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Rajasthan High Court: पूर्व आईजी को मौत के 13 साल बाद मिला न्याय, पेंशन कटौती का 24 साल पुराना आदेश रद्द - ईटीवी भारत राजस्थान न्यूज

राजस्थान हाईकोर्ट से पूर्व आईजी को मौत के 13 साल बाद न्याय मिला है. कोर्ट ने उनकी पेंशन काटने के 24 साल पुराने आदेश को रद्द कर दिया है.

Rajasthan High Court, Former IG got justice 13 years after his death
पूर्व आईजी को मौत के 13 साल बाद मिला न्याय.
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 19, 2023, 9:11 PM IST

जयपुर. आईजी जेल के पद से 32 साल पहले रिटायर हुए रामानुज शर्मा को मौत के करीब 13 साल बाद राजस्थान हाईकोर्ट से न्याय मिला है. हाईकोर्ट ने उनकी पेंशन काटने के 24 साल पुराने आदेश को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही काटी गई राशि नौ फीसदी ब्याज सहित लौटाने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश रामानुज शर्मा के उत्तराधिकारी राम मधुकर शर्मा व अन्य की याचिका पर दिए.

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि रामानुज शर्मा तीस जून 1991 को रिटायर होने वाले थे, लेकिन उन्हें 17 साल पुराने एक मामले में 29 जून 1991 को चार्जशीट दी गई. जिससे उनके पेंशन परिलाभ रुक गए. वहीं रिटायर होने के बाद जून 1999 को लंबित मामले में दो साल तक उनकी पेंशन में से पांच फीसदी राशि काटने की सजा दी गई. जिसे चुनौती देते हुए कहा गया कि इतने सालों बाद चार्जशीट देना गलत है.

पढ़ेंः Rajasthan High Court : परिवीक्षा काल में दिए वेतन की रिकवरी पर रोक, मांगा जवाब

रिटायर होने के बाद किसी गंभीर मामले में ही दंडित किया जा सकता है, जबकि याचिकाकर्ता को जिस मामले में दंडित किया गया है, वह ज्यादा गंभीर नहीं है. ऐसे में उन्हें रिटायर होने के बाद दंडित नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट में 24 साल चली इस याचिका के लंबित रहने के दौरान करीब 13 साल पहले रामानुज शर्मा का निधन हो गया. इस पर उनके उत्तराधिकारी ने याचिका को जारी रखा. वहीं, इस मामले में अब राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने उनकी पेंशन काटने के 24 साल पुराने आदेश को रद्द कर दिया है.

जयपुर. आईजी जेल के पद से 32 साल पहले रिटायर हुए रामानुज शर्मा को मौत के करीब 13 साल बाद राजस्थान हाईकोर्ट से न्याय मिला है. हाईकोर्ट ने उनकी पेंशन काटने के 24 साल पुराने आदेश को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही काटी गई राशि नौ फीसदी ब्याज सहित लौटाने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश रामानुज शर्मा के उत्तराधिकारी राम मधुकर शर्मा व अन्य की याचिका पर दिए.

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि रामानुज शर्मा तीस जून 1991 को रिटायर होने वाले थे, लेकिन उन्हें 17 साल पुराने एक मामले में 29 जून 1991 को चार्जशीट दी गई. जिससे उनके पेंशन परिलाभ रुक गए. वहीं रिटायर होने के बाद जून 1999 को लंबित मामले में दो साल तक उनकी पेंशन में से पांच फीसदी राशि काटने की सजा दी गई. जिसे चुनौती देते हुए कहा गया कि इतने सालों बाद चार्जशीट देना गलत है.

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रिटायर होने के बाद किसी गंभीर मामले में ही दंडित किया जा सकता है, जबकि याचिकाकर्ता को जिस मामले में दंडित किया गया है, वह ज्यादा गंभीर नहीं है. ऐसे में उन्हें रिटायर होने के बाद दंडित नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट में 24 साल चली इस याचिका के लंबित रहने के दौरान करीब 13 साल पहले रामानुज शर्मा का निधन हो गया. इस पर उनके उत्तराधिकारी ने याचिका को जारी रखा. वहीं, इस मामले में अब राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने उनकी पेंशन काटने के 24 साल पुराने आदेश को रद्द कर दिया है.

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