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ताइवानी पपीते की खेती से बदली युवा किसान की जिंदगी, हर माह हो रही एक लाख से ज्यादा कमाई

आज हम बात करेंगे भरतपुर के उस युवा किसान की, जिसने पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की जगह खेती को बतौर करियर चुना. आज हर माह एक लाख से अधिक की कमाई कर रहा है.

cultivating Taiwanese papaya
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 2, 2023, 7:01 PM IST

प्रगतिशील किसान तेजवीर सिंह

भरतपुर. आजकल युवा उच्च शिक्षा ग्रहण कर नौकरी की तलाश में जुट जाते हैं, लेकिन भरतपुर के एक युवक ने उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी या फिर नौकरी तलाशने के बजाए खेती को चुना. यह युवक अपने खेत में प्रगतिशील तरीके से ताइवानी पपीते की खेती कर रहा है और हर माह करीब एक लाख रुपए से अधिक कमा रहा है. युवक का कहना है कि यदि हमारा किसान परंपरागत तरीके के बजाए प्रगतिशील और वैज्ञानिक तरीके से खेती करे तो एक नौकरी वाले व्यक्ति से अधिक आय अर्जित कर सकता है. आइए जानते हैं भरतपुर के युवा किसान की सफलता की कहानी.

पढ़ाई के बाद चुनी खेती - जिले के विजयपुरा निवासी युवा किसान तेजवीर सिंह ने बताया कि उन्होंने बीएड तक पढ़ाई की है. बीएड के बाद उन्होंने शिक्षक भर्ती की तैयारी करने के बजाए अपनी पैतृक जमीन पर खेती करने का निर्णय लिया. इसके लिए उन्होंने बागवानी विभाग से भी मदद ली. साथ ही वैज्ञानिक तरीके से ताइवानी पपीते की खेती करने का निर्णय लिया.

5 बीघा में 1600 पौधे - किसान तेजवीर ने बताया कि उन्होंने ताइवानी पपीता के बीज मंगा कर खुद पौध तैयार की. 5 बीघा में मिट्टी के बेड तैयार कर 1600 पौधे लगाए. इस दौरान मल्च और लो टनल का उपयोग कर पपीता के पौधों को रोग और मौसम की मार से भी बचाया. साथ ही ड्रिप फार्मिंग से पपीतों की सिंचाई की. इससे पपीता की फसल को सही ग्रोथ मिली. वहीं, इन सुविधाओं के लिए बागवानी विभाग से अनुदान (75-75%) भी मिला.

cultivating Taiwanese papaya
प्रगतिशील खेती से समृद्धि

इसे भी पढ़ें - Special : कृषक दंपती का अनूठा जैविक फार्म हाउस, बाजार कीमत से तीन गुना महंगा बिक रहा गाय का घी और अनाज

गेंदा-टमाटर से निकाली लागत - किसान तेजवीर ने बताया कि पपीता की बुवाई आदि की लागत करीब 2.50 लाख रुपए आई थी. पपीता की फसल को तैयार होने में करीब 6 माह का वक्त लगा. इस दौरान पपीता के पौधों के बीच में जो खाली जगह थी, उसमें गेंदा और टमाटर के पौधे लगा दिए. मई 2023 तक (6 माह में) करीब 2 लाख रुपए के गेंदा और 50 हजार रुपए के टमाटर की पैदावार हो गई. इससे पपीता की बुवाई की लागत निकल आई.

हर माह 1 लाख की आय - किसान तेजवीर ने बताया कि अब जुलाई से पपीता की पैदावार होना शुरू हो गई है. हर माह करीब 20 क्विंटल तक पपीता की पैदावार हो रही है. मंडी में भाव भी 50 रुपए प्रति किलो तक मिल रहा है. ऐसे में ताइवानी पपीता से हर माह करीब एक लाख रुपए तक आय हो रही है. आगामी करीब डेढ़ साल तक इन्हीं पौधों से पपीता की फसल मिलती रहेगी. यदि सब कुछ ठीक रहा और अच्छे भाव मिले तो आगामी डेढ़ साल में 20 लाख रुपए तक आय होने की संभावना है.

cultivating Taiwanese papaya
खेती से बदली युवा किसान की जिंदगी

इसे भी पढ़ें - भरतपुर में चीकू की बागवानी से 6 गुना मुनाफा कमा रहे जगदीश, दूसरे राज्यों से गुर सिखने आ रहे किसान

हर माह हो रही 1 लाख से अधिक की कमाई - युवा किसान तेजवीर सिंह का कहना है कि सामान्य पपीता के पेड़ की बजाए ताइवानी पपीता पर तीन गुना अधिक फल लगता है. साथ ही किसान को परंपरागत खेती के बजाए तीन से चार गुना अधिक आय होती है. ऐसे में किसान को परंपरागत खेती के बजाए वैज्ञानिक तरीके से बागवानी वाली खेती कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहिए, जिससे किसान आर्थिक रूप से समृद्ध बन सके.

