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लाल भिंडी और नीली गोभी बनाएगी आपकी सेहत, जानिए रंग बिरंगी सब्जियों के फायदे

आने वाले दिनों में आपको लाल भिंडी, बैंगनी रंग का गोभी और अंडे जैसा बैंगन बाजार में मिलेगा. अभी शायद आपको अटपटा लग रहा हो परंतु सच्चाई यही है कि अब आप विटामिन के टैबलेट की जगह इन सब्जियों से अपने शरीर की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे. ईटीवी भारत राजस्थान के ब्यूरो प्रमुख से भारतीय कृषि रिसर्च केंद्र के प्रमुख डॉ बीएस तोमर की विशेष बातचीत...

जानिए रंग बिरंगी सब्जियों के फायदे
जानिए रंग बिरंगी सब्जियों के फायदे
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Published : Jun 6, 2023, 8:56 AM IST

Updated : Jun 6, 2023, 2:37 PM IST

जानिए रंग बिरंगी सब्जियों के फायदे

जयपुर. आने वाले दिनों में उपभोक्ता की डिमांड के अनुसार उनकी पसंद वाली सब्जियों में जरूरत के पोषक तत्वों की आपूर्ति की जा सकेगी. भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र की नई खोज की बदौलत ये सब कुछ मुमकिन होने जा रहा है. देश की बढ़ती आबादी की जरूरतों का ध्यान रखते हुए नई तकनीक के साथ कृषि को बाजार के साथ जोड़ा जा रहा है. जिससे उपभोक्ता अपनी पसंद की सब्जियों में जरूरत के पोषक तत्वों की भरपाई कर सकेंगे. इस सिलसिले में ईटीवी भारत ने भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र की वेजिटेबल साइंस विभाग के प्रमुख डॉ. बीएस तोमर से बातचीत की. वे जयपुर स्थित दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केन्द्र में एक कार्यक्रम में आये थे. उन्होंने बताया कि आने वाले वक्त में कैसे सब्जियों के परंपरागत रंग बदल जाएंगे और पालक का सेवन आयरन के लिये नहीं बल्कि विटामिन सी के लिये भी किया जा सकेगा.

रंग बिरंगी गोभी
रंग बिरंगी गोभी

रंग बदलती सब्जियां, यह होगा खास : डॉ बीएस तोमर के मुताबिक आने वाले समय में परंपरागत सब्जियों के रंग और उनमें उपलब्ध पोषक तत्वों की पहचान बदल जाएगी. इसके लिए उनका शाकीय विज्ञान तेजी से डेडीकेटेड रिसर्च में व्यस्त है. जहां सब्जियों की उन्नत किस्मों के साथ ही संकर और संरक्षित खेती के लिये किस्मों के विकास पर जोर दिया जा रहा है. डॉ. तोमर ने बताया कि आज का खाद्य उपभोक्ता सब्जियों में भी अभिनव प्रयोग को पसंद कर रहा है, मसलन नीली गोभी, पीली गोभी या ऑरेंज कलर की गोभी, लाल रंग की भिंडी, लाइकोपीन रिच टोमेटो या विटामिन सी रिच पालक जैसी जरूरत आज उपभोक्ता महसूस कर रहा है.

लाल रंग की भिंडी
लाल रंग की भिंडी

ऐसे में नीले रंग की फूल गोभी की खासियत होगी कि वह एंथोसाइनिन शरीर को देगी, जो कि एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है. जिसे हफ्ते में एक बार या दो बार खाने से शरीर की रोजमर्रा की जरूरत पूरी हो जाएगी. इसके अलावा इस नीली गोभी में कैंसर के वायरस को खत्म करने की ताकत भी होगी. इसमें मौजूद ग्लूकोज राफेन एंटी कैंसर के रूप में शरीर को ताकत देगा. इसी तरह से ऑरेंज रंग की गोभी बीटा कैरोटीन नाम का एंटीऑक्सीडेंट शरीर को देगी. जो हमारे शरीर को फ्री रेडिकल्स नाम के कणों से बचाता है. शरीर को रोजाना 5 मिलीग्राम बीटा कैरोटीन की जरूरत होती है. बाजार में उपलब्ध हरे रंग की ब्रोंकली की जगह अब नीले रंग की ब्रोंकली आएगी, जो रिच एंथोसाइन के कारण सेहतमंद होगी.

