श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) की संशोधित मतदाता सूची में 'गैर-स्थानीय मतदाताओं को शामिल करने' (Voting Rights of Non Kashmiris) के मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (national conference) द्वारा सोमवार को बुलाई गई 'सर्वदलीय बैठक' संपन्न हो गई है. सज्जाद लोन नीत पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व वाली 'अपनी पार्टी' के नेताओं ने इस पार्टी में हिस्सा नहीं लिया. वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा बुलायी गई सर्वदलीय बैठक के खिलाफ 'जवाबी रणनीति' तय करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी सोमवार को एक बैठक बुलाई है. वहीं, आज चौंकाने वाली बात यह रही कि बैठक में शिवसेना ईकाई ने हिस्सा लिया था.
उच्च सुरक्षा वाले गुपकर इलाके में नेकां अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) के आवास पर बैठक आज सुबह शुरू हुई और इसमें नेकां नेताओं के अलावा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti), कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष विकार रसूल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता एम. वाई. तारिगामी और शिवसेना के नेताओं ने हिस्सा लिया.
शिवसेना जेके अध्यक्ष मनीष साहनी ने कहा कि वे अपनी विचारधाराओं के बावजूद लोगों की मदद के लिए एक साथ आए हैं. उद्धव ठाकरे खेमे से ताल्लुक रखने वाले साहनी ने कहा, "जम्मू और कश्मीर पीड़ित है और उन्हें आम जनता के दुखों को खत्म करने के लिए काम करना है." पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने यह कहते हुए बैठक में भाग नहीं लिया कि वह "प्वाइंट स्कोरर" नहीं बनना चाहते.
नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारुख अब्दुल्ला ने बैठक के बाद कहा, "हम सितंबर में सभी राष्ट्रीय दलों के नेताओं को जम्मू-कश्मीर में आमंत्रित करेंगे और अपने मुद्दों को उनके सामने रखेंगे." उन्होंने कहा कि गैर कश्मीरियों को मतदान के अधिकार देना गलत है. इससे कश्मीरियों की पहचान पर संकट गहरा जाएगा. उन्होंने कहा, "बाहरी लोगों को मतदान के अधिकार का निर्णय स्वीकार्य नहीं है और यदि आवश्यक हुआ तो हम इस कदम का विरोध करने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं." फारुख अब्दुल्ला ने कहा, "मैंने एलजी से सभी पार्टियों को आमंत्रित करने का अनुरोध किया था, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला," उन्होंने आगे कहा कि पिछली बार, एलजी ने कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर के नेताओं को बुलाएंगे, लेकिन वह अपनी बात पर कायम नहीं रहे. मुझे आश्चर्य है कि इसके लिए जम्मू-कश्मीर को क्यों चुना गया. कोई तो मकसद होगा."
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर की संशोधित मतदाता सूची में गैर-स्थानीय लोगा को मतदाता के तौर पर शामिल करने के मुद्दे पर उनकी पार्टी प्रदर्शन और भूख हड़ताल करेगी. लोन ने इस मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) द्वारा सोमवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला करते हुए कहा कि बैठक बुलाने का फैसला गंभीरता से लिया गया होता, तो इसका मीडिया में बखान नहीं किया जाता. लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने 2018 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से गठबंधन तोड़ लिया था.
उन्होंने पत्रकारों से कहा, "हम एक अक्टूबर तक इंतजार करेंगे, जब तक कि मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित नहीं हो जाता... चुनाव संबंधी जनसांख्यिकी को बदलने की कोशिश की गई तो हम यहां ही नहीं बल्कि संसद सहित सभी संवैधानिक संस्थानों के सामने सड़कों पर उतरेंगे. हम भूख हड़ताल करेंगे. लड़ाई केवल यहां नहीं लड़ी जा सकती... हमें भारत के लोगों को बताना होगा कि आखिर क्या हो रहा है."
