जोधपुर. स्पाइन इंजरी और ब्रेन स्टॉक के चलते लकवे के शिकार मरीजों के ठीक होने में सबसे ज्यादा महत्वूपर्ण (Physio Robot Developed in by Jodhpur IIT) भूमिका फिजियोथेरेपी की होती है. लगातार सही तरीके से थेरेपी दी जाए तो मरीज की मांसपेशियां पुनः सक्रिय होने से वह सामान्य हो सकते हैं. लेकिन कई कारणों से मरीज लंबी थेरेपी नहीं ले सकते हैं.
लेकिन अब जोधपुर आईआईटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में ऐसा फिजियो रोबोट तैयार किया है, जो यह काम आसान कर देगा. रोबोट की डिजाइन से जुड़ी रिसर्च के परिणाम इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवांस्ड रोबोटिक सिस्टम्स में प्रकाशित हुए हैं. विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जयंत मोहंता ने अपने साथी शोद्यार्थियों के साथ मिलकर यह तैयार किया है. जिसे अब जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने की तैयारी चल रही है.
डॉ मोहंता ने बताया कि अभी हमारी रिसर्च ऐसे लोगों के लिए है, जो सपाइन कोड इंजरी या ब्रेन स्टॉक से (IIT Jodhpur Innovation) गुजर रहे हैं. ऐसे लोगों का आधा शरीर लकवाग्रस्त या निष्क्रिय हो जाता है. कुछ के शरीर का निचला हिस्सा अपंग हो जाता है. ऐसे लोगों को पुन: सामान्य संरचना में लाने के लिए फिजियोथेरेपी देना जरूरी होता है. लेकिन प्रतिदिन डॉक्टर ऐसे मरीजों को चार से पांच घंटे थेरेपी नहीं दे सकता है पर रोबोट यह काम कर सकते हैं.
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डॉ मोहंता ने बताया कि रोबोट के प्रतिदिन नियमित थेरेपी देने से जो मरीज छह माह में ठीक (Robot for Physiotherapy) होता है वह दो माह में ठीक हो सकता है. उन्होंने बताया कि यह रोबोट बाकी थेरेपी रोबोट से अलग है. क्योंकि बाकी रोबोट एक तय तरीके से थेरेपी देते हैं. जबकि इस रोबोट की खासियत यह है कि ये सभी तरीके से थेरेपी देता है. यानी मरीज को स्वतंत्रता होगी कि वो जिस अंग के लिए चाहे इसका उपयोग कर सकता है. इस रोबोट से आसनी से हॉस्पिटल में भी उपयोग किया जा सकता है. इसके अलावा घर पर भी काम में लिया जा सकता है.
टेस्टिंग हुई, जल्द लोगों तक पहुंचाने की तैयारी : डॉ मोहंता बताते हैं कि इस रिसर्च का हमने सेमुलेशन टेस्ट किया है. इसके अलावा एक छोटे एक्सपेरिमेंटल प्रोटोटाइप भी तैयार किया है. इससे हम किसी मरीज के अंग को हर तरह से फिजियोथेरेपी दे सकते हैं. इस रोबोट से फिजियोथेरेपी के पास कई विकल्प आ जाएंगे जिससे मरीजों की रिकवरी तेज होगी. अब हमारा प्रयास है कि जल्द से जल्द लोगों तक यह पहुंचाया जाए जिससे उन्हें राहत मिल सके.
50 लाख लोगों को जरूरत : भारत में वर्तमान में 50 लाख से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो शरीर के नीचले हिस्से की अपंगता के शिकार हैं. यह आंकड़ा 2011 की जनगणना का है. इसमें बढ़ोतरी ही हुई है. ऐसे में लोगों के लिए रोबोट से फिजियोथेरेपी वरदान साबित हो सकती है. आईआईटी जोधपुर इस रोबोट के व्यावसायिक उत्पादन को लेकर भी बात कर रही है.