उज्जैन। श्रावण मास के चौथे सोमवार को महाकाल की सवारी निकली, यहां पर महाकाल मंदिर के सामने सशस्त्र बल की टुकड़ी ने राजा महाकाल को सलामी दी, जिसके बाद सवारी शिप्रा नदी के रामघाट के लिए रवाना हुई. शिप्रा के रामघाट पर पहुंचकर भगवान महाकाल ने अपने भक्तों को चंद्रमौलेश्वर और मन महेश के रूप में दर्शन दिए.
मान्यता है कि बाबा महाकाल अपने भक्तों का हाल जानने शहर भ्रमण पर निकलते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस बार भी सवारी परिवर्तन मार्ग से निकली. इस साल सवारी में इसमें आम श्रद्धालुओं को प्रवेश प्रतिबंधित था, किसी भी श्रद्धालु को सवारी में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई थी. हालांकि मंदिर समिति ने सवारी देखने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव व्यवस्था की थी.
महाकाल मंदिर की सवारी में महाकालेश्वर मंदिर से बड़े गणेश नरसिंह घाट होते हुए रामघाट पहुंचती है. यहां पर मां शिप्रा की जल से महाकाल का पूजन अभिषेक किया जाता है. इसके बाद पालकी रामानुज कोट होते हुए हरसिद्धि पाल के रास्ते बड़े गणेश से पुनः महाकालेश्वर मंदिर में लौटती है. लेकिन इस बार कोरोना संकमण के चलते यह मार्ग बदल दिया गया था और श्रद्धालुओं को भी सवारी में आने की इजाजत नहीं थी.