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SPECIAL: गर्मी और कोरोना से बचाव के लिए फ्रिज का पानी पीने से कतरा रहे लोग, घड़े का शीतल जल आ रहा पसंद

गर्मी का सीजन शुरू हो चुका है. इस बीच लोग जहां कोरोना से बचाव का जतन कर रहे हैं. वहीं भीषण गर्मी में अपनी प्यास बुझाने के लिए फ्रिज का ठंडा पानी पीने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि गरीब का फ्रिज कहे जाने वाले मिट्टी के मटकों की मांग बढ़ गई है. अधिकांश लोगों का तर्क है कि कोरोना काल में जुखाम से बचने के लिए घड़े का पानी श्रेष्ठ है. देखें पूरी रिपोर्ट...

fridge water loss, pitcher water in summer
गर्मी और कोरोना से बचाव के लिए फ्रिज का पानी पीने से कतरा रहे लोग
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Published : Apr 14, 2021, 11:23 AM IST

अजमेर. गर्मी का सीजन शुरू हो चुका है. वहीं कोरोना की दूसरी लहर दोगुनी रफ्तार से लोगों को संक्रमित कर रही है. इस बीच लोग जहां कोरोना से बचाव का जतन कर रहे हैं. वहीं भीषण गर्मी मैं अपनी प्यास बुझाने के लिए फ्रिज का ठंडा पानी पीने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि गरीब का फ्रिज कहे जाने वाले मिट्टी के मटकों की मांग बढ़ गई है. अधिकांश लोगों का तर्क है कि कोरोना काल में जुखाम से बचने के लिए घड़े का पानी श्रेष्ठ है.

गर्मी और कोरोना से बचाव के लिए फ्रिज का पानी पीने से कतरा रहे लोग

तल्ख गर्मी में प्यासे कंठ को शीतल जल मिल जाने से तृप्ति का अहसास होता है. सदियों से लोग मिट्टी के घड़ों का पानी पीते आए हैं. यह शुद्ध रूप से प्राकृतिक है और मिट्टी की सोंधी खुशबू से शीतल जल का स्वाद और भी बढ़ जाता है. तल्ख गर्मी के साथ अजमेर में कोरोना का सितम भी जारी है. भीषण गर्मी और कोरोना की वजह से लोग घर से बाहर कम ही निकल रहे हैं. यही वजह है कि हमेशा आबाद रहने वाली सड़के दोपहर को सूनी दिखाई देती हैं.

वहीं शाम को 7 बजे कोरोना की वजह से कर्फ्यू राज्य सरकार ने लगाने के आदेश दिए हैं. ऐसे में शाम के 5 से 7 बजे के समय में लोग घरों से सामान खरीदने बाहर निकलते हैं. सड़क के किनारे तल्ख गर्मी में ग्राहकों के इंतजार में शाम हो जाती है और दो घण्टे की ग्राहकी में मटकों की खरीद पर असर पड़ा है. मटका व्यापारी प्रभु लाल बताते हैं कि भीषण गर्मी और कोरोना की वजह से मटकों की मांग बढ़ी हैं, लेकिन दिन के वक़्त ग्राहक नहीं आते. ग्राहक की शाम को ही शुरू होती है, लेकिन सरकार ने कर्फ्यू के आदेश दे दिए हैं. जिस कारण मांग बढ़ने के बावजूद ग्राहक की कम हो रही है.

पढ़ें- SPECIAL : 2013 में स्वीकृत हुई पेयजल परियोजना...8 साल बाद भी 44 गांवों के लोग हैं प्यासे

इधर बाजारों में मटका खरीदने आए लोगों का तर्क है कि 100 रुपये के मिट्टी के घड़े से जो अहसास मिलता है, वो 10 हजार का फ्रिज भी नहीं दे पाता. मिट्टी के घड़े का शीतल पानी गर्मी में प्यास बुझाता है और इससे तृप्ति भी मिलती है. फ्रिज के पानी पीने से प्यास बार बार लगती है. लोगों का कहना है कि कोरोना काल में फ्रिज के पानी से कई बीमारियां हो सकती हैं. वर्तमान में स्वयं को स्वस्थ रखना ज्यादा जरूरी है. मटके का शीतल जल पीने से सर्दी, जुखाम, खासी होने की संभावना कम बनी रहती है. खासकर बच्चों के लिए मटके का पानी गर्मी और कोरोना महामारी को देखते हुए काफी कारगर है.

लोगों ने बताया कि मिट्टी के घड़ों में कई तरह की वैराइटी बाजार में है. मटके में हाथ डालने की जरूरत ही नहीं, अब तो मिट्टी के घड़े में नल तक लगा आता है. मिट्टी के घड़े खरीदने आए लोगों की बातों से साफ लगता है कि वह अपने स्वास्थ्य के लिए सजग हैं और फ्रिज का पानी पीने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि मिट्टी के घड़ों की मांग काफी बढ़ गई है.