प्रशासन ने हालांकि शनिवार को एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा था कि मतदाता सूची में संक्षिप्त संशोधन के बाद 25 लाख से अधिक मतदाताओं के शामिल होने की खबरों में 'निहित स्वार्थों के चलते तथ्यों को तोड़-मरोड़कर' पेश किया गया है.
प्रशासन द्वारा इस मुद्दे पर दिए गए स्पष्टीकरण पर उन्होंने कहा, "हम ना इसे पूरी तरह खारिज करते हैं और ना इससे पूरी तरह सहमत हैं." पार्टी नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व कानून सचिव मोहम्मद अशरफ भी लोन के साथ मौजूद थे. लोन ने कहा कि भारत के संविधान के तहत जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों का मतदाता के रूप में पंजीकरण संभव नहीं है. उन्होंने कहा, "यदि हम संबंधित कानून के बारे में अशरफ साहब की व्याख्या पर गौर करें, तो एक अक्टूबर तक जम्मू-कश्मीर में इतनी बड़ी संख्या में गैर-स्थानीय लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकृत करना संभव नहीं है, जब तक कि सरकार ऐसा ना करना चाहे. इसलिए हमें कानून से नहीं, कानून लागू करने वालों से खतरा है."
लोन ने कहा, "यह उन लोगों की मंशा की परीक्षा होगी, जो यहां या केंद्र सरकार में शासन कर रहे हैं. हम तब तक इंतजार करेंगे." सर्वदलीय बैठक पर पर उन्होंने कहा कि बैठक केवल चर्चा में बने रहने की कवायद लग रही है और वह इसका हिस्सा नहीं बनना चाहेंगे.
लोन ने पत्रकारों से कहा, "अगर यह (सर्वदलीय बैठक बुलाने का) कदम गंभीरता से लिया गया होता, तो मीडिया के सामने ऐसे नहीं उठाया जाता. अगर इसमें गंभीरता होती तो हम मिल भी लेते और आपको (मीडिया को) पता भी नहीं चलता. मैं फारूक अब्दुल्ला का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन उनकी इस राजनीति से सहमत नहीं हूं." उन्होंने कहा, "एक महिला (महबूबा मुफ्ती) ने कहा कि सर्वदलीय बैठक बुलाएं और दूसरे ने इसके लिए फोन किए. मुझे यह भी बताएं कि हम कितना दिखावा कर सकते हैं? हम चौबीसों घंटे एक-दूसरे की राजनीतिक रूप से आलोचना करते रहते हैं. मैंने कल ही उनकी आलोचना की और उससे एक दिन पहले उन्होंने मेरी आलोचना की थी. हम सब कुछ सही होने का दिखावा कब तक कर सकते हैं?"
लोन ने कहा, "महबूबा जी अपनी खोई जगह वापस पाने को बेताब हैं, सर्वदलीय बैठक बुलाने के लिए फरमान जारी करती हैं... महाराजा हरि सिंह का युग काफी समय पहले समाप्त हो गया है." लोन ने हालांकि कहा कि अगर बैठक से कुछ भी ठोस निकलता है, तो उनकी पार्टी उसका पूरे दिल से समर्थन करेगी.
नेकां और पीडीपी जैसे दलों ने दावा किया कि प्रशासन ने उनकी इस मुख्य चिंता का समाधान नहीं किया है कि क्या जम्मू-कश्मीर में सामान्यतया रहने वाले 'बाहरी' लोगों को मतदाता के रूप में अपना पंजीकरण कराने की अनुमति दी जाएगी या नहीं. स्पष्टीकरण से संतुष्ट ना होने के कारण उन्होंने सर्वदलीय बैठक करने का फैसला किया. वहीं, लोन ने पत्रकारों से कहा कि बैठक केवल चर्चा में बने रहने की कवायद लग रही है और वह इसका हिस्सा नहीं बनना चाहेंगे.
(पीटीआई-भाषा)