 डिग्री तापमान में निकल पड़े.
ईटीवी भारत ने तपती सड़क पर समान उठाए 14 प्रवासी श्रमिकों से बातचीत की. ईटीवी भारत से बातचीत में श्रमिकों ने बताया कि अजमेर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बन रहे एलिवेटेड ब्रिज के निर्माण में वह ठेकेदार के अधीन कार्य कर रहे थे. लॉकडाउन के बाद से ही उनके पास रोजगार नहीं था. वहीं ठेकेदार ने भी अपने हाथ खींच लिये. श्रमिकों ने बताया कि ठेकेदार ने रहने के लिए लोहे के टिन का एक कमरा दिया था. जहां भीषण गर्मी में रहना मुश्किल था.
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उन्होंने बताया कि ई मित्र पर उनका पंजीयन हो चुका है. लेकिन, उन्हें घर भेजे जाने की कोई व्यवस्था नहीं हो रही है. इसलिए सामान के साथ पैदल ही बिहार के लिए निकल पड़े हैं. ईटीवी भारत की टीम ने श्रमिको को पैदल नहीं जाने के लिए समझाया. साथ ही जिले के कोविड-19 प्रभारी गजेंद्र सिंह राठौड़ से बात करके उनके रहने की व्यवस्था कचहरी रोड स्थित गुजराती स्कूल में बने शेल्टर होम में की है. जहां आवास के साथ भोजन की व्यवस्था भी प्रशासनिक स्तर पर मिलेगी. वहीं प्रशासन की ओर से बिहार के लिए जब भी ट्रेन तय होगी तब इन श्रमिकों को भेजा जाएगा.