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कोरोना काल में आर्थिक रूप से टूटे लेकिन अंतर्मन से जुड़कर साहित्यकार समृद्ध भी हुए हैं: सुरेंद्र चतुर्वेदी

कोरोना की वजह से यूं तो हर वर्ग ही परेशान रहा है, लेकिन सुप्रसिद्ध गज़ल गायक सुरेंद्र चतुर्वेदी का कहना है कि साहित्य को जीने वाले लोगों में इस दरमियां अध्यात्म का भाव भी आया जिससे वह दूर हो चले थे. प्रसिद्ध गज़ल गायक सुरेंद्र चतुर्वेदी बॉलीवुड से भी जुड़े हुए हैं. उनके लिखे कई गीत फिल्मों में गाए जा चुके हैं. पढ़ें पूरी खबर...

अजमेर के गज़ल गायक, Ghazal singer of ajmer
गज़ल गायक सुरेंद्र चतुर्वेदी
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Published : Dec 3, 2020, 11:09 AM IST

अजमेर. देश और दुनिया में कोरोना का संकट टला नहीं है. इस संकट के बीच लोगों के जीवन में सामाजिक और आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है. इससे साहित्यकार भी अछूते नहीं रहे हैं. साहित्यकारों को निश्चित रूप से आर्थिक रूप से नुकसान हुआ है, लेकिन साहित्य की साधना का उन्हें भरपूर मौका भी मिला है.

गज़ल गायक सुरेंद्र चतुर्वेदी ने की ईटीवी भारत से बातचीत

ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए सुप्रसिद्ध गज़ल गायक सुरेंद्र चतुर्वेदी का कहना है कि साहित्य को जीने वाले लोगों में इस दरमियां अध्यात्म का भाव भी आया जिससे वह दूर हो चले थे. बाहरी संपर्क कम होने से खुद का खुद से संपर्क बढ़ा है. प्रसिद्ध गज़ल गायक सुरेंद्र चतुर्वेदी बॉलीवुड से भी जुड़े हुए हैं. उनके लिखे कई गीत फिल्मों में गाए जा चुके हैं.

पढ़ेंः Special: बदली सोच ने बदला बेटियों का जीवन, सरकारी योजनाओं ने भी दिया हौसला

ईटीवी भारत के साथ बातचीत में सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि कोरोना काल का समय सबक देने वाला रहा है. उन्होंने बताया कि जिन साहित्यकारों की आजीविका साहित्य पर ही निर्भर थी उन्हें आर्थिक रूप से जूझना पड़ रहा है, लेकिन ऐसे साहित्यकार जिनके पास रोजगार के अन्य विकल्प पर भी थे उन साहित्यकारों के लिए कोरोना काल वरदान साबित हुआ है. अपना अनुभव साझा करते हुए चतुर्वेदी ने बताया कि पिछले 9 माह के दौरान उनकी लिखी गज़लों की 8 किताबें प्रकाशित हुई है. वहीं, पांच किताबें लोगों ने उन पर लिखी है. 9 माह की यह सफलतम यात्रा को कोरोना काल की देन है.

गज़ल गायक सुरेंद्र चतुर्वेदी ने की ईटीवी भारत से बातचीत

उन्होंने कहा कि साहित्यकार तनहाई में ज्यादा रहते हैं. इससे कोरोना काल में कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है. कोरोना काल में बाहर से संपर्क टूटा तो हमारा संपर्क अपने आप से हुआ. इस दौरान चिंतन और मनन करने का अवसर मिला. यह अनुभव सिर्फ मेरा ही नहीं है हर साहित्यकार का है जिसके भीतर अंतर यात्राए शुरू हो गई. जो साहित्यकार साहित्य को जीते हैं ऐसे साहित्यकारों के लिए निश्चित रूप से यह कोरोना काल वरदान साबित हुआ हैं. साहित्य को लेकर वह पहले से ज्यादा समृद्ध हुए हैं.

