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Special: रैन बसेरे में रहे कौन, जब ना किसी को जानकारी और ना कर रहा कोई निगरानी

अजमेर में नगर निगम की ओर से सालभर में संचालित 6 स्थाई रेन बसेरे कम ही लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो पा रहे हैं. पर्याप्त प्रचार-प्रसार के अभाव में गरीब और असहाय लोगों को रैन बसेरे का लाभ नहीं मिल रहा है. हालात यह है कि क्षमता से बहुत ही कम लोग रैन बसेरों में आश्रय ले रहे हैं. वहीं आज भी लोग फुटपाथ और बंद दुकानों के शटर के नीचे सोने को मजबूर हो रहे हैं.

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अजमेर में रैन बसेरों का जरूरतमंद लोगों को नहीं मिल पा रहा है लाभ
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Published : Dec 10, 2019, 1:16 PM IST

अजमेर. सर्दी का सितम बढ़ने लगा है. यह बढ़ी हुई सर्दी उन गरीब व असहाय लोगों के लिए आफत बन गई है, जो खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं. उनके पास सर्दी से बचाव के लिए गर्म कपड़े तक नहीं होते. ऐसे में उन लोगों को आश्रय देने के लिए अन्त्योदय योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत अजमेर नगर निगम की ओर से सालभर में 6 स्थाई रैन बसेरे संचालित किए जाते हैं.

लेकिन नगर निगम की मॉनिटरिंग के अभाव में यह रैन बसेरे अपनी क्षमता के अनुरूप गरीब तबके के लोगों आश्रय नहीं दे पा रहे है. यह रैन बसेरे किसी ना किसी परिस्थिति वश घर से निकले लोगों के लिए आश्रय बन रहे हैं. लेकिन गरीब तबके के लिए सर्दी, गर्मी, बारिश से बचाव के लिए बने यह रैन बसेरे आज भी जानकारी के अभाव उनके लिए मददगार साबित नहीं हो पा रहे.

अजमेर में रैन बसेरों का जरूरतमंद लोगों को नहीं मिल पा रहा है लाभ

सर्दी के मौसम में कई रैन बसेरे तमाम सुविधाएं होने के बावजूद खाली पड़े हैं. जबकि इन रैन बसेरों में 24 घंटे रहने सहित कई तरह की सुविधाएं मौजूद हैं. लेकिन इनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है. यही वजह है कि जेएलएन अस्पताल में इलाज के लिए आए मरीजों के परिजन जानकारी के अभाव में परिवार सहित खुले में सोने को मजबूर है. इसकी वजह है कि ज्यादातर असहाय और गरीब अशिक्षित होते हैं.

यह भी पढ़ें : अजमेर निगम के नोटिस से उखड़े प्लास्टिक उत्पाद से जुड़े व्यापारी, निगम आयुक्त के समक्ष जताई नाराजगी

संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में एक रैन बसेरा है. वहीं अस्पताल से चंद कदमों की दूरी पर दमकल कार्यालय के सामने एक और रैन बसेरा है. इन रैन बसेरों के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है. सभी रैन बसेरे में पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग जगह है. लेकिन पुरुषों के अनुपात में इन रैन बसेरों में आश्रय महिलाएं ना के बराबर लेती है. वहीं अस्पताल के आसपास पूड़ी-सब्जी बेचने या रिक्शा चलाने वाले व्यक्ति ही इन आश्रय स्थलों में कई कई महीनों तक रह रहे हैं. जबकि अस्पताल में दूर-दराज से इलाज के लिए आने वाले मरीजों के परिजनों को तो रैन बसेरों के बारे में जानकारी ही नहीं है.

यह भी पढ़ें : अजमेर: कांजी हाउस में लगातार हो रही गायों की मौत से गुस्साया किसान यूनियन

बता दें कि नगर निगम ने सभी 6 रैन बसेरों को एक एनजीओ को ठेके पर दे रखा है. नगर निगम उपायुक्त गजेंद्र सिंह रलावता की मानें तो सर्दियां शुरू हो गई है. लिहाजा, अब फ्लैक्स लगाकर रैन बसेरों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा. वहीं एईएन को भी मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं.

