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करौली में बाल विवाह की रोकथाम के लिए जागरूकता शिविर, कोराना गाइडलाइन की पालना का भी दिया संदेश

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Published : Apr 3, 2021, 7:58 PM IST

करौली में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया. इस दौरान कोविड-19 गाइडलाइन की पालना की गई. 

karauli news, prevention of child marriage
करौली में बाल विवाह की रोकथाम के लिए जागरूकता शिविर आयोजित

करौली. करौली में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से शनिवार को बाल विवाह रोकथाम के लिए एकट बोधग्राम संस्था में कोविड-19 गाइडलाइन की पालना करते हुए विधिक जागरूकता और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के निर्देशानुसार सम्पूर्ण राज्य मे बाल विवाह प्रतिषेध अभियान का संचालन शनिवार से 30 जून 2021 तक तथा 1 नवम्बर से 31 दिसम्बर 2021 तक किया जा रहा है. अभियान के सुचारू संचालन हेतु कार्यालय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण करौली पर कंट्रोल रूम की स्थापना की गयी है एवं जिला स्तर, तहसील स्तर और ग्राम पंचायत स्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया गया जो करौली जिले में होने वाले बाल विवाहों की निगरानी करेगीं व बाल विवाहों को होने से रोकेगी.

अभियान का शुभारम्भ शनिवार को एकट बोधग्राम संस्था वंशी का बाग पर कोविड-19 गाइडलाइन की पूर्ण पालना करते हुए विधिक जागरूकता और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान सचिव ने बाल विवाह प्रतिषेध अभियान की रूपरेखा और इस दौरान आयोजित जागरूकता कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी. सचिव ने बताया कि भारत में और विशेषकर राजस्थान में बच्चों की छोटी उम्र में शादी करने की कुरीति को रोकने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 लागू किया गया है, जिसमें लड़के की आयु 21 वर्ष से कम और लडकी की आयु 18 वर्ष से कम है, तो वे विवाह योग्य नहीं है. यदि विवाह के समय लड़का या लड़की दोनों में से कोई विवाह योग्य उम्र का नहीं है, तो ऐसा विवाह बाल विवाह होने से अपराध माना गया है.

यह भी पढ़ें- पड़ोसी हैवान! काम के बहाने 14 साल की किशोरी से दुष्कर्म, तो महिला को चाकू की नोक पर बनाया शिकार

उन्होंने बाल विवाह की सजा के प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने अपने समाज को इस कलंक से बचाए और समाज के लोगों को समझाएं. नहीं मानने पर पुलिस कंट्रोल रूम या जिला विधिक सेवा प्रधिकरण कार्यालय में सूचना दें तथा सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जाता है. उन्होने बताया कि बच्चे भगवान स्वरूप है, इनको इस पाप से बचाएं. इस दौरान संस्था के प्रधान सत्येन्द्र चतुर्वेदी, पैनल अधिवक्ता इमामुद्दीन खांन, संस्था के कार्यक्रम प्रभारी मनोज कुमार शर्मा, पैरा लीगल वॉलेन्टियर राधारमण सारस्वत, संस्था के अध्यापक और विद्यार्थी आदि उपस्थित रहे.

करौली. करौली में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से शनिवार को बाल विवाह रोकथाम के लिए एकट बोधग्राम संस्था में कोविड-19 गाइडलाइन की पालना करते हुए विधिक जागरूकता और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के निर्देशानुसार सम्पूर्ण राज्य मे बाल विवाह प्रतिषेध अभियान का संचालन शनिवार से 30 जून 2021 तक तथा 1 नवम्बर से 31 दिसम्बर 2021 तक किया जा रहा है. अभियान के सुचारू संचालन हेतु कार्यालय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण करौली पर कंट्रोल रूम की स्थापना की गयी है एवं जिला स्तर, तहसील स्तर और ग्राम पंचायत स्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया गया जो करौली जिले में होने वाले बाल विवाहों की निगरानी करेगीं व बाल विवाहों को होने से रोकेगी.

अभियान का शुभारम्भ शनिवार को एकट बोधग्राम संस्था वंशी का बाग पर कोविड-19 गाइडलाइन की पूर्ण पालना करते हुए विधिक जागरूकता और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान सचिव ने बाल विवाह प्रतिषेध अभियान की रूपरेखा और इस दौरान आयोजित जागरूकता कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी. सचिव ने बताया कि भारत में और विशेषकर राजस्थान में बच्चों की छोटी उम्र में शादी करने की कुरीति को रोकने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 लागू किया गया है, जिसमें लड़के की आयु 21 वर्ष से कम और लडकी की आयु 18 वर्ष से कम है, तो वे विवाह योग्य नहीं है. यदि विवाह के समय लड़का या लड़की दोनों में से कोई विवाह योग्य उम्र का नहीं है, तो ऐसा विवाह बाल विवाह होने से अपराध माना गया है.

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उन्होंने बाल विवाह की सजा के प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने अपने समाज को इस कलंक से बचाए और समाज के लोगों को समझाएं. नहीं मानने पर पुलिस कंट्रोल रूम या जिला विधिक सेवा प्रधिकरण कार्यालय में सूचना दें तथा सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जाता है. उन्होने बताया कि बच्चे भगवान स्वरूप है, इनको इस पाप से बचाएं. इस दौरान संस्था के प्रधान सत्येन्द्र चतुर्वेदी, पैनल अधिवक्ता इमामुद्दीन खांन, संस्था के कार्यक्रम प्रभारी मनोज कुमार शर्मा, पैरा लीगल वॉलेन्टियर राधारमण सारस्वत, संस्था के अध्यापक और विद्यार्थी आदि उपस्थित रहे.

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