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भगवान महाकाल का शेषनाग के रूप में श्रृंगार

शिव नवरात्र के पहले दिन माता पार्वती और महाकाल का चंदन रूप में श्रृंगार कर किया गया लेकिन दूसरे दिन बाबा का शेषनाग के रूप में विशेष शृंगार किया गया.

Mahakaal temple Ujjain
महाकाल मंदिर उज्जैन
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Published : Mar 5, 2021, 1:05 AM IST

उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकाल के मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की शुरुआत प्रांरभ हो गई है. जिसे शिव नवरात्र के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. शिव नवरात्र के पहले दिन माता पार्वती और बाबा को चंदन रूप में श्रृंगार कर वस्त्र ओढ़ाये गए. कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुंडमाल छत्र आदि भी बाबा को अर्पित किया गया. वहीं दूसरे दिन बाबा का शेषनाग के रूप में विशेष शृंगार किया गया. अनंतनाग कहे जाने वाले शेषनाग रूप ने सारे ग्रुप को अपनी कुंडलियों पर धरा हुआ है.

शेषनाग के बारे में जानिए

भगवान विष्णु की सेवा में तत्पर शेषनाग ने सारे ग्रहों को अपनी कुंडली पर धरा हुआ है. साथ ही ऐसा माना गया है, जब शेषनाग सीधे चलते हैं तो समय संतुलित रहता है और जहां बाबा कुंडली के आकार में आए तो प्रलय आता है. भगवान विष्णु के भक्त होने के साथ-साथ शेषनाग ने अनेक अवतार में भगवान विष्णु का सहयोग किया है. जैसे त्रेता युग में राम अवतार में शेषनाग ने लक्ष्मण भगवान का रूप धरा था. वैसे ही द्वापर योग के कृष्ण अवतार में शेषनाग ने बलराम का और जब भगवान कृष्ण को टोकरी में डालकर नंदजी के यहां ले जा रहे थे तब शेषनाग ने छतरी की तरह भगवान कृष्ण को बारिश से बचाया था.

भगवान महाकाल का शेषनाग के रूप में श्रृंगार

महाशिवरात्रि पर्व को लेकर प्रशासनिक टीम ने किया महाकालेश्वर मंदिर का मुआयना

बाबा का कल घटाटोप श्रृंगार किया जाएगा

कल बाबा का शृंगार घटाटोप श्रृंगार के रुप में होना है. मान्यता है कि बाबा इस दिन अपनी जटाओं को खोलकर भक्तों को दर्शन देते हैं. महाकाल मंदिर के पंडित आशीष गुरु ने बताया शिव नवरात्र का दूसरा दिन है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष पर बाबा ने वस्त्र धारण कर वासुकी नाग धारण किया है. जप तप के साथ बाबा महाकाल का पूजन अभिषेक किया गया. श्रद्धालु बाबा से प्रार्थना कर रहे हैं कि बाबा ने आज नाग धारण कर संदेश दिया है ज्यादा शक्ति बंधन का कारण है.

उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकाल के मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की शुरुआत प्रांरभ हो गई है. जिसे शिव नवरात्र के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. शिव नवरात्र के पहले दिन माता पार्वती और बाबा को चंदन रूप में श्रृंगार कर वस्त्र ओढ़ाये गए. कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुंडमाल छत्र आदि भी बाबा को अर्पित किया गया. वहीं दूसरे दिन बाबा का शेषनाग के रूप में विशेष शृंगार किया गया. अनंतनाग कहे जाने वाले शेषनाग रूप ने सारे ग्रुप को अपनी कुंडलियों पर धरा हुआ है.

शेषनाग के बारे में जानिए

भगवान विष्णु की सेवा में तत्पर शेषनाग ने सारे ग्रहों को अपनी कुंडली पर धरा हुआ है. साथ ही ऐसा माना गया है, जब शेषनाग सीधे चलते हैं तो समय संतुलित रहता है और जहां बाबा कुंडली के आकार में आए तो प्रलय आता है. भगवान विष्णु के भक्त होने के साथ-साथ शेषनाग ने अनेक अवतार में भगवान विष्णु का सहयोग किया है. जैसे त्रेता युग में राम अवतार में शेषनाग ने लक्ष्मण भगवान का रूप धरा था. वैसे ही द्वापर योग के कृष्ण अवतार में शेषनाग ने बलराम का और जब भगवान कृष्ण को टोकरी में डालकर नंदजी के यहां ले जा रहे थे तब शेषनाग ने छतरी की तरह भगवान कृष्ण को बारिश से बचाया था.

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बाबा का कल घटाटोप श्रृंगार किया जाएगा

कल बाबा का शृंगार घटाटोप श्रृंगार के रुप में होना है. मान्यता है कि बाबा इस दिन अपनी जटाओं को खोलकर भक्तों को दर्शन देते हैं. महाकाल मंदिर के पंडित आशीष गुरु ने बताया शिव नवरात्र का दूसरा दिन है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष पर बाबा ने वस्त्र धारण कर वासुकी नाग धारण किया है. जप तप के साथ बाबा महाकाल का पूजन अभिषेक किया गया. श्रद्धालु बाबा से प्रार्थना कर रहे हैं कि बाबा ने आज नाग धारण कर संदेश दिया है ज्यादा शक्ति बंधन का कारण है.

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