सभी 6 रैन बसेरों में सर्दी से बचने के लिए रजाई की व्यवस्था है. वही नहाने के लिए गर्म पानी भी दिया जाता है. रात को अलाव तापने के लिए लकड़ियां भी उपलब्ध है. वहीं 70 वर्षीय बुजुर्गों के लिए खाने की भी व्यवस्था रैन बसेरे में की जाती है. यहां रहने वाले लोगों को यह तमाम सुविधाएं मिल रही है.

निगम की ओर से समय-समय पर रैन बसेरों की मॉनिटरिंग नहीं की जाती है. यही वजह है कि यहां एनजीओ की ओर से लगाए गए केयरटेकर भी अपनी मनमानी करने लगे. कुछ तो ऐसे हैं जो खुद का व्यवसाय रैन बसेरों की आड़ में कर रहे हैं. जेएलएन अस्पताल में बने रैन बसेरे के केयर टेकर ने बताया कि यहां आश्रय लेने वालों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता. जबकि हैरानी वाली बात तो यह है कि रात साढ़े 9 बजे तक 40 जनों की क्षमता वाला यह आश्रय स्थल पूरी तरह से खाली था.

अजमेर में यहां है स्थाई रैन बसेरे...

पड़ाव - यहां 50 डबल बेड एवं 40 बिस्तर सेट (गद्दे, रजाइयां, तकिए, बेडशीट, कंबल है)
जनाना अस्पताल - यहां 40 डबल बेड, 40 बिस्तर सेट (गद्दे, रजाइयां, तकिए, बेडशीट, कंबल है)
कोटड़ा प्राइवेट बस स्टैंड - 30 बिस्तर सेट (गद्दे, रजाइयां, तकिए, बेडशीट, कंबल है)
आजाद पार्क के सामने - 50 डबल बेड, 50 बिस्तर सेट (गद्दे, रजाइयां, तकिए, बेडशीट, कंबल है)
दिल्ली गेट - 60 डबल बेड, 74 बिस्तर सेट (गद्दे, रजाइयां, तकिए, बेडशीट, कंबल है)
जेएलएन अस्पताल- बिस्तर के 40 सेट (गद्दे, रजाइयां, तकिए, बेडशीट, कंबल है)

रैन बसेरों में यह सुविधाएं...

सभी रैन बसेरों में गर्म पानी के लिए गीजर, फर्स्ट एड किट बक्स, पीने के पानी के लिए कैंपर और मटका, 6 में से 5 स्थाई रैन बसेरों में सामान रखने के लिए लॉकर सुविधा, मनोरंजन के लिए टीवी की व्यवस्था, पुरुष और महिलाओं के लिए रहने की अलग-अलग व्यवस्था, लाइट और पानी की व्यवस्था, सर्दी से बचने के लिए ताप के लिए लकड़ी की व्यवस्था, सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरा और फायर एक्सटेंशन लगे हैं.

अजमेर. सर्दी का सितम बढ़ने लगा है. यह बढ़ी हुई सर्दी उन गरीब व असहाय लोगों के लिए आफत बन गई है, जो खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं. उनके पास सर्दी से बचाव के लिए गर्म कपड़े तक नहीं होते. ऐसे में उन लोगों को आश्रय देने के लिए अन्त्योदय योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत अजमेर नगर निगम की ओर से सालभर में 6 स्थाई रैन बसेरे संचालित किए जाते हैं.

लेकिन नगर निगम की मॉनिटरिंग के अभाव में यह रैन बसेरे अपनी क्षमता के अनुरूप गरीब तबके के लोगों आश्रय नहीं दे पा रहे है. यह रैन बसेरे किसी ना किसी परिस्थिति वश घर से निकले लोगों के लिए आश्रय बन रहे हैं. लेकिन गरीब तबके के लिए सर्दी, गर्मी, बारिश से बचाव के लिए बने यह रैन बसेरे आज भी जानकारी के अभाव उनके लिए मददगार साबित नहीं हो पा रहे.

