अजमेर. दिल्ली के महरौली से कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह से हजारों मलंगों का जत्था पैदल रवाना हुआ था. मंगलवार देर शाम यह जत्था अजमेर पहुंचा. बुधवार को ऋषि घाटी स्थित ख्वाजा गरीब नवाज के चिल्ले से हजारों मलंग हाथों में परचम (Khwaja Moinuddin Chisti Dargah Urs in Ajmer) लेकर दरगाह के लिए जुलूस के रूप में रवाना हुए. मार्ग में कई जगह पर मलंगों का शहर के लोगों ने फूलों की वर्षा कर इस्तकबाल किया. इस दौरान मलंगों ने अपने हैरत अंगेज करतब भी दिखाए.
किसी मलंग ने तीखे सरिए को अपनी आंखों में डाला तो किसी ने अपने शरीर को सरियों से छेद दिया. यह नजारा देख (Malangs Showed Feats in Ajmer Urs) लोगों ने दांतों तले उंगलियां दबा ली. मलंगों ने बताया कि देश के कोने-कोने में ख्वाजा गरीब नवाज के चाहने वाले मलंग रहते हैं. उर्स से 25 दिन पहले सभी महरौली में एकत्रित होते हैं. वहां से हक मोइन या मोइन, दम मदार बेड़ा पार के नारे लगाते हुए हाथों में परचम थामे पैदल अजमेर दरगाह के लिए रवाना हुए थे.
उन्होंने बताया कि ख्वाजा गरीब नवाज के खलीफा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी सबसे पहले परचम लेकर दरगाह आए थे. इस परंपरा को आज भी मलंग शिद्दत के साथ निभा रहे है. मलंगों ने बताया कि जत्थे में शामिल लोग विभिन्न धर्मों से जुड़े हुए हैं. इस बार परचम के साथ कई मलंग तिरंगा झंडा लेकर भी जत्थे में शामिल हुए. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मलंग होने के बाद कोई धर्म मजहब नहीं होता वह केवल अपने आशिक पर अकीदा रखता है और इंसानियत को मानता है.
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जत्थे को अनुशासित और सुरक्षा खुद करते हैं मलंग...
हजारों मलंगों के शहर में आने के बाद पुलिस भले ही सुरक्षा की दृष्टि से तैनात रहे. लेकिन छड़ी के जुलूस के दौरान उनकी मलंग ही अपने जत्थे की सुरक्षा खुद करते हैं. हर जत्थे का एक सरदार है जो जत्थे को अनुशासित रखता है. मलंगों के छड़ी के जुलूस को देखने के लिए दूर-दूर से लोग बड़ी संख्या में पहुंचे.
रोशनी की दुआ से पहले दरगाह में पेश करंगे परचम...
ख्वाजा गरीब नवाज के चिल्ले से दरगाह के लिए रवाना हुए मलंग नाचते गाते करतब दिखाते हुए रोशनी के वक्त से पहले दरगाह पहुंचे. जहां परंपरा अनुसार मलंगों ने छड़ी पेश कर देश में अमन-चैन, खुशहाली और भाइचारे की दुआ मांगी. इसके साथ ही देश और दुनिया से कोरोना महामारी के खात्मे को लेकर (Ajmer Dargah Corona Guideline) भी मलंगों ने दुआ की.
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कई राज्यों से आते हैं ढोल वादक...
उर्स के मौके पर कई राज्यो से ढोल वादक अजमेर आते हैं. मलंगों के छड़ी के जुलूस में भी कई राज्यों से आए ढोल वादकों ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया. जुलूस में ढोल भी आकर्षण का केंद्र रहे.