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एमपी, राजस्थान और यूपी से सबसे ज्यादा चोरी हुईं प्राचीन वस्तुएं : सरकारी डेटा - प्राचीन वस्तुओं की चोरी पर सरकारी आंकड़े

प्राचीन वस्तुओं की चोरी देश के लिए चिंता का विषय है. सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि पूरे भारत से 486 प्राचीन वस्तुएं चोरी हुई हैं. सबसे ज्यादा मामले मध्य प्रदेश के हैं, उसके बाद राजस्थान और यूपी का नंबर है.

Maximum antiques stolen from Madhya Pradesh
चोरी हुईं प्राचीन वस्तुएं
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Published : Jul 29, 2023, 10:35 PM IST

नई दिल्ली: भारत सरकार चुराई गई प्राचीन वस्तुओं को विदेशों से फिर से प्राप्त करने के प्रयास कर रही है. इस बीच आंकड़ों से पता चला है कि पूरे भारत से 486 प्राचीन वस्तुएं चोरी हुईं, जिनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शीर्ष तीन प्रभावित राज्य हैं.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश से 125 प्राचीन वस्तुएं चोरी हुई हैं, इसके बाद राजस्थान में 93 और उत्तर प्रदेश में 86 प्राचीन वस्तुएं चोरी हुई हैं. हालांकि, सरकार अब तक मध्य प्रदेश की 29, राजस्थान की 23 और उत्तर प्रदेश की 11 चोरी हुई प्राचीन वस्तुओं को पुनः प्राप्त करने में सफल रही है. रिकॉर्ड्स में कहा गया है कि 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से 486 प्राचीन वस्तुएं चोरी हो गई हैं, जिनमें से 91 बरामद भी कर ली गई हैं.

जिन राज्यों से भारतीय पुरातत्व स्थलों (एएसआई) के संरक्षित स्मारकों और स्थलों से प्राचीन वस्तुएं चोरी हुई हैं उनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना,उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और जम्मू और कश्मीर शामिल हैं.पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय के लिए चिंता की बात यह है कि ज्यादातर मामलों में राज्य सरकारें, निजी एजेंसियां ​​प्राचीन वस्तुओं की चोरी की जानकारी एएसआई को साझा नहीं करती हैं.

विडंबना यह है कि एएसआई के तहत संग्रहालयों से पुरावशेषों की चोरी का पता लगाने के लिए कोई समर्पित निगरानी सेल नहीं है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हवाले से एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि किसी भी प्रकार की चोरी या संबंधित घटनाओं को रोकने के लिए एएसआई के नियमित निगरानी और वार्ड कर्मचारियों के अलावा, निजी सुरक्षा गार्ड, राज्य पुलिस सशस्त्र गार्ड और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को आवश्यकता के अनुसार तैनात किया गया है.

उन्होंने कहा कि 'यदि केंद्रीय संरक्षित स्मारकों, स्थलों या संग्रहालयों में पुरावशेषों की कोई चोरी होती है, तो संबंधित पुलिस स्टेशन में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की जाती है और सभी कस्टम निकास चैनलों सहित सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को 'लुक आउट नोटिस' जारी किया जाता है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), पुलिस आदि को चोरी की गई प्राचीन वस्तुओं का पता लगाने और अवैध निर्यात की ऐसी किसी भी अनचाही घटना को रोकने के लिए निगरानी रखने के लिए कहा गया है.'

तीन लुक आउट नोटिस जारी : 2018 से अब तक एएसआई द्वारा तीन लुक आउट नोटिस जारी किए गए हैं. एएसआई के तहत 3695 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों (सीपीएम) और स्थलों में से केवल 83 सीपीएम को सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी कैमरे उपलब्ध कराए गए हैं. जो पुरावशेष भारत से चुराए गए हैं और उनके पास पर्याप्त दस्तावेजी सबूत हैं, उन्हें वापस लेने का दावा किया जा रहा है और यह एक सतत प्रक्रिया है.

उन्होंने कहा कि 'हालांकि, जिन पुरावशेषों का दस्तावेजीकरण नहीं किया गया है और जिनके बारे में भारत में कहीं से भी चोरी होने की सूचना है, उन्हें पुनः प्राप्त करना मुश्किल है.'

