उज्जैन। बाबा महाकालेश्वर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को महाकाल लोक गेट पर स्थित त्रिवेणी संग्रहालय में पुराणों को जानने की जानकारी मिलेगी और उसे देख सकेंगे. दरअसल, रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में उज्जैन का जिक्र करते हुए कहा कि उज्जैन में 18 कलाकर चित्रकथाएं बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम न केवल अपनी विरासत को अंगीकार करें, बल्कि उसे जिम्मेदारी से साथ विश्व के सामने प्रस्तुत भी करें. मुझे खुशी है कि ऐसा ही एक प्रयास इन दिनों उज्जैन में चल रहा है. यहां देशभर के 18 चित्रकार, पुराणों पर आधारित आकर्षक चित्रकथाएं बना रहे हैं.
पीएम मोदी की मान की बात का था 103 एपिसोडः बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मान की बात का 103 एपिसोड था. उसी दौरान देश की जनता को संबोधित करते हुए उज्जैन के त्रिवेणी संग्रहालय का जिक्र किया. पीएम ने बताया कि ये चित्र बूंदी शैली, नाथद्वारा शैली, पहाड़ी शैली और अपभ्रंश शैली जैसी 18 विशिष्ट शैलियों में बनेंगे. इन्हें उज्जैन के त्रिवेणी संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा, यानी कुछ समय बाद जब आप उज्जैन जाएंगे, तो महाकाल, महालोक के साथ-साथ एक और दिव्य स्थान के आप दर्शन कर सकेंगे.
इन 18 पुराणों की पेंटिंग तैयार की जा रही है.
पुराण | चित्रकार | शैली |
भागवत पुराण | विजय शर्मा | गुलेर |
मार्कण्डेय पुराण | वैकुंठम नक्काश | चेरियाल पटम |
ब्र्हम पुराण | विश्वनाथ रेड्डी | कलमकारी |
अग्नि पुराण | जे एस श्रीधर राव | मैसूर |
लिंग पुराण | कैलाश चंद्र शर्मा | जैन शैली |
वामन पुराण | एम महेश | तंजाबुर |
कुर्मा पुराण | एम रमेश राज | नायका |
विष्णु पुराण | प्रहलाद महाराणा | उडियापट्ट |
ब्रह्माण्ड पुराण | रघुपति भट्ट | गंजिफा |
स्कन्द पुराण | शांति देवी झा | मधुबनी |
शिव पुराण | सुजीथ कुमार | केरला म्यूरल |
भविष्य पुराण | ||
मत्स्य पुराण | ||
पदम् पुराण | शहजाद अली | किशन गढ़ |
वहार पुराण | श्री भज्जु श्याम सिंह | गोण्डा चित्र शैली |
ब्रहम वैवर्त | जय शंकर शर्मा | बूंदी |
वराह | भज्जू सिंह | गौंड |
गरुड़ पुराण | नरोत्तम शर्मा | नाथद्वारा |
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इन राज्यों के कलाकार बना रहे चित्रकारीः वहीं, त्रिवेणी संग्रहालय के प्रबंधक गौरव तिवारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में त्रिवेणी संग्रहालय का जिक्र किया है, जिसमें भारत के अलग-अलग प्रदेशों में चित्रकारी की जा रही है, जिसे अलग-अलग शैलियों में बनाया जा रहा है. बिहार, राजस्थान, दक्षिण भारत सहित अन्य प्रदेशों के कलाकार इन पारंपरिक चित्रकारी को बना रहे है. कुछ पेंटिंग हमें मिल चुकी है, लेकिन सभी मिलने में करीब डेढ़ वर्ष का समय लग सकता है.