अजमेर. देश में कोरोना महामारी के चलते हर व्यापार वर्ग आर्थिक संकट से जूझ रहा है. वहीं, ट्रांसपोर्ट व्यापार भी पूरी तरह से चौपट हो चुका है, उनके सामने काफी बड़ी समस्याएं भी खड़ी हो चुकी हैं. व्यापारियों के साथ-साथ कर्मचारियों पर भी आर्थिक संकट मडरा रहा है.
टैक्सी व्यापारियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही
टैक्सी यूनियन अध्यक्ष जोगेंद्र सिंह गौड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले 50 दिनों से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन लॉकडाउन के चलते राजस्थान सरकार द्वारा ट्रेवल्स उद्योग को किसी प्रकार की राहत देने का काम नहीं किया गया है. इसके अलावा गाड़ी मालिक को टैक्स और इंश्योरेंस को लेकर भी किसी तरह की राहत नहीं दी गई है. जिसके कारण टैक्सी व्यापारियों की आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ने लगी है.
कोरोना का हुआ शिकार
देशभर में कोरोना संक्रमण महामारी को लेकर ट्रेवल्स उद्योग पूरी तरह से चौपट हो चुका है. वहीं आने वाले समय 2021 तक भी यह व्यापार स्थिर नहीं हो पाएगा. वहीं गाड़ी मालिकों के साथ-साथ ड्राइवर और खलासी भी आर्थिक संकट से जूझ रहा है. गाड़ी मालिकों ने बताया कि जिस तरह से राजस्थान सरकार द्वारा उन्हें किसी भी तरह की राहत नहीं दी गई. ऐसे में गाड़ी ड्राइवर और खलासी को भी वेतन नहीं दे पा रहे हैं. जिसके कारण उनकी रोजी-रोटी पर संकट पड़ रहा है.
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200 से 250 करोड़ का हुआ नुकसान
राजस्थान में बस सेवा पूर्णता बंद है तो वहीं राजस्थान में 2 महीने में बंद के दौरान 200 से 250 करोड़ की हानि हुई है. राजस्थान में लगभग 30 हजार बसे हैं. जिससे 2 लाख लोगों का रोजगार चलता है. यूनियन अध्यक्ष नवीन सोगानी ने जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान सरकार के मंत्री खाचरियावास से भी उनकी बात हुई थी. उन्हें आश्वासन दिया गया था, लेकिन अभी तक बसों का टैक्स माफ नहीं किया गया है.
एक गाड़ी का टैक्स 15 से 29 हजार तक
सोगानी ने बताया कि लॉकडाउन में बस व्यापारियों और ट्रैवल से जुड़े उद्योग के लोगों को किसी प्रकार की राहत नहीं दी गई है. जहां एक गाड़ी का टैक्स अनुमानित 15 से 29 हजार तक लगता है. जब गाड़ी का संचालन ही सड़कों पर नहीं हो पा रहा तो टैक्स किस बात का दिया जाए.
व्यापारियों को रही समस्या
अजमेर संभाग में 50 हजार लोगों का जुड़ाव इस व्यापार से किसी न किसी तरीके से है. जिन्हें इस महामारी के बीच काफी नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं यह व्यापार आगामी 6 महीनों तक तो फिर से खड़ा नहीं हो पाएगा, क्योंकि बसों का संचालन अधिकतर शादी और पार्टी में अधिक किया जाता है, लेकिन इस तरह के कार्यक्रम वह आयोजनों पर भी पाबंदी लगा दी गई है, तो ऐसे में व्यापारी के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.