निजी संग्रहों और संग्रहालयों में मौजूद पुरावशेषों को पुनः प्राप्त करना बहुत कठिन होता है क्योंकि पर्याप्त दस्तावेजी सबूत होने के बाद भी, दूसरा पक्ष कभी-कभी उन्हें वापस करने से कतराता है, क्योंकि उन्होंने ऐसी पुरावशेषों को खरीदने में बड़ी रकम खर्च की है.

अधिकारी ने कहा कि 'नागदा, राजस्थान की अप्सरा नाम की एक पत्थर की मूर्ति अमेरिका के डेनवर संग्रहालय में है. संग्रहालय के अधिकारियों ने पर्याप्त दस्तावेजी सबूत उपलब्ध कराने के बाद भी मामले में देरी की है.'

अधिकारी ने कहा, 'दस्तावेज़ीकरण की कमी के कारण विभिन्न देशों से प्राचीन वस्तुओं की पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया में बाधा आ रही है.' गौरतलब है कि पूरे देश में एएसआई के 55 साइट संग्रहालयों में दस्तावेज़ीकरण शुरू कर दिया गया है और 2023 के अंत तक पूरा होने की संभावना है.

कई देशों से चल रही है प्रक्रिया : डेटा से पता चलता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका से 31 प्राचीन कलाकृतियां, ऑस्ट्रेलिया से आठ, सिंगापुर से 17, ब्रिटेन से नौ, ऑस्ट्रेलिया से आठ, और स्विट्जरलैंड, बांग्लादेश, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, सिंगापुर से एक-एक प्राचीन कलाकृतियां विभिन्न चरणों में पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया में हैं.

स्विट्जरलैंड से वराह की एक पत्थर की मूर्ति की पुनर्प्राप्ति 2017 से लंबित है. इसी तरह तमिलनाडु से चुराई गई 16 पुरावशेषों को सिंगापुर से वापस लाने की प्रक्रिया लंबित है. एएसआई ने बांग्लादेश से विष्णु की पत्थर की मूर्ति (त्रिपुरा से चुराई गई) की पुनर्प्राप्ति का मामला उठाया है. एएसआई ने 9-10वीं शताब्दी की इस पुरानी मूर्ति को पुनः प्राप्त करने का मुद्दा उठाया है. हालांकि, बांग्लादेश में अधिकारी इस मामले में बार-बार पत्राचार के बावजूद चुप्पी साधे हुए हैं.

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नई दिल्ली: भारत सरकार चुराई गई प्राचीन वस्तुओं को विदेशों से फिर से प्राप्त करने के प्रयास कर रही है. इस बीच आंकड़ों से पता चला है कि पूरे भारत से 486 प्राचीन वस्तुएं चोरी हुईं, जिनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शीर्ष तीन प्रभावित राज्य हैं.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश से 125 प्राचीन वस्तुएं चोरी हुई हैं, इसके बाद राजस्थान में 93 और उत्तर प्रदेश में 86 प्राचीन वस्तुएं चोरी हुई हैं. हालांकि, सरकार अब तक मध्य प्रदेश की 29, राजस्थान की 23 और उत्तर प्रदेश की 11 चोरी हुई प्राचीन वस्तुओं को पुनः प्राप्त करने में सफल रही है. रिकॉर्ड्स में कहा गया है कि 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से 486 प्राचीन वस्तुएं चोरी हो गई हैं, जिनमें से 91 बरामद भी कर ली गई हैं.

जिन राज्यों से भारतीय पुरातत्व स्थलों (एएसआई) के संरक्षित स्मारकों और स्थलों से प्राचीन वस्तुएं चोरी हुई हैं उनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना,उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और जम्मू और कश्मीर शामिल हैं.पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय के लिए चिंता की बात यह है कि ज्यादातर मामलों में राज्य सरकारें, निजी एजेंसियां ​​प्राचीन वस्तुओं की चोरी की जानकारी एएसआई को साझा नहीं करती हैं.

