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जिला अस्पताल में मशीन-मरीज सब हाजिर, बस 'सर्जन' गैरहाजिर

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Published : Feb 3, 2021, 10:20 PM IST

Updated : Feb 7, 2021, 4:03 PM IST

नवजात को सरकारी मशीनरी कैसे संभालती है. डॉक्टर, नर्स के पास इंतजाम कैसे रहते हैं. शिशु गहन चिकित्सा कक्ष के प्रभारी डॉक्टर दिलीप वास्के बताते हैं कि हालत बिगड़ने पर बेहतर ट्रीटमेंट दिया जाता है. लेकिन जब सर्जरी की बात आती है तो कई नवजात को इंदौर रेफर करना पड़ता है.

Infant intensive care
शिशु गहन चिकित्सा

उज्जैन। संभाग के सबसे बड़े उज्जैन जिला अस्पताल की दूसरी विंग में गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ नवजात का भी इलाज किया जाता है. लेकिन कई बार बच्चों की अदला-बदली, इलाज में देरी और कमीशन के चक्कर में प्राइवेट अस्पतालों में रेफर के इल्जाम अस्पताल के कर्मचारियों पर लगते रहे हैं. लेकिन इस ईटीवी भारत की टीम ने आगर रोड स्थित चरक भवन की दूसरी मंजिल पर संचालित होने वाले शिशु गहन चिकित्सा कक्ष का हाल जाना, कि आखिरकार नवजात को सरकारी मशीनरी कैसे संभालती है और डॉक्टर, नर्स के पास इंतजाम कैसे हैं. शिशु गहन चिकित्सा कक्ष के प्रभारी डॉक्टर दिलीप वास्के के मुताबिक नवजात की हालत बिगड़ने पर उसे बेहतर ट्रीटमेंट दिया जाता है. उन्होंने बताया कि जो बच्चे जन्म से रोते नहीं हैं. बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं और बच्चे बाहर से संक्रमित होकर यहां आता है उनका हम इलाज करते हैं.

Infant intensive care
शिशु गहन चिकित्सा

फोटो थेरेपी मशीन

शिशु गहन चिकित्सक कक्ष के प्रभारी की माने तो दूसरी मंजिल पर संचालित होने वाले एसएनसीयू में पर्याप्त मात्रा में बच्चों की जान बचाने के लिए उपकरण मौजूद है, जैसा की बिस्तर हैं जो कि वार्मर है जिससे बच्चों को गर्मी दी जाती है सभी विस्तार को इन्फ्लेशन पंप से जोड़ा गया है. 12 फोटो थेरेपी मशीन भी अस्पताल के पास है. इसके साथ-साथ सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई में गंभीर बच्चों के लिए है वेट मशीन भी बच्चों के लिए रखी गई है शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में उन्हीं बच्चों को भर्ती किया जाता है जो कि जन्म के बाद रोते नहीं हैं या किसी समस्या से जूझ रहे होते हैं.

उज्जैन जिला अस्पताल में नवजात के इलाज के लिए सर्जन नहीं हैं

खास केसेस में करते हैं बच्चों को रेफर

डॉक्टर दिलीप वास्के ने बताया कि अस्पताल शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में सभी आवश्यक उपकरण तो है लेकिन एक बड़े सर्जन की आवश्यकता है दरअसल बच्चे के पैदा होने के बाद जन्मजात विकृति वाले बच्चे सहित अन्य ऐसे बच्चे की जिनको मेजर सर्जरी की आवश्यकता होती है. उन बच्चों को इंदौर या अन्य अस्पतालों में रेफर करना पड़ता है.

Infant intensive care
शिशु गहन चिकित्सा

जिसके कारण कई बच्चों की जान भी चली जाती है और परिवार बालों के पैसे भी खर्च होते हैं अब सरकार को जरूरत है कि उज्जैन के शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में एक बड़े सर्जन की पोस्टिंग करें ताकि गंभीर रूप से अस्वास्थ्य बच्चों को उज्जैन में ही इलाज मिल सके.

उज्जैन। संभाग के सबसे बड़े उज्जैन जिला अस्पताल की दूसरी विंग में गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ नवजात का भी इलाज किया जाता है. लेकिन कई बार बच्चों की अदला-बदली, इलाज में देरी और कमीशन के चक्कर में प्राइवेट अस्पतालों में रेफर के इल्जाम अस्पताल के कर्मचारियों पर लगते रहे हैं. लेकिन इस ईटीवी भारत की टीम ने आगर रोड स्थित चरक भवन की दूसरी मंजिल पर संचालित होने वाले शिशु गहन चिकित्सा कक्ष का हाल जाना, कि आखिरकार नवजात को सरकारी मशीनरी कैसे संभालती है और डॉक्टर, नर्स के पास इंतजाम कैसे हैं. शिशु गहन चिकित्सा कक्ष के प्रभारी डॉक्टर दिलीप वास्के के मुताबिक नवजात की हालत बिगड़ने पर उसे बेहतर ट्रीटमेंट दिया जाता है. उन्होंने बताया कि जो बच्चे जन्म से रोते नहीं हैं. बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं और बच्चे बाहर से संक्रमित होकर यहां आता है उनका हम इलाज करते हैं.

Infant intensive care
शिशु गहन चिकित्सा

फोटो थेरेपी मशीन

शिशु गहन चिकित्सक कक्ष के प्रभारी की माने तो दूसरी मंजिल पर संचालित होने वाले एसएनसीयू में पर्याप्त मात्रा में बच्चों की जान बचाने के लिए उपकरण मौजूद है, जैसा की बिस्तर हैं जो कि वार्मर है जिससे बच्चों को गर्मी दी जाती है सभी विस्तार को इन्फ्लेशन पंप से जोड़ा गया है. 12 फोटो थेरेपी मशीन भी अस्पताल के पास है. इसके साथ-साथ सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई में गंभीर बच्चों के लिए है वेट मशीन भी बच्चों के लिए रखी गई है शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में उन्हीं बच्चों को भर्ती किया जाता है जो कि जन्म के बाद रोते नहीं हैं या किसी समस्या से जूझ रहे होते हैं.

उज्जैन जिला अस्पताल में नवजात के इलाज के लिए सर्जन नहीं हैं

खास केसेस में करते हैं बच्चों को रेफर

डॉक्टर दिलीप वास्के ने बताया कि अस्पताल शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में सभी आवश्यक उपकरण तो है लेकिन एक बड़े सर्जन की आवश्यकता है दरअसल बच्चे के पैदा होने के बाद जन्मजात विकृति वाले बच्चे सहित अन्य ऐसे बच्चे की जिनको मेजर सर्जरी की आवश्यकता होती है. उन बच्चों को इंदौर या अन्य अस्पतालों में रेफर करना पड़ता है.

Infant intensive care
शिशु गहन चिकित्सा

जिसके कारण कई बच्चों की जान भी चली जाती है और परिवार बालों के पैसे भी खर्च होते हैं अब सरकार को जरूरत है कि उज्जैन के शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में एक बड़े सर्जन की पोस्टिंग करें ताकि गंभीर रूप से अस्वास्थ्य बच्चों को उज्जैन में ही इलाज मिल सके.

Last Updated : Feb 7, 2021, 4:03 PM IST
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