अजमेर में रैन बसेरों का जरूरतमंद लोगों को नहीं मिल पा रहा है लाभ

सर्दी के मौसम में कई रैन बसेरे तमाम सुविधाएं होने के बावजूद खाली पड़े हैं. जबकि इन रैन बसेरों में 24 घंटे रहने सहित कई तरह की सुविधाएं मौजूद हैं. लेकिन इनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है. यही वजह है कि जेएलएन अस्पताल में इलाज के लिए आए मरीजों के परिजन जानकारी के अभाव में परिवार सहित खुले में सोने को मजबूर है. इसकी वजह है कि ज्यादातर असहाय और गरीब अशिक्षित होते हैं.

यह भी पढ़ें : अजमेर निगम के नोटिस से उखड़े प्लास्टिक उत्पाद से जुड़े व्यापारी, निगम आयुक्त के समक्ष जताई नाराजगी

संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में एक रैन बसेरा है. वहीं अस्पताल से चंद कदमों की दूरी पर दमकल कार्यालय के सामने एक और रैन बसेरा है. इन रैन बसेरों के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है. सभी रैन बसेरे में पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग जगह है. लेकिन पुरुषों के अनुपात में इन रैन बसेरों में आश्रय महिलाएं ना के बराबर लेती है. वहीं अस्पताल के आसपास पूड़ी-सब्जी बेचने या रिक्शा चलाने वाले व्यक्ति ही इन आश्रय स्थलों में कई कई महीनों तक रह रहे हैं. जबकि अस्पताल में दूर-दराज से इलाज के लिए आने वाले मरीजों के परिजनों को तो रैन बसेरों के बारे में जानकारी ही नहीं है.

यह भी पढ़ें : अजमेर: कांजी हाउस में लगातार हो रही गायों की मौत से गुस्साया किसान यूनियन

बता दें कि नगर निगम ने सभी 6 रैन बसेरों को एक एनजीओ को ठेके पर दे रखा है. नगर निगम उपायुक्त गजेंद्र सिंह रलावता की मानें तो सर्दियां शुरू हो गई है. लिहाजा, अब फ्लैक्स लगाकर रैन बसेरों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा. वहीं एईएन को भी मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं.

सभी 6 रैन बसेरों में सर्दी से बचने के लिए रजाई की व्यवस्था है. वही नहाने के लिए गर्म पानी भी दिया जाता है. रात को अलाव तापने के लिए लकड़ियां भी उपलब्ध है. वहीं 70 वर्षीय बुजुर्गों के लिए खाने की भी व्यवस्था रैन बसेरे में की जाती है. यहां रहने वाले लोगों को यह तमाम सुविधाएं मिल रही है.

निगम की ओर से समय-समय पर रैन बसेरों की मॉनिटरिंग नहीं की जाती है. यही वजह है कि यहां एनजीओ की ओर से लगाए गए केयरटेकर भी अपनी मनमानी करने लगे. कुछ तो ऐसे हैं जो खुद का व्यवसाय रैन बसेरों की आड़ में कर रहे हैं. जेएलएन अस्पताल में बने रैन बसेरे के केयर टेकर ने बताया कि यहां आश्रय लेने वालों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता. जबकि हैरानी वाली बात तो यह है कि रात साढ़े 9 बजे तक 40 जनों की क्षमता वाला यह आश्रय स्थल पूरी तरह से खाली था.

अजमेर में यहां है स्थाई रैन बसेरे...

