सीधी। डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी होने के चलते किसान परेशान है. मानसून के दस्तक के बाद किसान अपने खेतों में जुताई करने में जुट गए हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन और महंगाई से किसान की कमर टूट गई है. किसानों का कहना है कि डीजल-पेट्रोल मंहगा होने के चलते इस बार टैक्टर एक घंटे खेत में जुताई करने के एक हजार रुपये लग रहे है. इसके पहले 600 रुपए घंटे के हिसाब से ट्रेक्टर खेतों की जुताई करते थे.
महंगाई से किसानों की टूटी कमर
किसानों के लिए हर साल एक नई मुसीबत बन कर सामने आ जाती है. इस बार जहां कोरोना वायरस ने देश को आर्थिक नुकसान किया है, वहीं अब किसान परेशान हो रहा है. सरकार द्वारा बढ़ाए गए पेट्रोल डीजल के दाम से किसानों की कमर टूट रही है. किसानों की माने तो इस बार टैक्टर एक घंटे खेत में जुताई करने के एक हजार रुपए ले रहे हैं. इसके पहले 600 रुपए घंटे के हिसाब से ट्रेक्टर खेतों की जुताई करते थे.
गरीब किसानों के पास ना बैल की व्यवस्था है और ना ट्रैक्टर से जुताई कराने के लिए पैसे कि वह अपने खेतों की जुताई कर सकें. कई किसान तो हताश निराश होकर बैठ गए है. वहीं जिन किसानों के पास पैसा और बैल की व्यवस्था है, वह किसान खेतों की जुताई में लगे हुए है, परेशान छोटे किसान हो रहे हैं. एक तो इस साल ओलावृष्टि और मौसम की मार झेल रहे किसानों के लिए अब बढ़े डीजल-पेट्रोल की कीमत से गरीब किसानों पर मायूसी छा रही है.