अजमेर. दिवाली पर पटाखों की बिक्री को लेकर संशय के बादल छंट नहीं रहे हैं. राज्य सरकार की ओर से प्रशासन को पटाखे की दुकान के लिए लाइसेंस देने अथवा नहीं देने संबंधी निर्देश नहीं मिले हैं. हालांकि प्रशासन ने अपनी तैयारी पहले से कर रखी है. प्रशासन पटाखों की दुकानों के लिए लाइसेंस के इच्छुक दुकानदारों से आवेदन ले चुका है. इस बार पहले की अपेक्षा कम विक्रेताओं ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया है. दूसरी ओर सरकार से निर्देश नहीं मिलने के कारण प्रशासन ने आवेदन लेना बंद कर दिया है. फिलहाल, प्रशासन के पास दिवाली पर पटाखों की बिक्री को लेकर कोई जवाब नहीं है.
अजमेर शहर में 250 और जिले में करीब 600 पटाखा विक्रेता हर बार दिवाली पर दुकानों के लिए लाइसेंस प्रशासन से लेते हैं. लाइसेंस प्रक्रिया से पहले ही दुकानदार होल सेलर से अपना माल बुक करवा लेते हैं. वहीं कुछ दुकानदार होल सेलर से माल भी उठा लेते हैं. इस बार भी ऐसा ही हो रहा है. कई दुकानदारों ने लाखों का माल होल सेलर से उठा लिया है, लेकिन अब दिवाली पर पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध को लेकर बने संशय की वजह से उनके होश उड़े हुए हैं.
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कोरोना काल में लंबे समय से कारोबार बंद था. वहीं दिवाली पर पटाखों की बिक्री से दुकानदारों को काफी उम्मीद थी. लेकिन उम्मीदों पर संशय के बादल छाए हुए हैं. कवंडसपुरा व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश गोयल ने बताया कि दिवाली के मौके पर चार दिन पटाखों का व्यवसाय चलता है, जिससे व्यापारियों को कुछ मुनाफा हो जाता है. इस आस में दुकानदारों ने लाइसेंस के लिए आवेदन करने के साथ ही लाखों का माल होल सेलर से उठा लिया है. अब सरकार ने दिवाली पर पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया तो पहले से व्यापार में मंदी झेल रहे दुकानदारों को भारी नुकसान हो जाएगा. गोयल ने बताया कि दिवाली पर जिले में करीब 20 करोड़ का पटाखा व्यवसाय होता है.
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गोयल ने राज्य सरकार से मांग की है कि व्यापारियों के हित में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध न लगाया जाए. उन्होंने कहा कि चाइनीज पटाखे पहले ही नहीं आ रहे हैं, ज्यादातर लोग अब रोशनी वाले पटाखों में रुचि लेने लगे हैं. ऐसे में पर्यावरण प्रदूषण पहले की अपेक्षा नहीं होता है. उन्होंने कहा कि यदि वाहनों से प्रदूषण होता है तो सरकार वाहनों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगा देती है. उन्होंने बताया कि पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध यदि लगता है तो दुकानदार पटाखे सड़क पर तो फेकेंगे नहीं, बल्कि साल भर उन्हें गोदाम में रखना होगा. जो की उनके लिए रिस्क का काम है. इस दौरान यदि कोई घटना हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. उन्होंने यह भी कहा कि पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध ही लगाना था तो सरकार को तीन महीने पहले ही आदेश निकालने चाहिए थे.
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एक अन्य पटाखा विक्रेता आशीष गुप्ता ने बताया कि ज्यादातर पटाखा विक्रेता माल खरीद चुके हैं. ऐसे में दीपावली पर पटाखों की दुकानों के लिए अनुमति नहीं दी जाती है तो पटाखा दुकानदार को करोड़ों का नुकसान होगा. साथ ही दुकानों पर काम करने वाले करीब पांच हजार लोगों को रोजगार नहीं मिल सकेगा. गुप्ता ने मांग की है कि सरकार को व्यापारियों के हित में सोचना ही पड़ेगा. दीपावली पर पटाखों की बिक्री होगी अथवा नहीं होगी. इसको लेकर असमंजस की स्थिति बरकरार है. फिलहाल पटाखों में निवेश कर चुके विक्रेताओं की धड़कने बढ़ी हुईं हैं. विक्रेता सरकार की ओर टकटकी लगाए हुए हैं.