उदयपुर. पूरे देश में धूमधाम से नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है. ईटीवी भारत भी आपको हर रोज माता रानी की उन प्राचीन मंदिरों के दर्शन करवा रहा है, जो काफी विख्यात हैं. ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के उदयपुर जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया भर से श्रद्धालु माता रानी के दर्शन के लिए आते हैं. इतना ही नहीं ये दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां माता रानी अग्नि स्नान करती हैं. साथ ही मान्यता है कि जो भी भक्त यहां माता के दर्शन करता है, उसकी मां सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.
उदयपुर में स्थित है माता का विश्व विख्यात मंदिर : लेक सिटी से करीब 60 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों में मां ईडाणा का मंदिर स्थित है. ये मंदिर भारत ही नहीं, बल्कि समूचे में विश्व में विख्यात है. मेवाड़ के शक्तिपीठों में से एक ईडाणा माता के इस मंदिर में अग्नि स्नान काफी प्रसिद्ध है. नवरात्रि के पर्व पर यहां भारी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु माता रानी के दर्शन के लिए आते हैं. इस बार भी नवरात्रि पर भक्तों के आने का सिलसिला जारी है. यही वजह है कि यहां सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लग रहा है. वहीं, यहां रोजाना माता रानी की विशेष पूजा व महाआरती होती है.
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यहां माता करती हैं अग्नि स्नान : ये दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां माता रानी अग्नि स्नान करती हैं. यह मंदिर भक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र भी है, क्योंकि मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. वहीं, ईडाणा माता को मेवल महाराणी भी कहा जाता है. मंदिर में अग्नि स्नान के दौरान अग्नि कैसे जलती है, इसके बारे अब तक किसी को कुछ भी पता नहीं चल सका है. मान्यता है कि ईडाणा माता पर अधिक भार होने पर वो स्वयं ज्वालादेवी का रूप धारण कर लेती हैं. इस दौरान आग की लपटें 10 से 20 फीट तक उठती हैं, लेकिन खास बात यह है कि अग्नि स्नान के दौरान आज तक श्रृंगार के अलावा किसी अन्य चीज पर कोई आंच तक नहीं आई है. मां की ज्योति भी वैसे ही जलती रहती है. इस मंदिर में राजस्थान के साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश समेत देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं आते हैं.
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स्थानीय श्रद्धालुओं की मानें तो मंदिर में अग्नि स्नान का अपना एक विशेष महत्व है. यहां माता को चुनरी व अन्य कपड़े चढ़ावे के रूप में चढ़ाए जाते हैं. माता रानी के ऊपर इनका भार जैसे ही होता है, वैसे ही वो अग्नि स्नान करने लगती हैं. चढ़ावे के पहने कपडे़ को जला देती हैं, लेकिन माता की मूर्ति पर इसका कोई असर नहीं होता है. अग्नि स्नान के वक्त माता की मूर्ति सही सलामत रहती है. दूसरी तरफ मां के समीप अखंड ज्योति जलती रहती है. हालांकि, इस अग्नि स्नान का कोई समय और तारीख निर्धारित नहीं है.
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रोगों से मिलती श्रद्धालुओं को निजात : इस प्राचीन मंदिर में दर्शन करने के लिए देश व विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. यहां अलग-अलग बीमारियों से ग्रसित खासकर लकवा पीड़ित मां के दर्शन के लिए आते हैं और निरोगी काया के साथ मुस्कुराते हुए अपने घरों को लौटते हैं.