पढ़ेंः Special: 'सेम' से उपजाऊ जमीन दलदल में तब्दील, खारा पानी खेतों को बना रहा बंजर...किसान परेशान

गज़ल गायक सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि ऐसे कई कवि, शायर है जो कवि सम्मेलनों, मुशायरा में जाया करते थे. जिनकी आजीविका उन आयोजनों पर निर्भर थी. ऐसे लोगों के लिए कोरोना काल में रोजी रोटी का संकट खड़ा हुआ है. उन्हें किसी तरह का सहयोग नहीं मिला. कई लोग कर्जदार हो गए हैं. इस संकट से उबरने में उन्हें काफी समय लगेगा, लेकिन इनमें ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने मंचों के जरिए इतना पैसा कमा लिया था उन्हें 9 माह के कोरोना काल में ज्यादा फर्क नही पड़ा है. सुप्रसिद्ध गज़लकार सुरेंद्र चतुर्वेदी ने वर्तमान हालातों पर ईटीवी भारत के दर्शकों के लिए अपने लिखे कुछ शेर भी सुनाए.

अजमेर. देश और दुनिया में कोरोना का संकट टला नहीं है. इस संकट के बीच लोगों के जीवन में सामाजिक और आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है. इससे साहित्यकार भी अछूते नहीं रहे हैं. साहित्यकारों को निश्चित रूप से आर्थिक रूप से नुकसान हुआ है, लेकिन साहित्य की साधना का उन्हें भरपूर मौका भी मिला है.

गज़ल गायक सुरेंद्र चतुर्वेदी ने की ईटीवी भारत से बातचीत

ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए सुप्रसिद्ध गज़ल गायक सुरेंद्र चतुर्वेदी का कहना है कि साहित्य को जीने वाले लोगों में इस दरमियां अध्यात्म का भाव भी आया जिससे वह दूर हो चले थे. बाहरी संपर्क कम होने से खुद का खुद से संपर्क बढ़ा है. प्रसिद्ध गज़ल गायक सुरेंद्र चतुर्वेदी बॉलीवुड से भी जुड़े हुए हैं. उनके लिखे कई गीत फिल्मों में गाए जा चुके हैं.

पढ़ेंः Special: बदली सोच ने बदला बेटियों का जीवन, सरकारी योजनाओं ने भी दिया हौसला

ईटीवी भारत के साथ बातचीत में सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि कोरोना काल का समय सबक देने वाला रहा है. उन्होंने बताया कि जिन साहित्यकारों की आजीविका साहित्य पर ही निर्भर थी उन्हें आर्थिक रूप से जूझना पड़ रहा है, लेकिन ऐसे साहित्यकार जिनके पास रोजगार के अन्य विकल्प पर भी थे उन साहित्यकारों के लिए कोरोना काल वरदान साबित हुआ है. अपना अनुभव साझा करते हुए चतुर्वेदी ने बताया कि पिछले 9 माह के दौरान उनकी लिखी गज़लों की 8 किताबें प्रकाशित हुई है. वहीं, पांच किताबें लोगों ने उन पर लिखी है. 9 माह की यह सफलतम यात्रा को कोरोना काल की देन है.

गज़ल गायक सुरेंद्र चतुर्वेदी ने की ईटीवी भारत से बातचीत

उन्होंने कहा कि साहित्यकार तनहाई में ज्यादा रहते हैं. इससे कोरोना काल में कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है. कोरोना काल में बाहर से संपर्क टूटा तो हमारा संपर्क अपने आप से हुआ. इस दौरान चिंतन और मनन करने का अवसर मिला. यह अनुभव सिर्फ मेरा ही नहीं है हर साहित्यकार का है जिसके भीतर अंतर यात्राए शुरू हो गई. जो साहित्यकार साहित्य को जीते हैं ऐसे साहित्यकारों के लिए निश्चित रूप से यह कोरोना काल वरदान साबित हुआ हैं. साहित्य को लेकर वह पहले से ज्यादा समृद्ध हुए हैं.

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गज़ल गायक सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि ऐसे कई कवि, शायर है जो कवि सम्मेलनों, मुशायरा में जाया करते थे. जिनकी आजीविका उन आयोजनों पर निर्भर थी. ऐसे लोगों के लिए कोरोना काल में रोजी रोटी का संकट खड़ा हुआ है. उन्हें किसी तरह का सहयोग नहीं मिला. कई लोग कर्जदार हो गए हैं. इस संकट से उबरने में उन्हें काफी समय लगेगा, लेकिन इनमें ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने मंचों के जरिए इतना पैसा कमा लिया था उन्हें 9 माह के कोरोना काल में ज्यादा फर्क नही पड़ा है. सुप्रसिद्ध गज़लकार सुरेंद्र चतुर्वेदी ने वर्तमान हालातों पर ईटीवी भारत के दर्शकों के लिए अपने लिखे कुछ शेर भी सुनाए.

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