अंडे के जैसा बैंगन
अंडे के जैसा बैंगन

डॉक्टर तोमर ने बताया कि अब तक गहरे बैंगनी रंग या हल्के काले रंग के बैंगन प्रचलित हैं, परंतु अब बाजार में सफेद और हरे रंग का बैंगन भी आसानी से मिलेगा. पेड़ पर लगे बैंगन एक मर्तबा मुर्गी के अंडे के समान नजर आएंगे. जबकि हरे रंग का बैंगन लंबा होगा, जिसका बीज विकसित किया जा चुका है. खास तौर पर इनसे कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट (क्यूप्रिक और फ्रेक और क्लोरोजेनिक एसिड) की शरीर को आपूर्ति होगी. तोमर के मुताबिक जल्द ही भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र गुलाबी रंग के बैंगन का बीज भी विकसित कर लेगा. उन्होंने बताया कि लाल और केसरी रंग का टमाटर जो अब तक लाइकोपिन और विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है, आगे जाकर हमारे शरीर को बीटा कैरोटीन देने वाला पीले रंग का टमाटर विकसित करने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि काले रंग के टमाटर से अधिक मात्रा में लाइकोपीन मिलेगा.

पीले रंग के टमाटर
पीले रंग के टमाटर

कोरोना के बाद सोच में तब्दीली : डॉक्टर बीएस तोमर के अनुसार कोरोना के बाद खास तौर पर शाकाहार पर निर्भर रहने वाले लोगों में सेहत के प्रति काफी जागरूकता आई है. ऐसे में लोग अपने भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहते हैं. मसलन विटामिन, मिनरल्स या एंटी ऑक्सीडेंट्स को शामिल करके इम्यूनिटी को विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है. तोमर के मुताबिक जिस तरह से हमारी आबादी अब दुनिया में सबसे ज्यादा है, ऐसे में आने वाले वक्त में पोषक तत्वों के लिहाज से बढ़ती आबादी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में काम हो रहा है.

एक अनुमान के मुताबिक भारत को साल 2040 तक 400 मिलियन टन सब्जियों की जरूरत होगी, जो आज 200 मिलियन टन के करीब है. ऐसे में उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही पोषकता पर ध्यान देने की जरूरत होगी. साथ ही सब्जी उपभोक्ता अब दवाइयों से ज्यादा खाद्य पदार्थों के जरिये अपने शरीर की जरूरत को पूरा करने पर ध्यान दे रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या ये सब्जियां सेहत के लिये रंग बदलने के बाद कोई नकारात्मक असर तो नहीं डालेगी. तो उन्होंने बताया कि यह सब्जियां प्राकृतिक तरीके से विकसित की जा रही है. अलग-अलग रंग में विकसित की गई सब्जियों से शरीर को किसी प्रकार की हानि की संभावना नहीं है.

जानिए रंग बिरंगी सब्जियों के फायदे

जयपुर. आने वाले दिनों में उपभोक्ता की डिमांड के अनुसार उनकी पसंद वाली सब्जियों में जरूरत के पोषक तत्वों की आपूर्ति की जा सकेगी. भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र की नई खोज की बदौलत ये सब कुछ मुमकिन होने जा रहा है. देश की बढ़ती आबादी की जरूरतों का ध्यान रखते हुए नई तकनीक के साथ कृषि को बाजार के साथ जोड़ा जा रहा है. जिससे उपभोक्ता अपनी पसंद की सब्जियों में जरूरत के पोषक तत्वों की भरपाई कर सकेंगे. इस सिलसिले में ईटीवी भारत ने भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र की वेजिटेबल साइंस विभाग के प्रमुख डॉ. बीएस तोमर से बातचीत की. वे जयपुर स्थित दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केन्द्र में एक कार्यक्रम में आये थे. उन्होंने बताया कि आने वाले वक्त में कैसे सब्जियों के परंपरागत रंग बदल जाएंगे और पालक का सेवन आयरन के लिये नहीं बल्कि विटामिन सी के लिये भी किया जा सकेगा.

रंग बिरंगी गोभी
रंग बिरंगी गोभी

रंग बदलती सब्जियां, यह होगा खास : डॉ बीएस तोमर के मुताबिक आने वाले समय में परंपरागत सब्जियों के रंग और उनमें उपलब्ध पोषक तत्वों की पहचान बदल जाएगी. इसके लिए उनका शाकीय विज्ञान तेजी से डेडीकेटेड रिसर्च में व्यस्त है. जहां सब्जियों की उन्नत किस्मों के साथ ही संकर और संरक्षित खेती के लिये किस्मों के विकास पर जोर दिया जा रहा है. डॉ. तोमर ने बताया कि आज का खाद्य उपभोक्ता सब्जियों में भी अभिनव प्रयोग को पसंद कर रहा है, मसलन नीली गोभी, पीली गोभी या ऑरेंज कलर की गोभी, लाल रंग की भिंडी, लाइकोपीन रिच टोमेटो या विटामिन सी रिच पालक जैसी जरूरत आज उपभोक्ता महसूस कर रहा है.