पड़ाव - यहां 50 डबल बेड एवं 40 बिस्तर सेट (गद्दे, रजाइयां, तकिए, बेडशीट, कंबल है)
जनाना अस्पताल - यहां 40 डबल बेड, 40 बिस्तर सेट (गद्दे, रजाइयां, तकिए, बेडशीट, कंबल है)
कोटड़ा प्राइवेट बस स्टैंड - 30 बिस्तर सेट (गद्दे, रजाइयां, तकिए, बेडशीट, कंबल है)
आजाद पार्क के सामने - 50 डबल बेड, 50 बिस्तर सेट (गद्दे, रजाइयां, तकिए, बेडशीट, कंबल है)
दिल्ली गेट - 60 डबल बेड, 74 बिस्तर सेट (गद्दे, रजाइयां, तकिए, बेडशीट, कंबल है)
जेएलएन अस्पताल- बिस्तर के 40 सेट (गद्दे, रजाइयां, तकिए, बेडशीट, कंबल है)

रैन बसेरों में यह सुविधाएं...

सभी रैन बसेरों में गर्म पानी के लिए गीजर, फर्स्ट एड किट बक्स, पीने के पानी के लिए कैंपर और मटका, 6 में से 5 स्थाई रैन बसेरों में सामान रखने के लिए लॉकर सुविधा, मनोरंजन के लिए टीवी की व्यवस्था, पुरुष और महिलाओं के लिए रहने की अलग-अलग व्यवस्था, लाइट और पानी की व्यवस्था, सर्दी से बचने के लिए ताप के लिए लकड़ी की व्यवस्था, सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरा और फायर एक्सटेंशन लगे हैं.

Intro:अजमेर। अजमेर में वर्षभर नगर निगम की ओर से संचालित 6 स्थाई रेन बसेरे कम ही लोगों के लिए कारगर साबित हो रहे हैं। प्रचार-प्रसार के अभाव में गरीब और असहाय लोगों को रेन बसेरे का लाभ नहीं मिल रहा है। हालात यह है कि क्षमता से बहुत ही कम लोग रैन बसेरों में आश्रय ले रहे हैं। वही आज भी लोग फुटपाथ और बंद दुकानों के शटर के नीचे सो रहे है।

ओपनिंग पीटूसी

सर्दी का सितम बढ़ने लगा है। सर्दी उन गरीब असहाय लोगों के लिए खतरा बन गई है जो खुले आसमान के नीचे सोते है। उनके पास सर्दी से बचने के लिए ना गर्म कपड़े भी नही होते। ऐसे में उन लोगों को आश्रय देने के लिए अन्त्योदय योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत अजमेर नगर निगम की ओर से वर्षभर के लिए 6 स्थाई रैनबसेरा संचालित किए जाते है। लेकिन नगर निगम की मॉनिटरिंग के अभाव में यह रैन बसेरे अपनी क्षमता के अनुरूप गरीब तबके के लोगों आश्रय नही दे पा रहे है। यह रैन बसेरे किसी ना किसी परिस्थिति वश घर से निकले लोगों के लिए आश्रय बन रहे हैं लेकिन गरीब तबके के लिए सर्दी गर्मी, बारिश से बचाव के लिए बने यह रैनबसेरे आज भी जानकारी के अभाव उनके लिए मददगार साबित नही हो रहे। सर्दी के मौसम में कई रैन बसेरे तमाम सुविधा होने के बावजूद खाली है। जबकि इन रैन बसेरों में 24 घंटे रहने सहित कई तरह की सुविधाएं है। लेकिन इनके बारे में लोगो को जानकारी नही है। यही वजह है कि जेएलएन अस्पताल में इलाज के लिए आए मरीजो के परिजन जानकारी के अभाव में परिवार सहित खुले में सोने को मजबूर है। इसकी वजह है कि ज्यादात्तर असहाय और गरीब अशिक्षित होते है ...
बाइट- कैलाश - परिजन ( राजस्थान वारियर्स वाटस एप ग्रुप पर बाइट है)