गर्मी में मटके का शीतल जल किसे अच्छा नहीं लगता, हालांकि फ्रिज का पानी पीना भी लोग पसंद करते हैं. मगर कोरोना के डर ने लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत कर दिया है. जिसका असर देखने को भी मिल रहा है. लोग अब फ्रिज के बर्फीले पानी को पीने की बजाए मिट्टी के घड़े का शीतल पानी पीना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

अजमेर. गर्मी का सीजन शुरू हो चुका है. वहीं कोरोना की दूसरी लहर दोगुनी रफ्तार से लोगों को संक्रमित कर रही है. इस बीच लोग जहां कोरोना से बचाव का जतन कर रहे हैं. वहीं भीषण गर्मी मैं अपनी प्यास बुझाने के लिए फ्रिज का ठंडा पानी पीने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि गरीब का फ्रिज कहे जाने वाले मिट्टी के मटकों की मांग बढ़ गई है. अधिकांश लोगों का तर्क है कि कोरोना काल में जुखाम से बचने के लिए घड़े का पानी श्रेष्ठ है.

गर्मी और कोरोना से बचाव के लिए फ्रिज का पानी पीने से कतरा रहे लोग

तल्ख गर्मी में प्यासे कंठ को शीतल जल मिल जाने से तृप्ति का अहसास होता है. सदियों से लोग मिट्टी के घड़ों का पानी पीते आए हैं. यह शुद्ध रूप से प्राकृतिक है और मिट्टी की सोंधी खुशबू से शीतल जल का स्वाद और भी बढ़ जाता है. तल्ख गर्मी के साथ अजमेर में कोरोना का सितम भी जारी है. भीषण गर्मी और कोरोना की वजह से लोग घर से बाहर कम ही निकल रहे हैं. यही वजह है कि हमेशा आबाद रहने वाली सड़के दोपहर को सूनी दिखाई देती हैं.

वहीं शाम को 7 बजे कोरोना की वजह से कर्फ्यू राज्य सरकार ने लगाने के आदेश दिए हैं. ऐसे में शाम के 5 से 7 बजे के समय में लोग घरों से सामान खरीदने बाहर निकलते हैं. सड़क के किनारे तल्ख गर्मी में ग्राहकों के इंतजार में शाम हो जाती है और दो घण्टे की ग्राहकी में मटकों की खरीद पर असर पड़ा है. मटका व्यापारी प्रभु लाल बताते हैं कि भीषण गर्मी और कोरोना की वजह से मटकों की मांग बढ़ी हैं, लेकिन दिन के वक़्त ग्राहक नहीं आते. ग्राहक की शाम को ही शुरू होती है, लेकिन सरकार ने कर्फ्यू के आदेश दे दिए हैं. जिस कारण मांग बढ़ने के बावजूद ग्राहक की कम हो रही है.

पढ़ें- SPECIAL : 2013 में स्वीकृत हुई पेयजल परियोजना...8 साल बाद भी 44 गांवों के लोग हैं प्यासे

इधर बाजारों में मटका खरीदने आए लोगों का तर्क है कि 100 रुपये के मिट्टी के घड़े से जो अहसास मिलता है, वो 10 हजार का फ्रिज भी नहीं दे पाता. मिट्टी के घड़े का शीतल पानी गर्मी में प्यास बुझाता है और इससे तृप्ति भी मिलती है. फ्रिज के पानी पीने से प्यास बार बार लगती है. लोगों का कहना है कि कोरोना काल में फ्रिज के पानी से कई बीमारियां हो सकती हैं. वर्तमान में स्वयं को स्वस्थ रखना ज्यादा जरूरी है. मटके का शीतल जल पीने से सर्दी, जुखाम, खासी होने की संभावना कम बनी रहती है. खासकर बच्चों के लिए मटके का पानी गर्मी और कोरोना महामारी को देखते हुए काफी कारगर है.

लोगों ने बताया कि मिट्टी के घड़ों में कई तरह की वैराइटी बाजार में है. मटके में हाथ डालने की जरूरत ही नहीं, अब तो मिट्टी के घड़े में नल तक लगा आता है. मिट्टी के घड़े खरीदने आए लोगों की बातों से साफ लगता है कि वह अपने स्वास्थ्य के लिए सजग हैं और फ्रिज का पानी पीने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि मिट्टी के घड़ों की मांग काफी बढ़ गई है.

गर्मी में मटके का शीतल जल किसे अच्छा नहीं लगता, हालांकि फ्रिज का पानी पीना भी लोग पसंद करते हैं. मगर कोरोना के डर ने लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत कर दिया है. जिसका असर देखने को भी मिल रहा है. लोग अब फ्रिज के बर्फीले पानी को पीने की बजाए मिट्टी के घड़े का शीतल पानी पीना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

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