अजमेर. शहर में पुलिस कप्तान कुंवर राष्ट्रदीप ने बैंक क्रेडिट कार्ड से लाखों रुपए की सीरियल धोखाधड़ी करने के मामले का खुलासा किया है. जिसमें पुलिस ने कथित बैंक कर्मी को गिरफ्तार किया है.
बता दें कि पुलिस की गिरफ्त में आया शातिर गोपाल और अमित राठी मूलतः जोधपुर जिले के पीपाड़ सिटी कस्बे के समीप नागौरी बास का निवासी है. फिलहाल वह सूरत में यूएम रोड भटार क्षेत्र में किराए से मकान लेकर रह रहा था. इससे पहले वह अजमेर शास्त्री नगर इलाके में शिव मंदिर के पास किराए के मकान में रह रहा था. पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप ने बताया कि आरोपी अमित राठी इंडस लैंड बैंक में क्रेडिट कार्ड लोगों को बना कर देता था. राठी ने करीब 200 क्रेडिट कार्ड बैंक में रहते हुए बनाए. बैंक की नौकरी छोड़ने के बाद उसने क्रेडिट कार्ड धारकों को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया. वहीं अजमेर में 4 क्रेडिट कार्ड धारकों को आरोपी अमित राठी सीरियल धोखाधड़ी का शिकार बनाकर लाखों रुपए की ठगी को अंजाम दे चुका है.
पढ़ेंः बेरोजगार युवाओं को नौकरी का झांसा देने वाले गिरोह का पर्दाफाश, कई राज्यों की SOG टीम दे रही दबिश
बता दें कि शहर में लगातार क्रेडिट कार्ड धारकों के साथ हो रही ठगी की वारदातों के बाद जिला पुलिस कप्तान कुंवर राष्ट्रदीप ने विशेष टीम गठित की टीम ने अथक प्रयास के बाद शातिर आरोपी अमित राठी को गिरफ्तार कर लिया. वहीं पूछताछ में राठी ने अजमेर के अलवर गेट थाना क्षेत्र में तीन और रामगंज थाना क्षेत्र मे एक वारदात की थी. पूछताछ में आरोपी अमित राठी ने ऐसी 12 वारदातें करना कबूल किया है. एसपी कुंवर राष्ट्रदीप ने बताया कि पीड़ित क्रेडिट कार्ड धारकों को क्रेडिट कार्ड अमित राठी ने बना कर दिए थे, उन क्रेडिट कार्ड में अमित ने कुछ एरर छोड़ दिए थे. क्रेडिट कार्ड काम नहीं करने पर क्रेडिट कार्ड धारको ने अमित राठी को फोन करके बुलाया था इस बात का फायदा उठाते हुए आरोपी अमित राठी ने क्रेडिट कार्ड धारकों के मोबाइल का बेजा इस्तेमाल किया और नेट बैंकिंग के जरिए क्रेडिट कार्ड से राशि अजमेर में मदार गेट स्थित ईःमित्र कियोस्क को स्थानांतरित कर दी, जहां से आरोपी अमित राठी राशि निकलवा लेता था. एसपी कुंवर राष्ट्रदीप ने बताया कि ईःमित्र किओस्क की भूमिका संदेह के दायरे में है उसके खिलाफ जांच जारी है.
पढ़ेंः SOG की बड़ी कार्रवाई, बेरोजगारों को नौकरी के नाम पर ठगने वाली गैंग का पर्दाफाश
वहीं क्रेडिट कार्ड धारकों के साथ हुई वारदात में सामान्य बात यह रही कि आरोपी अमित राठी ने उन्हें विश्वास में लेकर उनके मोबाइल का इस्तेमाल किया. वहीं राशि ट्रांसफर से पहले आए ओटीपी का इस्तेमाल कर मोबाइल पर आए एसएमएस को उसने शातिराना तरीके से डिलीट भी कर दिया, जबकि रिजर्व बैंक की ओर से ग्राहकों को क्रेडिट एवं डेबिट कार्ड का पिन नंबर और ओटीपी नंबर किसी भी अन्य व्यक्ति के साथ शेयर नहीं करने की बराबर हिदायत दी जाती रही है. फिर चाहे वह बैंक का कर्मचारी ही क्यों ना हो बावजूद इसके लोग शातिर ठगों से वारदात का शिकार हो रहे हैं.