प्रगतिशील किसान तेजवीर सिंह

भरतपुर. आजकल युवा उच्च शिक्षा ग्रहण कर नौकरी की तलाश में जुट जाते हैं, लेकिन भरतपुर के एक युवक ने उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी या फिर नौकरी तलाशने के बजाए खेती को चुना. यह युवक अपने खेत में प्रगतिशील तरीके से ताइवानी पपीते की खेती कर रहा है और हर माह करीब एक लाख रुपए से अधिक कमा रहा है. युवक का कहना है कि यदि हमारा किसान परंपरागत तरीके के बजाए प्रगतिशील और वैज्ञानिक तरीके से खेती करे तो एक नौकरी वाले व्यक्ति से अधिक आय अर्जित कर सकता है. आइए जानते हैं भरतपुर के युवा किसान की सफलता की कहानी.

पढ़ाई के बाद चुनी खेती - जिले के विजयपुरा निवासी युवा किसान तेजवीर सिंह ने बताया कि उन्होंने बीएड तक पढ़ाई की है. बीएड के बाद उन्होंने शिक्षक भर्ती की तैयारी करने के बजाए अपनी पैतृक जमीन पर खेती करने का निर्णय लिया. इसके लिए उन्होंने बागवानी विभाग से भी मदद ली. साथ ही वैज्ञानिक तरीके से ताइवानी पपीते की खेती करने का निर्णय लिया.

5 बीघा में 1600 पौधे - किसान तेजवीर ने बताया कि उन्होंने ताइवानी पपीता के बीज मंगा कर खुद पौध तैयार की. 5 बीघा में मिट्टी के बेड तैयार कर 1600 पौधे लगाए. इस दौरान मल्च और लो टनल का उपयोग कर पपीता के पौधों को रोग और मौसम की मार से भी बचाया. साथ ही ड्रिप फार्मिंग से पपीतों की सिंचाई की. इससे पपीता की फसल को सही ग्रोथ मिली. वहीं, इन सुविधाओं के लिए बागवानी विभाग से अनुदान (75-75%) भी मिला.

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प्रगतिशील खेती से समृद्धि

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गेंदा-टमाटर से निकाली लागत - किसान तेजवीर ने बताया कि पपीता की बुवाई आदि की लागत करीब 2.50 लाख रुपए आई थी. पपीता की फसल को तैयार होने में करीब 6 माह का वक्त लगा. इस दौरान पपीता के पौधों के बीच में जो खाली जगह थी, उसमें गेंदा और टमाटर के पौधे लगा दिए. मई 2023 तक (6 माह में) करीब 2 लाख रुपए के गेंदा और 50 हजार रुपए के टमाटर की पैदावार हो गई. इससे पपीता की बुवाई की लागत निकल आई.

हर माह 1 लाख की आय - किसान तेजवीर ने बताया कि अब जुलाई से पपीता की पैदावार होना शुरू हो गई है. हर माह करीब 20 क्विंटल तक पपीता की पैदावार हो रही है. मंडी में भाव भी 50 रुपए प्रति किलो तक मिल रहा है. ऐसे में ताइवानी पपीता से हर माह करीब एक लाख रुपए तक आय हो रही है. आगामी करीब डेढ़ साल तक इन्हीं पौधों से पपीता की फसल मिलती रहेगी. यदि सब कुछ ठीक रहा और अच्छे भाव मिले तो आगामी डेढ़ साल में 20 लाख रुपए तक आय होने की संभावना है.

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खेती से बदली युवा किसान की जिंदगी

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हर माह हो रही 1 लाख से अधिक की कमाई - युवा किसान तेजवीर सिंह का कहना है कि सामान्य पपीता के पेड़ की बजाए ताइवानी पपीता पर तीन गुना अधिक फल लगता है. साथ ही किसान को परंपरागत खेती के बजाए तीन से चार गुना अधिक आय होती है. ऐसे में किसान को परंपरागत खेती के बजाए वैज्ञानिक तरीके से बागवानी वाली खेती कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहिए, जिससे किसान आर्थिक रूप से समृद्ध बन सके.

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