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टीकमगढ़ जिले की इस पहाड़ी में दफन है हजारों टन जेवरात ! 'नागराज करते हैं इसकी सुरक्षा' - टीकमगढ़ जिला प्रशासन

टीकमगढ़ किले से 8 किलोमीटर की दूरी पर मिनोरा गांव की एक पहाड़ी पर विशाल गढ़ी बनवाई गई थी और फिर उसी के नीचे कई टन सोना, चांदी, हीरे को जमीन में दफन कर दिया गया था.अब इस पहाड़ी की सुरक्षा को लेकर स्थानीय लोगों की मांग है किस पहाड़ी पर अवैध उत्खनन रोककर पूरी पहाड़ी पर बाउंड्री बनाकर पुरातत्व विभाग को सौंप दिया जाए.

Mystery of the hill
पहाड़ी का रहस्य
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Published : Jul 10, 2020, 8:17 PM IST

Updated : Jul 10, 2020, 10:41 PM IST

टीकमगढ़। मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में एक ऐसी अनोखी पहाड़ी है, जहां कहते हैं सोने और चांदी की अपार भरमार है. इस पहाड़ी को सोने की पहाड़ी भी कहते है. दरअसल यहां के लोग ऐसा मानते हैं कि करीब 300 साल से इस पहाड़ी में सोना, चांदी समेत हीरा का खजाना है, जिसका पूरी देखभाल एक नागराज करते है, इस नागराज को हटाने के लिए लगातार यहां के लोगों ने कोशिश किया, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली है.

पहाड़ी में दफन है हजारों टन जेवरात !

पहाड़ी के नीचे दफन है हजारों टन जेवरात

दरअसल लोगों की माने तो इनका कहना है कि टीकमगढ किले से 8 किलोमीटर की दूरी पर मिनोरा गांव की एक पहाड़ी पर विशाल गढ़ी बनवाई गई थी, और फिर उसी के नीचे कई टन सोना, चांदी, हीरे को जमीन में दफन कर दिया गया था. और उसकी सुरक्षा को लेकर गढ़ी के पास में एक ब्रह्मदेव के चबूतरे का निर्माण कराया गया था. सबसे खास बात ये है कि आज तक इस आपार धन संपदा का कोई भी रहस्य नहीं जान सका है, और आज इस पहाड़ी पर गढ़ी तो नहीं रही, लेकिन गढ़ी की दीवारें गढ़ी होने का प्रमाण बताती है.

250 साल पहले का 'रिजर्व बैंक'

स्थानीय लोगों का मानना है कि करीब 250 साल पहले महाराजा प्रताप सिंह यहां के राजा हुआ करते थे, जो काफी धार्मिक प्रवृत्ति के थे. और गरीब लोगों की मदद करते थे, और काफी पैसे खर्च करके मंदिर मठों का निर्माण कराते थे.टीकमगढ़ जिले की इस पहाड़ी पर महाराज के संपत्ति को लेकर एक मान्यता ये भी बताई जाती है कि महाराजा इस पहाड़ी पर धन का संग्रह करके एक रिजर्व बैंक की स्थापना कराए थे, जिसमें आपातकाल और जरूरत के समय में किसी भी राजधानी के राजा को युद्ध और आपदा के समय धन की जरूरत होती थी वह यहां पर आकर महाराजा के खजाना से अपनी आवश्यक्तानुसार धन ले लेते थे, और जब उनका काम पूरा हो जाता था तो महाराजा प्रताप सिंह पूरा खजाना वापस करना पड़ता था.

'नागराज करते हैं खजाने की देखभाल'

यहां के स्थानीय लोगों की माने तो इनका कहना है कि महाराजा प्रताप सिंह ने एक गढ़ी का निर्माण कराया था, और उसके ऊपर विशाल घी का दीपक जलाते थे, जिससे राजा अपने महल से निरंतर देखते हुए पूरे खजाने की देखभाल करते थे. और वही खजाना आज भी इस पहाड़ी में पड़ा हुआ है. और अब इस पहाड़ी में काफी सोना, चांदी, हीरे जवाहरात का जखीरा है जिसकी सुरक्षा नागराज करते हैं.

पूरे एमपी का हो सकता है विकास !

इतना ही नहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि आज तक महाराजा प्रताप सिंह की संपत्ति को कोई छू तक नहीं पाया है, और इस पहाड़ी में इतनी धन संपदा है कि पूरे मध्यप्रदेश का विकास हो सकता है, लेकिन इस पहाड़ी की आजतक जिला प्रशासन ने कोई भी सुरक्षा नहीं की है, यदि नागराज इस धन की सुरक्षा न कर रहे होते तो आज राजा की अरबों-खरबों की संपत्ति का कोई पता नहीं चलता.

