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नवरात्रि पर फिर दिखेगी बंगाली समाज की परंपरागत दुर्गा पूजा, कोलकाता के कारीगर तैयार कर रहे प्रतिमाएं...षष्ठी को पंडालों में विराजेंगी मां - शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से

अजमेर में नवरात्रि को लेकर दुर्गा पंडाल और प्रतिमाएं बनाने का कार्य लगभग पूरा हो चुका है. पर्व पर इस बार फिर बंगाली समाज की 94 वर्ष पुरानी परंपरागत दुर्गा पूजा का (Bengali Hindu Society durga pooja) आयोजन किया जा रहा है. कोलकाता से मां की प्रतिमाएं बनाने के लिए खास कोलकाता से कारीगर भी बुलाए गए हैं जो कार्य को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. षष्ठी को दुर्गा पूजा पंडालों में मां की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी.

Bengali Hindu Society durga pooja
Bengali Hindu Society durga pooja
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Published : Sep 24, 2022, 10:53 PM IST

अजमेर. धार्मिक नगरी अजमेर में सभी धर्म और संप्रदाय का संगम देखने को मिलता है. यही वजह है कि अजमेर मिनी इंडिया के रूप में भी जाना जाता है. नवरात्रि में यहां दुर्गा पूजा पर विशेष आयोजन के साथ ही आकर्षक पंडाल भी सजाए जाते हैं, लेकिन पर्व पर बंगाली हिन्दू समाज का आयोजन लोगों के लिए मुख्य आकर्षण रहता है. समाज की ओर से 94 वर्षों से नवरात्रि पर बंगला परंपरा (Bengali Hindu Society durga pooja) के अनुसार दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाते आ रहे हैं. खास बात यह है कि दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए कारीगर मिट्टी कलकत्ता में भी गंगा नदी से ही लाई जाती है. तीन पीढ़ी से कारीगर कलकत्ता से हर वर्ष अजमेर आकर (Artisans from Kolkata came to make sculptures) बंगाली हिन्दू समाज के लिए दुर्गा की प्रतिमा बनाती है.

शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. नौ दिन माता की आराधना और अनुष्ठान होंगे. अजमेर में भी शारदीय नवरात्र को लेकर लोगों में विशेष उत्साह है. नवरात्र पर धार्मिक परंपरा के अनुसार लोग माता की पूजा-अर्चना करते हैं. इनमें बंगाली हिन्दू समाज के आयोजन विशेष रहते हैं. पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है. अजमेर में भी बंगाली हिन्दू समाज नवरात्र पर्व पर अपनी 94 वर्ष पुरानी परंपरा और संस्कृति के अनुसार दुर्गा पूजा उत्सव मनाते हैं.

Bengali Hindu Society durga pooja
तैयार हो रहीं प्रतिमाएं

पढ़ें. बंगाली समाज की महिलाओं ने सिंदूर लगाकर दी माता को विदाई

कचहरी रोड पर बंगाली गली स्थित बंगाली धर्मशाला 100 बरस पुरानी है. यहां 94 वर्षो से दुर्गा पूजा का विशेष आयोजन होता आ रहा है. इस बार 95वें वर्ष में दुर्गा पूजा के भव्य कार्यक्रम की तैयारी की जा रही है. बंगाली परंपरा अनुसार ही बंगाली हिंदू समाज षष्ठी के दिन दुर्गा माता का आवाहन करते हैं.

सुबह-शाम पूजा के बाद मां की महाआरती
समाज के सचिव तरुण चटर्जी ने बताया कि सन 1928 में कई प्रबुद्ध लोग बंगाल से आकर अजमेर में बस गए थे. वह रेलवे और एचएमटी फैक्ट्री में काम करते थे. वहीं कई चिकित्सक भी यहां आकर बस गए. चटर्जी ने बताया कि स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से बंगाली समाज ने अजमेर में 94 वर्ष पहले दुर्गा पूजा उत्सव मनाने की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि षष्ठी से लेकर दसवीं तक दुर्गा पूजा की धूम रहती है. प्रत्येक दिन सुबह शाम माता की पूजा-अर्चना के बाद महा आरती की जाती है.

