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उज्जैन के महाकाल परिसर में खुदाई के दौरान मिले थे हजारों साल पुराने मंदिर के अवशेष, अब होगा निर्माण, लागत 65 लाख

Ancient Temple found in Ujjain: उज्जैन के महाकाल मंदिर में महाकाल लोक निर्माण के समय एक दबे हुए मंदिर के पुराने अवशेष मिले थे. इसके बाद इन अवशेष को पुरातत्व विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया था. अब पुरातत्व विभाग इन अवशेषों के सहारे हजारों साल पुराने इस मंदिर का पुन: निर्माण करेगा. देखें, ETV Bharat की खास खबर...

Ancient Temple found in Ujjain
महाकाल में होगा प्राचीन मंदिर का निर्माण कार्य
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 22, 2023, 7:34 PM IST

Updated : Sep 22, 2023, 8:26 PM IST

उज्जैन में होगा हजारों साल पुराने प्राचीन मंदिर का पुन: निर्माण

उज्जैन। बाबा महाकाल मंदिर में महाकाल लोक के निर्माण के दौरान मिले एक दबे मंदिर के पुराने अवशेष को लेकर पुरातत्व विभाग मंदिर का निर्माण करेगा. पुरातत्व विभाग इस मंदिर के पुन: निर्माण के जरिए श्रद्दालुओं को मंदिर की प्राचीनता के बारे में जानकारी देगा. जो आने वाले समय में आकर्षण का केंद्र रहेगा. इस मंदिर की लागत करीबन 65 लाख रुपए बताई जा रही है.

दरअसल, जब मंदिर प्रांगण में महाकाल लोक के निर्माण कार्य चल रहा था. उसी दौरान महाकाल मंदिर के शिखर के सामने खुदाई की गई. उस खुदाई के दौरान करीबन 25 से 30 फीट जमीन के अंदर पुराने मंदिर के अवशेष मिले थे. इसके बाद पुरातत्व विभाग ने खुदाई कर अवशेष प्राप्त किए. इसके बाद उन्हें उसी जगह पर रख दिया गया. जब मंदिर के साधुओं को इस बात की जानकारी लगी, तो उन्होंने वहीं, मंदिर बनाने के लिए मोर्चा खोल दिया. जहां ये मंदिर के अवशेष मिले, उसी जगह पर एक बड़ा शिवलिंग भी मिला था. उसी के बाद उस जगह पर खुदाई का काम आगे बढ़ाया गया था. ये सारी प्रक्रिया मध्य पुरातत्व विभाग के शोध अधिकारी डॉ. ध्रुवेंद्र जोधा के निर्देशन में की गई थी.

प्राचीनकाल से पौराणिक वैभव ओढ़े है उज्जैन: बाबा महाकलेश्वर की नगरी प्राचीन काल से पौराणिक गाथाओं का वैभव ओढ़े है. यहां वनवास के दौरान राम, लक्ष्मण, सीता, उज्जैन आए थे. इनके अलावा श्री कृष्णा , बलराम, और सुदामा अपनी पढ़ाई के लिए उज्जैन आए थे. वही राजा भर्तृहरि ने उज्जैन में तपस्या की थी. राजा विक्रमादित्य के नाम विक्रम सावंत चलता है. ऐसे अनेको इतिहास उज्जैन नगरी से जुड़े मिलते हैं.

अब महाकाल लोक के निर्माण कार्य के समय खुदाई के दौरान प्राचीन मंदिर निकला. ये मंदिर हजारों साल पुराना बताया जा रहा है. अगले कुछ दिनों में यहां निर्माण कार्य शुरु हो जाएगा. मंदिर निर्माण के लिए छह महीने से एक साल का समय लग सकता है. महाकाल मंदिर में एक प्राचीन मंदिर की झलक भी देखने को मिलेगी. यह आने वाले श्रद्धालुओं को उज्जैन का इतिहास जानने और देखने को मिलेगा.

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पुरातत्व अधिकारी ने क्या बताया: उज्जैन पुरातत्व विभाग भोपाल के अधिकारी डॉ रमेश यादव ने बताया कि खोदाई के दौरान मंदिर का आधार भाग, प्राचीन शिव लिंग, नंदी, गणेश, मां चामुंडा, शार्दुल की मूर्तियां प्राप्त हुई थी. इसके अलावा भारवाही कीचक तथा दो हजार साल पुराने शुंग, कुषाण, मौर्य व परमार काल में निर्मित मिट्टी के बर्तन भी मिले थे. विभाग ने इस स्थान से मिले स्तंभ, कुंभ भाग, आमलक आदि के अवशेषों का वर्गीकरण शुरू किया था.

इसके बाद विभाग ने इन पुरा अवशेषों पर नंबरिंग भी है. इससे निर्माण के दौरान जो भाग जहां का है, वहीं स्थापित किया जा सके. पुरातत्व विभाग अब आधार भाग से शिखर तक के हिस्सों को जोड़कर मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ करेगें.

इसके अलावा उन्होंने बताया कि उज्जैन महाकाल मंदिर की नींव तक ले जाकर स्ट्रेक्चर की सफाई कर पुन: निर्माण करना शुरू करेंगे. मंदिर निर्माण का कार्य पत्थरों की उपलब्धता पर निर्भर करेगा. जो पार्टस कम रहेंगे, उन्हे बनाने में समय लगेगा. हमारा अनुमान है कि यहां 90 प्रतिशत पत्थर उपलब्ध है. ऐसे में छह महीने में कार्य पूर्ण हो जाएगा.