विडंबना यह है कि एएसआई के तहत संग्रहालयों से पुरावशेषों की चोरी का पता लगाने के लिए कोई समर्पित निगरानी सेल नहीं है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हवाले से एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि किसी भी प्रकार की चोरी या संबंधित घटनाओं को रोकने के लिए एएसआई के नियमित निगरानी और वार्ड कर्मचारियों के अलावा, निजी सुरक्षा गार्ड, राज्य पुलिस सशस्त्र गार्ड और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को आवश्यकता के अनुसार तैनात किया गया है.

उन्होंने कहा कि 'यदि केंद्रीय संरक्षित स्मारकों, स्थलों या संग्रहालयों में पुरावशेषों की कोई चोरी होती है, तो संबंधित पुलिस स्टेशन में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की जाती है और सभी कस्टम निकास चैनलों सहित सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को 'लुक आउट नोटिस' जारी किया जाता है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), पुलिस आदि को चोरी की गई प्राचीन वस्तुओं का पता लगाने और अवैध निर्यात की ऐसी किसी भी अनचाही घटना को रोकने के लिए निगरानी रखने के लिए कहा गया है.'

तीन लुक आउट नोटिस जारी : 2018 से अब तक एएसआई द्वारा तीन लुक आउट नोटिस जारी किए गए हैं. एएसआई के तहत 3695 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों (सीपीएम) और स्थलों में से केवल 83 सीपीएम को सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी कैमरे उपलब्ध कराए गए हैं. जो पुरावशेष भारत से चुराए गए हैं और उनके पास पर्याप्त दस्तावेजी सबूत हैं, उन्हें वापस लेने का दावा किया जा रहा है और यह एक सतत प्रक्रिया है.

उन्होंने कहा कि 'हालांकि, जिन पुरावशेषों का दस्तावेजीकरण नहीं किया गया है और जिनके बारे में भारत में कहीं से भी चोरी होने की सूचना है, उन्हें पुनः प्राप्त करना मुश्किल है.'

निजी संग्रहों और संग्रहालयों में मौजूद पुरावशेषों को पुनः प्राप्त करना बहुत कठिन होता है क्योंकि पर्याप्त दस्तावेजी सबूत होने के बाद भी, दूसरा पक्ष कभी-कभी उन्हें वापस करने से कतराता है, क्योंकि उन्होंने ऐसी पुरावशेषों को खरीदने में बड़ी रकम खर्च की है.

अधिकारी ने कहा कि 'नागदा, राजस्थान की अप्सरा नाम की एक पत्थर की मूर्ति अमेरिका के डेनवर संग्रहालय में है. संग्रहालय के अधिकारियों ने पर्याप्त दस्तावेजी सबूत उपलब्ध कराने के बाद भी मामले में देरी की है.'

अधिकारी ने कहा, 'दस्तावेज़ीकरण की कमी के कारण विभिन्न देशों से प्राचीन वस्तुओं की पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया में बाधा आ रही है.' गौरतलब है कि पूरे देश में एएसआई के 55 साइट संग्रहालयों में दस्तावेज़ीकरण शुरू कर दिया गया है और 2023 के अंत तक पूरा होने की संभावना है.

कई देशों से चल रही है प्रक्रिया : डेटा से पता चलता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका से 31 प्राचीन कलाकृतियां, ऑस्ट्रेलिया से आठ, सिंगापुर से 17, ब्रिटेन से नौ, ऑस्ट्रेलिया से आठ, और स्विट्जरलैंड, बांग्लादेश, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, सिंगापुर से एक-एक प्राचीन कलाकृतियां विभिन्न चरणों में पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया में हैं.

स्विट्जरलैंड से वराह की एक पत्थर की मूर्ति की पुनर्प्राप्ति 2017 से लंबित है. इसी तरह तमिलनाडु से चुराई गई 16 पुरावशेषों को सिंगापुर से वापस लाने की प्रक्रिया लंबित है. एएसआई ने बांग्लादेश से विष्णु की पत्थर की मूर्ति (त्रिपुरा से चुराई गई) की पुनर्प्राप्ति का मामला उठाया है. एएसआई ने 9-10वीं शताब्दी की इस पुरानी मूर्ति को पुनः प्राप्त करने का मुद्दा उठाया है. हालांकि, बांग्लादेश में अधिकारी इस मामले में बार-बार पत्राचार के बावजूद चुप्पी साधे हुए हैं.

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