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HC ने दिल्ली में गैरकानूनी तरीके से बनाए गए मंदिर को हटाने के निर्देश दिए

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Published : Dec 20, 2021, 7:28 PM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार (Delhi Government) को दक्षिण दिल्ली में सरकारी जमीन पर गैरकानूनी तरीके से बने मंदिर हटाने (Delhi HC remove illegally-built temple) का निर्देश देते हुए कहा कि वहां कोई धार्मिक गतिविधियां नहीं चल रही हैं. उच्च न्यायालय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले ही एक बार निर्देश दे चुका है कि मंदिर या गुरुद्वारे के नाम पर अवैध निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

Delhi HC
दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार (Delhi Government) को दक्षिण दिल्ली में सरकारी जमीन पर गैरकानूनी तरीके से बने मंदिर हटाने (Delhi HC remove illegally-built temple ) का निर्देश देते हुए कहा कि वहां कोई धार्मिक गतिविधियां नहीं चल रही हैं.

उच्च न्यायालय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले ही एक बार निर्देश दे चुका है कि मंदिर या गुरुद्वारे के नाम पर अवैध निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती है, ऐसे में कोई सवाल नहीं उठता है कि अतिक्रमण को जल्दी ना हटाया जाए, ताकि उसका दुरुपयोग ना हो.

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली (Justice Rekha Palli) एकल पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि दक्षिण दिल्ली के डिफेंस कालोनी इलाके में किसी की संपत्ति के सामने गैरकानूनी तरीके से किए गए अतिक्रमण को 10 दिन के भीतर हटाया जाए और दिल्ली पुलिस से इस संबंध में सहायता करने को कहा है.

अदालत ने टिप्पणी की, 'वर्षों से पूरे शहर को मजाक बनाकर रखा गया है... जब उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय को अतिक्रमण का पता चलता है, फिर धार्मिक समिति का मामला कहां से आया? उसमें (उपराज्यपाल के नोट में) कहां कहा गया है कि अदालत अवैध निर्माण को गिराने का आदेश नहीं दे सकता है?'

इसपर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि अदालत ध्वस्तीकरण का आदेश दे सकता है, लेकिन अगर एजेंसियों को फैसला लेना है तो पहले उन्हें धार्मिक समिति से अनुमति लेनी होगी. अदालत ने संबंधित थाने के एसएचओ से सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि गैरकानूनी निर्माण (मंदिर) के भीतर रखी भगवान की प्रतिमाओं को पास के मंदिर में रखवाया जाए ताकि उनकी पवित्रता बनी रहे और हिन्दुओं की भावनाओं का भी सम्मान करना चाहिए.'

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अदालत ने संपत्ति के सामने गैरकानूनी तरीके स निर्मित मंदिर के रूप में हुए अतिक्रमण को हटाने का अनुरोध करने वाली याचिका को स्वीकार किया.सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार और पुलिस की ओर से वकील अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि निर्माण को गिराने पर सहमति प्राप्त करने के लिए उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली धार्मिक समिति को यह प्रस्ताव फिर से भेजा जाएगा.

ये भी पढ़ें: यौन शोषण की पीड़ित छात्रा ने की खुदकुशी, सुसाइड नोट में लिखा 'सिर्फ कोख और कब्र ही सुरक्षित'

अदालत ने उपराज्यपाल के नोट का भी अवलोकन किया और कहा कि इसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि कोई ध्वस्तीकरण नहीं होना चाहिए अगर यह सक्षम अदालत के आदेशों के विपरीत है. याचिका में कहा गया था कि कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ लोगों ने अतिक्रमण करके भीष्म पितामह मार्ग पर उसकी संपत्ति के ठीक सामने सार्वजनिक भूमि, जो फुटपाथ है, पर अवैध तरीके से मंदिर का निर्माण कर दिया.

(भाषा)

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार (Delhi Government) को दक्षिण दिल्ली में सरकारी जमीन पर गैरकानूनी तरीके से बने मंदिर हटाने (Delhi HC remove illegally-built temple ) का निर्देश देते हुए कहा कि वहां कोई धार्मिक गतिविधियां नहीं चल रही हैं.

उच्च न्यायालय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले ही एक बार निर्देश दे चुका है कि मंदिर या गुरुद्वारे के नाम पर अवैध निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती है, ऐसे में कोई सवाल नहीं उठता है कि अतिक्रमण को जल्दी ना हटाया जाए, ताकि उसका दुरुपयोग ना हो.

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली (Justice Rekha Palli) एकल पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि दक्षिण दिल्ली के डिफेंस कालोनी इलाके में किसी की संपत्ति के सामने गैरकानूनी तरीके से किए गए अतिक्रमण को 10 दिन के भीतर हटाया जाए और दिल्ली पुलिस से इस संबंध में सहायता करने को कहा है.

अदालत ने टिप्पणी की, 'वर्षों से पूरे शहर को मजाक बनाकर रखा गया है... जब उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय को अतिक्रमण का पता चलता है, फिर धार्मिक समिति का मामला कहां से आया? उसमें (उपराज्यपाल के नोट में) कहां कहा गया है कि अदालत अवैध निर्माण को गिराने का आदेश नहीं दे सकता है?'

इसपर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि अदालत ध्वस्तीकरण का आदेश दे सकता है, लेकिन अगर एजेंसियों को फैसला लेना है तो पहले उन्हें धार्मिक समिति से अनुमति लेनी होगी. अदालत ने संबंधित थाने के एसएचओ से सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि गैरकानूनी निर्माण (मंदिर) के भीतर रखी भगवान की प्रतिमाओं को पास के मंदिर में रखवाया जाए ताकि उनकी पवित्रता बनी रहे और हिन्दुओं की भावनाओं का भी सम्मान करना चाहिए.'

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अदालत ने संपत्ति के सामने गैरकानूनी तरीके स निर्मित मंदिर के रूप में हुए अतिक्रमण को हटाने का अनुरोध करने वाली याचिका को स्वीकार किया.सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार और पुलिस की ओर से वकील अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि निर्माण को गिराने पर सहमति प्राप्त करने के लिए उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली धार्मिक समिति को यह प्रस्ताव फिर से भेजा जाएगा.

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अदालत ने उपराज्यपाल के नोट का भी अवलोकन किया और कहा कि इसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि कोई ध्वस्तीकरण नहीं होना चाहिए अगर यह सक्षम अदालत के आदेशों के विपरीत है. याचिका में कहा गया था कि कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ लोगों ने अतिक्रमण करके भीष्म पितामह मार्ग पर उसकी संपत्ति के ठीक सामने सार्वजनिक भूमि, जो फुटपाथ है, पर अवैध तरीके से मंदिर का निर्माण कर दिया.

(भाषा)

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