उज्जैन। किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग ने उज्जैन जिले के किसानों से अपील की है कि गेहूं और अन्य फसलों को काटने के बाद बचे हुए फसल अवशेष (नरवाई) जलाना खेती के लिए आत्मघाती कदम है. वर्तमान में जिले में लगभग गेहूं की फसल की कटाई प्रारंभ हो गई है. गेंहू फसल की कटाई के बाद सामान्य तौर पर किसान नरवाई में आग लगा देते हैं जिससे पर्यावरण में प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी की संरचना भी प्रभावित होती है.
- नरवाई जलाने पर होगी कार्रवाई
मध्यप्रदेश शासन के नोटिफिकेशन दिनांक 15 मई 2017 के निर्देशानुसार दो एकड से कम भूमि रखने वाले को ढाई रुपए प्रति घटना और पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देना होगी. दो एकड़ से अधिक 5 एकड़ से कम भूमि रखने वाले किसान को पांच हजार रुपए प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देना होगी. इसी प्रकार पांच एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले को 15 हजार रुपए प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देना होगी.
- स्ट्रॉ मनेजमेंट सिस्टम उपयोग करने के निर्देश
कंबाइन हार्वेस्टर के कटाई के उपरांत बची हुई नरवाई में आग लगाने की घटना को देखते हुए रबी की कटाई में कंबाइन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ मनेजमेंट सिस्टम लगाने के निर्देश जिले के संबंधित अनुविभागीय अधिकारी को दिए गए हैं. यदि कृषक स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें स्ट्रॉ रीपर का उपयोग करके फसल अवशेषों से भूसा निकलना अनिवार्य होगा. यदि किसान ऐसा नहीं करते हैं तो और नरवाई में आग लगता है तो उन पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का जुर्माना भी लगाया जाएगा.