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शाजापुर: हिंदी जाग्रति मंच ने हिन्दी दिवस पर काव्य संध्या का किया आयोजन

कालापीपल में राष्ट्रीय हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी जाग्रति मंच काव्य संध्या आयोजित की. जहां वरिष्ठ साहित्यकारों सहित नवोदित लेखकों व कवियों ने कविताएं प्रस्तुत कीं. पढ़िए पूरी खबर...

Hindi Jagriti Manch organized Poetry Evening on Hindi Day
राष्ट्रीय हिंदी दिवस के मौके पर काव्य संध्या आयोजित
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Published : Sep 15, 2020, 5:11 AM IST

शाजापुर। कालापीपल में राष्ट्रीय हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में हिंदी जाग्रति मंच ने काव्य संध्या का आयोजन किया. मंच के अध्यक्ष महेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि आयोजित काव्य संध्या में नगर के वरिष्ठ साहित्यकारों सहित नवोदित लेखकों व कवियों ने स्वरचित कविताएं सुनाई.

वहीं काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता प्रख्यात कथावाचक श्याम मनावत ने की, गोष्ठी में कथावाचक पण्डित श्याम स्वरूप मनावत ने भाषा के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि भाषा न केवल हमारे भावों के आदान प्रदान करने का माध्यम है, बल्कि यह हमारे संस्कारों को भी बताती है. मनावत ने अपने उद्बोधन में विलुप्त हो चुकी हिंदी गिनती की पर भी चिंता जताई.

वरिष्ठ साहित्यकार कैलाश परमार ने हाइकू की कविताएं सुनाईं, कवियत्री अपूर्वा सोनी ने कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन में हजारों किलोमीटर की दूरी पैदल तय करने वालों मजदूरों पर गंभीर कविता सुनाई. साथ ही एक अन्य कवियत्री साक्षी जैन ने 'बच्चों की पुकार' कविता सुनाकर सबको बचपन की सैर करा दी.

साहित्यकार डॉ मंगलेश जायसवाल ने हिंदी भाषा पर कविता सुनाते हुए हिंदी में योगदान देने वाले विद्वानों को याद किया. वहीं प्रिया नेमा ने मंच के जरिए समय-समय पर हिंदी को लेकर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की सराहना की, साथ ही कवियित्री सीमा शर्मा ने महिलाओं से लेखन के क्षेत्र में आगे आने का आवाहन किया.

शाजापुर। कालापीपल में राष्ट्रीय हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में हिंदी जाग्रति मंच ने काव्य संध्या का आयोजन किया. मंच के अध्यक्ष महेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि आयोजित काव्य संध्या में नगर के वरिष्ठ साहित्यकारों सहित नवोदित लेखकों व कवियों ने स्वरचित कविताएं सुनाई.

वहीं काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता प्रख्यात कथावाचक श्याम मनावत ने की, गोष्ठी में कथावाचक पण्डित श्याम स्वरूप मनावत ने भाषा के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि भाषा न केवल हमारे भावों के आदान प्रदान करने का माध्यम है, बल्कि यह हमारे संस्कारों को भी बताती है. मनावत ने अपने उद्बोधन में विलुप्त हो चुकी हिंदी गिनती की पर भी चिंता जताई.

वरिष्ठ साहित्यकार कैलाश परमार ने हाइकू की कविताएं सुनाईं, कवियत्री अपूर्वा सोनी ने कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन में हजारों किलोमीटर की दूरी पैदल तय करने वालों मजदूरों पर गंभीर कविता सुनाई. साथ ही एक अन्य कवियत्री साक्षी जैन ने 'बच्चों की पुकार' कविता सुनाकर सबको बचपन की सैर करा दी.

साहित्यकार डॉ मंगलेश जायसवाल ने हिंदी भाषा पर कविता सुनाते हुए हिंदी में योगदान देने वाले विद्वानों को याद किया. वहीं प्रिया नेमा ने मंच के जरिए समय-समय पर हिंदी को लेकर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की सराहना की, साथ ही कवियित्री सीमा शर्मा ने महिलाओं से लेखन के क्षेत्र में आगे आने का आवाहन किया.

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