लाल रंग की भिंडी
लाल रंग की भिंडी

ऐसे में नीले रंग की फूल गोभी की खासियत होगी कि वह एंथोसाइनिन शरीर को देगी, जो कि एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है. जिसे हफ्ते में एक बार या दो बार खाने से शरीर की रोजमर्रा की जरूरत पूरी हो जाएगी. इसके अलावा इस नीली गोभी में कैंसर के वायरस को खत्म करने की ताकत भी होगी. इसमें मौजूद ग्लूकोज राफेन एंटी कैंसर के रूप में शरीर को ताकत देगा. इसी तरह से ऑरेंज रंग की गोभी बीटा कैरोटीन नाम का एंटीऑक्सीडेंट शरीर को देगी. जो हमारे शरीर को फ्री रेडिकल्स नाम के कणों से बचाता है. शरीर को रोजाना 5 मिलीग्राम बीटा कैरोटीन की जरूरत होती है. बाजार में उपलब्ध हरे रंग की ब्रोंकली की जगह अब नीले रंग की ब्रोंकली आएगी, जो रिच एंथोसाइन के कारण सेहतमंद होगी.

अंडे के जैसा बैंगन
अंडे के जैसा बैंगन

डॉक्टर तोमर ने बताया कि अब तक गहरे बैंगनी रंग या हल्के काले रंग के बैंगन प्रचलित हैं, परंतु अब बाजार में सफेद और हरे रंग का बैंगन भी आसानी से मिलेगा. पेड़ पर लगे बैंगन एक मर्तबा मुर्गी के अंडे के समान नजर आएंगे. जबकि हरे रंग का बैंगन लंबा होगा, जिसका बीज विकसित किया जा चुका है. खास तौर पर इनसे कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट (क्यूप्रिक और फ्रेक और क्लोरोजेनिक एसिड) की शरीर को आपूर्ति होगी. तोमर के मुताबिक जल्द ही भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र गुलाबी रंग के बैंगन का बीज भी विकसित कर लेगा. उन्होंने बताया कि लाल और केसरी रंग का टमाटर जो अब तक लाइकोपिन और विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है, आगे जाकर हमारे शरीर को बीटा कैरोटीन देने वाला पीले रंग का टमाटर विकसित करने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि काले रंग के टमाटर से अधिक मात्रा में लाइकोपीन मिलेगा.

पीले रंग के टमाटर
पीले रंग के टमाटर

कोरोना के बाद सोच में तब्दीली : डॉक्टर बीएस तोमर के अनुसार कोरोना के बाद खास तौर पर शाकाहार पर निर्भर रहने वाले लोगों में सेहत के प्रति काफी जागरूकता आई है. ऐसे में लोग अपने भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहते हैं. मसलन विटामिन, मिनरल्स या एंटी ऑक्सीडेंट्स को शामिल करके इम्यूनिटी को विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है. तोमर के मुताबिक जिस तरह से हमारी आबादी अब दुनिया में सबसे ज्यादा है, ऐसे में आने वाले वक्त में पोषक तत्वों के लिहाज से बढ़ती आबादी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में काम हो रहा है.

एक अनुमान के मुताबिक भारत को साल 2040 तक 400 मिलियन टन सब्जियों की जरूरत होगी, जो आज 200 मिलियन टन के करीब है. ऐसे में उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही पोषकता पर ध्यान देने की जरूरत होगी. साथ ही सब्जी उपभोक्ता अब दवाइयों से ज्यादा खाद्य पदार्थों के जरिये अपने शरीर की जरूरत को पूरा करने पर ध्यान दे रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या ये सब्जियां सेहत के लिये रंग बदलने के बाद कोई नकारात्मक असर तो नहीं डालेगी. तो उन्होंने बताया कि यह सब्जियां प्राकृतिक तरीके से विकसित की जा रही है. अलग-अलग रंग में विकसित की गई सब्जियों से शरीर को किसी प्रकार की हानि की संभावना नहीं है.

Last Updated : Jun 6, 2023, 2:37 PM IST
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