टीकमगढ़। बुंदेलखंड अंचल के टीकमगढ़ जिले में एक ऐसा गांव बसता है. जहां हर जाति के अपने अलग-अलग श्मशान है. इस गांव को केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक के आदर्श गांव गोरा के नाम से जाना जाता है. सैकड़ों साल से गांव में फैली इस छूआछूत की बीमारी को सांसद महोदय भी दूर नहीं कर पाए.
गांव में रहने वाले आरक्षित वर्ग के लोगों का कहना है कि वे मृतकों का अंतिम संस्कार गांव के बाहर करते हैं, क्योंकि ऊंची जाति के लोग उन्हें गांव में बने श्मशान में जाने नहीं देते. इस पूरे मामले में सांसद और केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक कहते हैं. यह समस्या तो गांव के लोगों को एक साथ मिलकर दूर करनी चाहिए. मैं तो जब भी गांव में जाता हूं सभी के साथ एक साथ बैठता हूं.
जब सांसद छूआछूत के इस दंश को मिटाने की पहल नहीं कर पा रहे हैं. तो ऐसा में भला किया भी क्या जा सकता है. आलम यह है कि पांच हजार की आबादी आदर्श ग्राम गोरा में चार जातियों के अलग-अलग श्मशान घाट है. छूआछूत के आलावा गांव के लोग सांसद महोदय के विकास कार्यों से भी खुश नजर नहीं आते है. ग्रामीणों का कहना है सांसद आर्दश ग्राम बनने के बाद उन्हें लगा था कि अब यहां विकास कार्य होगे लेकिन अब तक कोई काम नहीं हुआ.
ग्रामीणों की बात पर गौर किया जाए तो गोरा गांव में सड़क, पानी, और गंदगी की समस्या नजर आती है. जबकि छूआछूत के दंश से तो यह गांव सैंकड़ों साल से पीड़ित है ही. जिससे तो यही कहा जा सकता है डिजिटल इंडिया के जमाने में अगर मंत्री जी के गोद लिए गांव के ये हाल तो अन्य गांवों के हालातों का अंदाजा आप लगा ही सकते हैं.