Bengali Hindu Society durga pooja
गंगा नदी की मिट्टी से बनती हैं प्रतिमाएं

पढ़ें. बंगाली परंपराओं की तर्ज पर अजमेर में बन रही दुर्गा प्रतिमाएं

सिंदूर की होली खेल देतीं हैं अखंड सौभाग्य की कामना
उन्होंने बताया कि मां दुर्गा की पूजा-अर्चना बंगाली रीति रिवाज के अनुसार ही होती है. पश्चिम बंगाल से दुर्गा पूजा के लिए पंडित को बुलाया जाता है. दशमी के दिन दुर्गा माता की पूजा अर्चना के बाद सिंदूर खेला का कार्यक्रम होता है. इसमें महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर अखंड सौभाग्य होने की कामना करती हैं. बाद में विधि विधान से माता की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.

दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए कोलकाता से आते हैं कारीगर
अजमेर में बंगाली हिंदू समाज दुर्गा पूजा के लिए बंगाल से कारीगर बुलाता है. कारीगर अपने साथ गंगा नदी की मिट्टी भी लेकर आते हैं जिसे स्थानीय मिट्टी के साथ मिलाकर प्रतिमा तैयार की जाती है. बंगाली धर्मशाला के प्रबंधक दिनेश गोस्वामी ने बताया कि 2 महीने पहले से ही बंगाल से कारीगर आ जाते हैं और दुर्गा माता की प्रतिमा बनानी शुरू कर दी है. उन्होंने बताया कि कारीगरों की कुशलता को देखकर नगर निगम सहित कई व्यापारिक मंडल पिछले कुछ सालों से दुर्गा माता की प्रतिमा बंगाल से आए कारीगरों से बनवाने लगे हैं. बंगाल से आए कारीगर तरुण कन्दू ने बताया कि सबसे पहले उनके दादा जगन्नाथ कन्दू दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए अजमेर आए थे. उसके बाद अब उनकी तीसरी पीढ़ी दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए अजमेर आती है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल के बाद नवरात्र को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. दुर्गा प्रतिमा बनवाने के लिए उन्हें ऑर्डर भी पहले से अच्छे मिले हैं.

पढ़ें. Special: कोरोना के 2 साल बाद फिर देखेगी गरबा की रौनक, बाजार में बढ़ी राजस्थानी साफे की मांग

बंगाली हिंदू समाज के लोगों को अजमेर में रहते हुए काफी वर्ष बीत चुके हैं लेकिन आज भी बंगाली हिंदू समाज के लोगों में अपनी परंपरा और संस्कृति के प्रति उतना ही लगाव और समर्पण दिखाई देता है. यही वजह है कि 94 वर्षो से सामूहिक रूप से हर वर्ष अजमेर में बंगाली समाज नवरात्र में दुर्गा पूजा का पावन पर्व श्रद्धा और आनंद के साथ मानता है.

अजमेर. धार्मिक नगरी अजमेर में सभी धर्म और संप्रदाय का संगम देखने को मिलता है. यही वजह है कि अजमेर मिनी इंडिया के रूप में भी जाना जाता है. नवरात्रि में यहां दुर्गा पूजा पर विशेष आयोजन के साथ ही आकर्षक पंडाल भी सजाए जाते हैं, लेकिन पर्व पर बंगाली हिन्दू समाज का आयोजन लोगों के लिए मुख्य आकर्षण रहता है. समाज की ओर से 94 वर्षों से नवरात्रि पर बंगला परंपरा (Bengali Hindu Society durga pooja) के अनुसार दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाते आ रहे हैं. खास बात यह है कि दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए कारीगर मिट्टी कलकत्ता में भी गंगा नदी से ही लाई जाती है. तीन पीढ़ी से कारीगर कलकत्ता से हर वर्ष अजमेर आकर (Artisans from Kolkata came to make sculptures) बंगाली हिन्दू समाज के लिए दुर्गा की प्रतिमा बनाती है.

शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. नौ दिन माता की आराधना और अनुष्ठान होंगे. अजमेर में भी शारदीय नवरात्र को लेकर लोगों में विशेष उत्साह है. नवरात्र पर धार्मिक परंपरा के अनुसार लोग माता की पूजा-अर्चना करते हैं. इनमें बंगाली हिन्दू समाज के आयोजन विशेष रहते हैं. पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है. अजमेर में भी बंगाली हिन्दू समाज नवरात्र पर्व पर अपनी 94 वर्ष पुरानी परंपरा और संस्कृति के अनुसार दुर्गा पूजा उत्सव मनाते हैं.

