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MP Cheetah Project: विशेषज्ञ ने बताया 8 से 10 साल होती है चीते की औसत आयु, सबसे बड़ा नर 8 साल 3 माह का

दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों की दूसरी खेप महाशिवरात्रि के दिन श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में पहुंच चुकी है. इसमें सबसे उम्रदराज चीता 8 साल 3 माह का है. विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिण अफ्रीकी चीते की औसत आयु 8 से 10 वर्ष की होती है.

expert told average age cheetah 8 to 10 years
विशेषज्ञ ने बताया 8 से 10 साल होती है चीते की औसत आयु
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Published : Feb 18, 2023, 7:40 PM IST

भोपाल (PTI)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अति महात्वाकांक्षी योजनाओं में से एक चीता प्रोजेक्ट के तहत आज महाशिवरात्रि के दिन दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों की दूसरी खेप श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में पहुंच चुकी है. अधिकारियों के अनुसार कूनो अभ्यारण्य में रखे जाने के लिए शनिवार को दक्षिण अफ्रीका के मध्य से लाए गए 12 चीतों में सबसे बड़ा 8 साल और 3 महीने का नर है. जबकि सबसे कम उम्र की मादा चीता है. जिसने अपने जीवन के 2 साल और चार महीने पूरे कर लिए हैं.

कूनो में चीतों का वेलकम, CM शिवराज ने 2 चीतों को बाड़ों में छोड़ा, 10 क्वारंटाइन में रहेंगे

दूसरा सबसे उम्रदराज चीता 7 साल 10 माह काः अधिकारियों ने आगे जानकारी दी है कि जून 2020 में तीन चीते पैदा हुए थे. जिनमें दो मादा और एक नर है. इस बार आए 12 चीतों में दूसरा सबसे उम्रदराज चीता 7 साल और 10 महीने का है. प्रजनन परियोजना से जुड़े एक विशेषज्ञ ने एजेंसी को बताया कि एक दक्षिण अफ्रीकी चीते का औसत जीवन काल 8-10 साल का रहता है. ऐसे में कूनो नेशनल पार्क के वन अधिकारियों के लिए इनकी देखरेख बड़ी चुनौती होगी. अब तक कूनो अभ्यारण्य में कुल चीतों की संख्या 20 हो चुकी है.

इस बार 7 नर और 5 मादा चीते आएः इस बार जो 12 चीते आए हैं, उनमें सात नर और 5 मादा शामिल हैं. कूनो नेशनल पार्क में आने वाली चीतों की प्रजातियों का यह दूसरा सेट है. इसके पहले 8 चीतों को नामीबिया से लाया गया था. इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन यानि पिछले साल 17 सितंबर को अलग-अलग बाड़ों में छोड़ा गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कुछ चीतों को क्वारेंटीन बाड़ों में छोड़ा गया था. इसके कुछ दिनों बाद उन्हें बड़े बाड़े में और फिर सबसे अंत में शिकार बाड़े में छोड़ दिया गया था. इस बीच में एक मादा चीता शाशा की तबीयत भी खराब हो गई थी. जिसे विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने मिलकर ठीक कर लिया था.

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पूर्व के 8 चीतों को इस समय शिकार बाड़े में रखा गया हैः उक्त 8 चीते वर्तमान में जंगल में छोड़े जाने से पहले शिकार बाड़े में हैं. भारत में चीतों को दोबारा बसाने की यह योजना पीएम मोदी की पहल पर दोबारा शुरू की गई थी. भारत में अंतिम चीते की मृत्यु पहले एमपी वर्तमान में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी. इसके बाद इस प्रजाति को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था. पहली बार चीतों को भारत में दोबारा बसाने कोशिश पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने 2009 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के समय की थी. हालांकि किन्हीं कारणों से वह आगे नहीं बढ़ सकी थी. (This is an agency copy and not edited by Etv Bharat)

भोपाल (PTI)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अति महात्वाकांक्षी योजनाओं में से एक चीता प्रोजेक्ट के तहत आज महाशिवरात्रि के दिन दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों की दूसरी खेप श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में पहुंच चुकी है. अधिकारियों के अनुसार कूनो अभ्यारण्य में रखे जाने के लिए शनिवार को दक्षिण अफ्रीका के मध्य से लाए गए 12 चीतों में सबसे बड़ा 8 साल और 3 महीने का नर है. जबकि सबसे कम उम्र की मादा चीता है. जिसने अपने जीवन के 2 साल और चार महीने पूरे कर लिए हैं.

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दूसरा सबसे उम्रदराज चीता 7 साल 10 माह काः अधिकारियों ने आगे जानकारी दी है कि जून 2020 में तीन चीते पैदा हुए थे. जिनमें दो मादा और एक नर है. इस बार आए 12 चीतों में दूसरा सबसे उम्रदराज चीता 7 साल और 10 महीने का है. प्रजनन परियोजना से जुड़े एक विशेषज्ञ ने एजेंसी को बताया कि एक दक्षिण अफ्रीकी चीते का औसत जीवन काल 8-10 साल का रहता है. ऐसे में कूनो नेशनल पार्क के वन अधिकारियों के लिए इनकी देखरेख बड़ी चुनौती होगी. अब तक कूनो अभ्यारण्य में कुल चीतों की संख्या 20 हो चुकी है.

इस बार 7 नर और 5 मादा चीते आएः इस बार जो 12 चीते आए हैं, उनमें सात नर और 5 मादा शामिल हैं. कूनो नेशनल पार्क में आने वाली चीतों की प्रजातियों का यह दूसरा सेट है. इसके पहले 8 चीतों को नामीबिया से लाया गया था. इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन यानि पिछले साल 17 सितंबर को अलग-अलग बाड़ों में छोड़ा गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कुछ चीतों को क्वारेंटीन बाड़ों में छोड़ा गया था. इसके कुछ दिनों बाद उन्हें बड़े बाड़े में और फिर सबसे अंत में शिकार बाड़े में छोड़ दिया गया था. इस बीच में एक मादा चीता शाशा की तबीयत भी खराब हो गई थी. जिसे विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने मिलकर ठीक कर लिया था.

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पूर्व के 8 चीतों को इस समय शिकार बाड़े में रखा गया हैः उक्त 8 चीते वर्तमान में जंगल में छोड़े जाने से पहले शिकार बाड़े में हैं. भारत में चीतों को दोबारा बसाने की यह योजना पीएम मोदी की पहल पर दोबारा शुरू की गई थी. भारत में अंतिम चीते की मृत्यु पहले एमपी वर्तमान में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी. इसके बाद इस प्रजाति को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था. पहली बार चीतों को भारत में दोबारा बसाने कोशिश पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने 2009 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के समय की थी. हालांकि किन्हीं कारणों से वह आगे नहीं बढ़ सकी थी. (This is an agency copy and not edited by Etv Bharat)

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