पुरातत्व विभाग को सौंपने की मांग

अब इस पहाड़ी की सुरक्षा को लेकर स्थानीय लोगों की मांग है कि इस पहाड़ी को सुरक्षित किया जाए, जिससे प्राचीन गढ़ी और महाराजा की धन दौलत की सुरक्षा हो सके. और इस पहाड़ी पर अवैध उत्खनन रोककर पूरी पहाड़ी पर बाउंड्री बनाकर पुरातत्व विभाग को सौंप दिया जाए.

टीकमगढ़। मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में एक ऐसी अनोखी पहाड़ी है, जहां कहते हैं सोने और चांदी की अपार भरमार है. इस पहाड़ी को सोने की पहाड़ी भी कहते है. दरअसल यहां के लोग ऐसा मानते हैं कि करीब 300 साल से इस पहाड़ी में सोना, चांदी समेत हीरा का खजाना है, जिसका पूरी देखभाल एक नागराज करते है, इस नागराज को हटाने के लिए लगातार यहां के लोगों ने कोशिश किया, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली है.

पहाड़ी में दफन है हजारों टन जेवरात !

पहाड़ी के नीचे दफन है हजारों टन जेवरात

दरअसल लोगों की माने तो इनका कहना है कि टीकमगढ किले से 8 किलोमीटर की दूरी पर मिनोरा गांव की एक पहाड़ी पर विशाल गढ़ी बनवाई गई थी, और फिर उसी के नीचे कई टन सोना, चांदी, हीरे को जमीन में दफन कर दिया गया था. और उसकी सुरक्षा को लेकर गढ़ी के पास में एक ब्रह्मदेव के चबूतरे का निर्माण कराया गया था. सबसे खास बात ये है कि आज तक इस आपार धन संपदा का कोई भी रहस्य नहीं जान सका है, और आज इस पहाड़ी पर गढ़ी तो नहीं रही, लेकिन गढ़ी की दीवारें गढ़ी होने का प्रमाण बताती है.

250 साल पहले का 'रिजर्व बैंक'

स्थानीय लोगों का मानना है कि करीब 250 साल पहले महाराजा प्रताप सिंह यहां के राजा हुआ करते थे, जो काफी धार्मिक प्रवृत्ति के थे. और गरीब लोगों की मदद करते थे, और काफी पैसे खर्च करके मंदिर मठों का निर्माण कराते थे.टीकमगढ़ जिले की इस पहाड़ी पर महाराज के संपत्ति को लेकर एक मान्यता ये भी बताई जाती है कि महाराजा इस पहाड़ी पर धन का संग्रह करके एक रिजर्व बैंक की स्थापना कराए थे, जिसमें आपातकाल और जरूरत के समय में किसी भी राजधानी के राजा को युद्ध और आपदा के समय धन की जरूरत होती थी वह यहां पर आकर महाराजा के खजाना से अपनी आवश्यक्तानुसार धन ले लेते थे, और जब उनका काम पूरा हो जाता था तो महाराजा प्रताप सिंह पूरा खजाना वापस करना पड़ता था.

'नागराज करते हैं खजाने की देखभाल'

यहां के स्थानीय लोगों की माने तो इनका कहना है कि महाराजा प्रताप सिंह ने एक गढ़ी का निर्माण कराया था, और उसके ऊपर विशाल घी का दीपक जलाते थे, जिससे राजा अपने महल से निरंतर देखते हुए पूरे खजाने की देखभाल करते थे. और वही खजाना आज भी इस पहाड़ी में पड़ा हुआ है. और अब इस पहाड़ी में काफी सोना, चांदी, हीरे जवाहरात का जखीरा है जिसकी सुरक्षा नागराज करते हैं.

पूरे एमपी का हो सकता है विकास !

इतना ही नहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि आज तक महाराजा प्रताप सिंह की संपत्ति को कोई छू तक नहीं पाया है, और इस पहाड़ी में इतनी धन संपदा है कि पूरे मध्यप्रदेश का विकास हो सकता है, लेकिन इस पहाड़ी की आजतक जिला प्रशासन ने कोई भी सुरक्षा नहीं की है, यदि नागराज इस धन की सुरक्षा न कर रहे होते तो आज राजा की अरबों-खरबों की संपत्ति का कोई पता नहीं चलता.

पुरातत्व विभाग को सौंपने की मांग

अब इस पहाड़ी की सुरक्षा को लेकर स्थानीय लोगों की मांग है कि इस पहाड़ी को सुरक्षित किया जाए, जिससे प्राचीन गढ़ी और महाराजा की धन दौलत की सुरक्षा हो सके. और इस पहाड़ी पर अवैध उत्खनन रोककर पूरी पहाड़ी पर बाउंड्री बनाकर पुरातत्व विभाग को सौंप दिया जाए.

Last Updated : Jul 10, 2020, 10:41 PM IST
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