पुष्कर (अजमेर). साल का पहला सूर्यग्रहण 21 जून यानि रविवार को होने जा रहा है. जानकारों की मानें तो 18 साल बाद इस बार यह पूर्ण खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा. इस खगोलीय घटना का असर धार्मिक क्रिया-कलापों पर भी पड़ेगा. तीर्थ नगरी पुष्कर में शनिवार रात 10 बजकर 5 मिनट से समस्त धार्मिक क्रियाकलाप निषेध हो जाएंगे. वहीं विश्वविख्यात जगत पिता ब्रह्मा मंदिर सहित पुष्कर के एक हजार मंदिरों के द्वार 21 जून दोपहर 3 बजकर 5 मिनट तक बंद रहेंगे. दूसरी ओर पुष्कर के धार्मिक इतिहास में पहली बार सरोवर में आस्था की डुबकी पर प्रतिबंध रहेगा.
ज्योतिषीय खगोलीय गणनाओं के अनुसार यह साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा. साथ ही 18 साल बाद इस पूर्ण खंडग्रास के विशेष संयोग के चलते इसका धार्मिक महत्व भी अधिक माना जा रहा है. ज्योतिषविदों के अनुसार 20 जून रविवार को रात 10 बजकर 5 मिनट पर ग्रहण का सूतक काल प्रारंभ होगा, जो अगले दिन रविवार को दोपहर 3 बजकर 5 मिनट तक रहेगा. इस दरमियान धार्मिक नगरी के सभी मंदिरों के गर्भ गृह बंद रहेंगे. ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस बार इस ग्रह का दुष्प्रभाव महिलाओं, नव विवाहित कन्या, राजनेता और उद्योगपतिओं पर पड़ सकता है. ग्रहण का शुभ प्रभाव मेष, कन्या, सिंह और मकर राशि वालों पर रहेगा. ग्रहण काल में जप और दान का विशेष महत्व होता है.
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कोरोना संक्रमण काल के चलते तीर्थ नगरी पुष्कर की धार्मिक परम्परा भी इस साल प्रभावित होने जा रही है. पुष्कर के पुरातन धार्मिक इतिहास में यह पहली बार होगा, जब पुष्कर सरोवर के जल से मंदिर के भगवान और उनमें आस्था रखने वाले श्रद्धालु ग्रहण शुद्धि स्नान पुष्कर सरोवर में नहीं कर पाएंगे. दरअसल, जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए एतिहातन सरोवर में आस्था की डुबकी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है. इसके चलते प्रदेश भर से आने वाले श्रद्धालु और पुष्कर के लगभग एक हजार मंदिरों के पुजारी सरोवर में शुद्धि स्नान नहीं कर सकेंगे.
इस संबंध में उपखंड अधिकारी देविका तोमर ने जानकारी देते हुए बताया कि ग्रहण के चलते जिला प्रशासन विशेष सतर्कता रख रहा है. उपखंड स्तर पर उपखंड की टीम और स्थानीय पुलिस के माध्यम से सामाजिक दूरी की पालन, मास्क पहना और किसी एक स्थान पर अधिक भीड़ इकट्ठा नहीं होने देने जैसी सतर्कता बरती जाएगी.
गौरतलब है कि ग्रहण काल में तीर्थ पर जप-तप और दान पुण्य के विशेष महत्व के चलते देश भर से हजारों श्रद्धालु सरोवर में आस्था की डुबकी लगाने पुष्कर आते हैं. कोरोना संक्रमण के भय के चलते यह हिन्दू धर्म के इतिहास में पहली बार होगा, जब हिन्दु धर्मावलंबी पुष्कर सरोवर में स्नान से वंचित रहेंगे.