Bengali Hindu Society durga pooja
तैयार हो रहीं प्रतिमाएं

पढ़ें. बंगाली समाज की महिलाओं ने सिंदूर लगाकर दी माता को विदाई

कचहरी रोड पर बंगाली गली स्थित बंगाली धर्मशाला 100 बरस पुरानी है. यहां 94 वर्षो से दुर्गा पूजा का विशेष आयोजन होता आ रहा है. इस बार 95वें वर्ष में दुर्गा पूजा के भव्य कार्यक्रम की तैयारी की जा रही है. बंगाली परंपरा अनुसार ही बंगाली हिंदू समाज षष्ठी के दिन दुर्गा माता का आवाहन करते हैं.

सुबह-शाम पूजा के बाद मां की महाआरती
समाज के सचिव तरुण चटर्जी ने बताया कि सन 1928 में कई प्रबुद्ध लोग बंगाल से आकर अजमेर में बस गए थे. वह रेलवे और एचएमटी फैक्ट्री में काम करते थे. वहीं कई चिकित्सक भी यहां आकर बस गए. चटर्जी ने बताया कि स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से बंगाली समाज ने अजमेर में 94 वर्ष पहले दुर्गा पूजा उत्सव मनाने की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि षष्ठी से लेकर दसवीं तक दुर्गा पूजा की धूम रहती है. प्रत्येक दिन सुबह शाम माता की पूजा-अर्चना के बाद महा आरती की जाती है.

Bengali Hindu Society durga pooja
गंगा नदी की मिट्टी से बनती हैं प्रतिमाएं

पढ़ें. बंगाली परंपराओं की तर्ज पर अजमेर में बन रही दुर्गा प्रतिमाएं

सिंदूर की होली खेल देतीं हैं अखंड सौभाग्य की कामना
उन्होंने बताया कि मां दुर्गा की पूजा-अर्चना बंगाली रीति रिवाज के अनुसार ही होती है. पश्चिम बंगाल से दुर्गा पूजा के लिए पंडित को बुलाया जाता है. दशमी के दिन दुर्गा माता की पूजा अर्चना के बाद सिंदूर खेला का कार्यक्रम होता है. इसमें महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर अखंड सौभाग्य होने की कामना करती हैं. बाद में विधि विधान से माता की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.

दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए कोलकाता से आते हैं कारीगर
अजमेर में बंगाली हिंदू समाज दुर्गा पूजा के लिए बंगाल से कारीगर बुलाता है. कारीगर अपने साथ गंगा नदी की मिट्टी भी लेकर आते हैं जिसे स्थानीय मिट्टी के साथ मिलाकर प्रतिमा तैयार की जाती है. बंगाली धर्मशाला के प्रबंधक दिनेश गोस्वामी ने बताया कि 2 महीने पहले से ही बंगाल से कारीगर आ जाते हैं और दुर्गा माता की प्रतिमा बनानी शुरू कर दी है. उन्होंने बताया कि कारीगरों की कुशलता को देखकर नगर निगम सहित कई व्यापारिक मंडल पिछले कुछ सालों से दुर्गा माता की प्रतिमा बंगाल से आए कारीगरों से बनवाने लगे हैं. बंगाल से आए कारीगर तरुण कन्दू ने बताया कि सबसे पहले उनके दादा जगन्नाथ कन्दू दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए अजमेर आए थे. उसके बाद अब उनकी तीसरी पीढ़ी दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए अजमेर आती है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल के बाद नवरात्र को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. दुर्गा प्रतिमा बनवाने के लिए उन्हें ऑर्डर भी पहले से अच्छे मिले हैं.

पढ़ें. Special: कोरोना के 2 साल बाद फिर देखेगी गरबा की रौनक, बाजार में बढ़ी राजस्थानी साफे की मांग

बंगाली हिंदू समाज के लोगों को अजमेर में रहते हुए काफी वर्ष बीत चुके हैं लेकिन आज भी बंगाली हिंदू समाज के लोगों में अपनी परंपरा और संस्कृति के प्रति उतना ही लगाव और समर्पण दिखाई देता है. यही वजह है कि 94 वर्षो से सामूहिक रूप से हर वर्ष अजमेर में बंगाली समाज नवरात्र में दुर्गा पूजा का पावन पर्व श्रद्धा और आनंद के साथ मानता है.

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