अजमेर में संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में एक रैन बसेरा है। वहीं अस्पताल से चंद कदमों की दूरी पर दमकल कार्यालय के सामने एक और रेन बसेरा है। इन रैन बसेरों के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है। सभी रैन बसेरे में पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग जगह है। लेकिन पुरुषों के अनुपात में इन रैन बसेरों में आश्रय महिलाएं ना के बराबर लेती है। वही अस्पताल के आसपास पूड़ी सब्जी या रिक्शा चलाने वाले व्यक्ति ही इन आश्रय स्थलों में कई कई महीनों तक रह रहे है। जबकि अस्पताल में दूर दराज से इलाज के लिए आने वाले मरीजो के परिजनों को तो रैनबसेरों के बारे में जानकारी ही नही है। बता दे कि नगर निगम ने सभी छह रैन बसेरों को एक एनजीओ को ठेके पर दे रखा है। नगर निगम के उपयुक्त गजेंद्र सिंह रलावता की माने तो सर्दियां शुरू हो गई है लिहाजा अब फ्लेक्स लगाकर रैनबसेरों का प्रचार प्रसार किया जाएगा। वही एईएन को भी मोनिटरिंग के निर्देश दिए गए है ....
बाइट- गजेंद्र सिंह रलावता- उपायुक्त नगर निगम

सभी छह रैन बसेरों में सर्दी से बचने के लिए रजाई की व्यवस्था है वही नहाने के लिए गर्म पानी भी दिया जाता है। रात को अलावा तपने के लिए लकड़िया भी उपलब्ध है। वहीं 70 वर्षीय बुजुर्ग के लिए खाने की भी व्यवस्था रैन बसेरे में की जाती है। यहां रहने वाले लोगो को यह तमाम सुविधाएं मिल रही है ....
बाइट- डेला राम - आश्रय लेने वाला
बाइट- सोहन - आश्रय लेने वाला

रैन बसेरों में नगर निगम की ओर से समय-समय पर मॉनिटर नहीं की जाती यही वजह है कि यहां एनजीओ की ओर से लगाये गए केयरटेकर भी अपनी मनमानी करने लगे। कुछ तो ऐसे हैं जो खुद का व्यवसाय रैन बसेरों की आड़ में कर रहे हैं। जेएलएन अस्पताल में बने रेन बसेरे के केयर टेकर ने बताया कि यहां आश्रय लेने वालों से कोई शुल्क नही लिया जाता। खास बात यह कि रात साढ़े 9 बजे तक 40 जनों की क्षमता वाला यह आश्रय स्थल पूरी तरह से खाली था ....
बाइट- रत्नेश कुमार सिंह - केयर टेकर

पीटूसी

अजमेर में यहां है स्थाई रेन बसेरे

पड़ाव - यहां 50 डबल बेड एवं 40 बिस्तर सेट (गद्दे रजाइया तकिए बेडशीट कंबल है)

जनाना अस्पताल- यहां 40 डबल बेड, 40 बिस्तर सेट (गद्दे रजाइया तकिए बेडशीट कंबल है)

कोटडा प्राइवेट बस स्टैंड- 30 बिस्तर सेट (गद्दे रजाइया तकिए बेडशीट कंबल है)

आजाद पार्क के सामने- 50 डबल बेड, 50 बिस्तर सेट
(गद्दे रजाइया तकिए बेडशीट कंबल है)

दिल्ली गेट - साठ डबल बेड, 74 बिस्तर सेट (गद्दे रजाइया तकिए बेडशीट कंबल है)

जेएलएन अस्पताल- बिस्तर के 40 सेट (गद्दे रजाइया तकिए बेडशीट कंबल है)


रैन बसेरों में यह सुविधाएं-:

सभी में गर्म पानी के लिए गीजर, फर्स्ट एड किट बक्स, पीने के पानी के लिए टेंपल और मटका, छह में से पांच स्थाई रैन बसेरों में सामान रखने के लिए लॉकर सुविधा, मनोरंजन के लिए टीवी व्यवस्था, पुरुष और महिलाओं के लिए रहने की अलग-अलग व्यवस्था, स्टाइलाइट और पानी की व्यवस्था, सर्दी से बचने के लिए ताप ने के लिए लकड़ी की व्यवस्था, सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरा और फायर एक्सटेंशन लगे है।


Body:प्रियांक शर्मा
अजमेर


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