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पीएम मोदी की डिजिटल दुनिया से अछूता है ये गांव, सपने जैसा है मोबाइल पर बात करना - भुइमाद में नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं

मध्यप्रदेश में आजादी के 70 साल बाद भी ऐसे कई गांव हैं, जहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. सीधी जिले से इसी तरह का मामला सामने आया है. यहां के भुइमाद गांव में नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं है.

no network connectivity
मध्यप्रदेश का ऐसा गांव जहां नहीं है नेटवर्क कनेक्टविटी
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Published : Dec 14, 2019, 11:39 PM IST

Updated : Dec 15, 2019, 1:50 AM IST

सीधी। केंद्र सरकार भले ही देश को डिजीटल इंडिया बनाने का दावा करती हो पर आज भी ऐसे कई गांव हैं, जहां बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंचीं. जिले में भी भुइमाद ऐसा गांव है, जहां किसी भी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क नहीं है. इससे ग्रामीणों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

मध्यप्रदेश का ऐसा गांव जहां नहीं है नेटवर्क कनेक्टिविटी

भुइमाद क्षेत्र करीब 100 साल पीछे खड़ा नजर आ रहा है. नेटवर्क कनेक्टविटी नहीं होने से जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे इस क्षेत्र के ग्रामीणों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि नेटवर्क नहीं होने से कभी पेड़ पर चढ़कर नेटवर्क तलाशते हैं तो कभी ऊंची जगह पर जाकर.

गांव में कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाए तो एंबुलेंस के लिए फोन लगाते वक्त नेटवर्क नहीं आते. समय अधिक होने से कई बार तो मरीज घर पर ही दम तोड़ देता है. इस मामले में कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने ग्रामीणों की समस्या का समाधान करे की आश्वासन दिया है.

सीधी। केंद्र सरकार भले ही देश को डिजीटल इंडिया बनाने का दावा करती हो पर आज भी ऐसे कई गांव हैं, जहां बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंचीं. जिले में भी भुइमाद ऐसा गांव है, जहां किसी भी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क नहीं है. इससे ग्रामीणों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

मध्यप्रदेश का ऐसा गांव जहां नहीं है नेटवर्क कनेक्टिविटी

भुइमाद क्षेत्र करीब 100 साल पीछे खड़ा नजर आ रहा है. नेटवर्क कनेक्टविटी नहीं होने से जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे इस क्षेत्र के ग्रामीणों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि नेटवर्क नहीं होने से कभी पेड़ पर चढ़कर नेटवर्क तलाशते हैं तो कभी ऊंची जगह पर जाकर.

गांव में कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाए तो एंबुलेंस के लिए फोन लगाते वक्त नेटवर्क नहीं आते. समय अधिक होने से कई बार तो मरीज घर पर ही दम तोड़ देता है. इस मामले में कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने ग्रामीणों की समस्या का समाधान करे की आश्वासन दिया है.

Intro:एंकर-- मोदी सरकार देश को जहां डिजिटल इंडिया बनाने की बात कर रही है वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के सीधी जिले में आज भी एक ऐसा गांव है जहां नेटवर्क विहीन होने की वजह से ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है वहीं प्रशासन इलाके में कनेक्टिविटी ना होने से स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर हो रहा है मान रहे हैं और जल्द नेटवर्क की व्यवस्था बनाने की बात कर रहे हैं।


Body:वॉइस ओवर --(1)-हमारे देश में आज भी ऐसे कई स्थान है जहां विकास कोसों दूर नजर आता है सीधी जिले में आदिवासी इलाके के भुइमाद क्षेत्र भी ऐसा ही नजर आता है यहां आने के बाद महसूस होता है कि 100 साल पीछे खड़े हैं मोदी सरकार भले ही देश को डिजिटल इंडिया बनाने की बात कर रहे हैं लेकिन यह सच है कि इस इलाके में किसी भी मोबाइल का नेटवर्क नहीं रहता जंगलों और पहाड़ों के मध्य बसे इन ग्रामीणों की पीड़ा कौन जाने रास्ता नहीं होने से स्वास्थ्य सेवाओं पर जबरदस्त असर पड़ रहा है यह जिले के कलेक्टर भी मान रहे है, ग्रामीणों का कहना है कि नेटवर्क नहीं होने से कभी पेड़ पर चढ़कर नेटवर्क तलाशते हैं कभी ऊंची जगह पर तलाश करते हैं गांव में कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाए तो खुद जाना पड़ता है जिससे समय अधिक लग जाने से मरीज घर पर ही दम तोड़ देता है प्रसूता महिला को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है वहीं इस मामले में जिला कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी का कहना है कि सड़क के लिए यदि रिजर्व टाइगर एरिया में नहीं होगा तो कुछ विकल्प निकालेंगे कनेक्टिविटी के लिए रिलायंस से बात चल रही है नेटवर्क ना होने से भी स्वास्थ्य सेवाओं में बुरा असर हो रहा है।
बाइट(1) सुरेश (ग्रामीण)
बाइट(2) रविंद्र कुमार चौधरी ( कलेक्टर सीधी)


Conclusion:सीधी जिले के सुदूर वनांचल इलाके में सड़क बिजली पानी शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है वही नेटवर्क ना होने से यहां के ग्रामीण अनेक समस्याओं से ग्रस्त हैं ऐसे में देखना होगा कि कलेक्टर के दिए भरोसे में कब तक ग्रामीणों को कनेक्टिविटी की सुविधाएं नसीब होती है देखने वाली बात होगी।
पवन तिवारी ईटीवी भारत सीधी मध्य प्रदेश।
Last Updated : Dec 15, 2019, 1:50 AM IST
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