निर्माण के दौरान प्रतिदिन विशेषज्ञ विभाग को रिपोर्ट भी करेंगे. करीब 37 फीट की उंचाई वाला यह मंदिर अपने पौराणिक स्वरूप में आकार लेगा. श्री महाकालेश्वर मंदिर आने वाले श्रद्धालु इस प्राचीन मंदिर से पौराणिक इतिहास जान सकेंगे. हालांकि पुरातत्व विभाग मंदिर निर्माण के बाद मंदिर समिति को सौंप देगा.

उज्जैन में होगा हजारों साल पुराने प्राचीन मंदिर का पुन: निर्माण

उज्जैन। बाबा महाकाल मंदिर में महाकाल लोक के निर्माण के दौरान मिले एक दबे मंदिर के पुराने अवशेष को लेकर पुरातत्व विभाग मंदिर का निर्माण करेगा. पुरातत्व विभाग इस मंदिर के पुन: निर्माण के जरिए श्रद्दालुओं को मंदिर की प्राचीनता के बारे में जानकारी देगा. जो आने वाले समय में आकर्षण का केंद्र रहेगा. इस मंदिर की लागत करीबन 65 लाख रुपए बताई जा रही है.

दरअसल, जब मंदिर प्रांगण में महाकाल लोक के निर्माण कार्य चल रहा था. उसी दौरान महाकाल मंदिर के शिखर के सामने खुदाई की गई. उस खुदाई के दौरान करीबन 25 से 30 फीट जमीन के अंदर पुराने मंदिर के अवशेष मिले थे. इसके बाद पुरातत्व विभाग ने खुदाई कर अवशेष प्राप्त किए. इसके बाद उन्हें उसी जगह पर रख दिया गया. जब मंदिर के साधुओं को इस बात की जानकारी लगी, तो उन्होंने वहीं, मंदिर बनाने के लिए मोर्चा खोल दिया. जहां ये मंदिर के अवशेष मिले, उसी जगह पर एक बड़ा शिवलिंग भी मिला था. उसी के बाद उस जगह पर खुदाई का काम आगे बढ़ाया गया था. ये सारी प्रक्रिया मध्य पुरातत्व विभाग के शोध अधिकारी डॉ. ध्रुवेंद्र जोधा के निर्देशन में की गई थी.

प्राचीनकाल से पौराणिक वैभव ओढ़े है उज्जैन: बाबा महाकलेश्वर की नगरी प्राचीन काल से पौराणिक गाथाओं का वैभव ओढ़े है. यहां वनवास के दौरान राम, लक्ष्मण, सीता, उज्जैन आए थे. इनके अलावा श्री कृष्णा , बलराम, और सुदामा अपनी पढ़ाई के लिए उज्जैन आए थे. वही राजा भर्तृहरि ने उज्जैन में तपस्या की थी. राजा विक्रमादित्य के नाम विक्रम सावंत चलता है. ऐसे अनेको इतिहास उज्जैन नगरी से जुड़े मिलते हैं.

अब महाकाल लोक के निर्माण कार्य के समय खुदाई के दौरान प्राचीन मंदिर निकला. ये मंदिर हजारों साल पुराना बताया जा रहा है. अगले कुछ दिनों में यहां निर्माण कार्य शुरु हो जाएगा. मंदिर निर्माण के लिए छह महीने से एक साल का समय लग सकता है. महाकाल मंदिर में एक प्राचीन मंदिर की झलक भी देखने को मिलेगी. यह आने वाले श्रद्धालुओं को उज्जैन का इतिहास जानने और देखने को मिलेगा.

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पुरातत्व अधिकारी ने क्या बताया: उज्जैन पुरातत्व विभाग भोपाल के अधिकारी डॉ रमेश यादव ने बताया कि खोदाई के दौरान मंदिर का आधार भाग, प्राचीन शिव लिंग, नंदी, गणेश, मां चामुंडा, शार्दुल की मूर्तियां प्राप्त हुई थी. इसके अलावा भारवाही कीचक तथा दो हजार साल पुराने शुंग, कुषाण, मौर्य व परमार काल में निर्मित मिट्टी के बर्तन भी मिले थे. विभाग ने इस स्थान से मिले स्तंभ, कुंभ भाग, आमलक आदि के अवशेषों का वर्गीकरण शुरू किया था.

इसके बाद विभाग ने इन पुरा अवशेषों पर नंबरिंग भी है. इससे निर्माण के दौरान जो भाग जहां का है, वहीं स्थापित किया जा सके. पुरातत्व विभाग अब आधार भाग से शिखर तक के हिस्सों को जोड़कर मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ करेगें.

इसके अलावा उन्होंने बताया कि उज्जैन महाकाल मंदिर की नींव तक ले जाकर स्ट्रेक्चर की सफाई कर पुन: निर्माण करना शुरू करेंगे. मंदिर निर्माण का कार्य पत्थरों की उपलब्धता पर निर्भर करेगा. जो पार्टस कम रहेंगे, उन्हे बनाने में समय लगेगा. हमारा अनुमान है कि यहां 90 प्रतिशत पत्थर उपलब्ध है. ऐसे में छह महीने में कार्य पूर्ण हो जाएगा.

निर्माण के दौरान प्रतिदिन विशेषज्ञ विभाग को रिपोर्ट भी करेंगे. करीब 37 फीट की उंचाई वाला यह मंदिर अपने पौराणिक स्वरूप में आकार लेगा. श्री महाकालेश्वर मंदिर आने वाले श्रद्धालु इस प्राचीन मंदिर से पौराणिक इतिहास जान सकेंगे. हालांकि पुरातत्व विभाग मंदिर निर्माण के बाद मंदिर समिति को सौंप देगा.

Last Updated : Sep 22, 2023, 8:26 PM IST
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