ETV Bharat / state

ग्रामीणों को मिला एक नया मंच, सोशल मीडिया के जरिए दुनिया को दिखा रहे अपना टैलेंट - strengthening information in rural areas

इस कोरोना काल में सोशल मीडिया का एक अलग ही क्रेज देखने को मिला है, सोशल मीडिया ने बहुत ही बड़ा रोल अदा किया है. ग्रामीण अंचलों में सोशल मीडिया एक मंच के रूप में उभर कर सामने आया है. जानें कैसे ग्रामीण कर रहे सोशल मीडिया का उपयोग....

Social media became a platform for the people of rural areas in shahdol
ग्रामीण कर रहे सोशल मीडिया का उपयोग
author img

By

Published : Jun 30, 2020, 6:49 PM IST

शहडोल। इस कोरोना काल में सोशल मीडिया का एक अलग ही क्रेज देखने को मिला है, सोशल मीडिया ने बहुत ही बड़ा रोल अदा किया है. सोशल मीडिया अब गांवों में भी बड़ी तेजी के साथ अपने पैर पसार रहा है. गांव-गांव जितनी तेजी के साथ स्मार्ट फोन का चलन बढ़ा है, डाटा उतना ही सस्ता हुआ है. जहां सोशल मीडिया ने अपनी एक अलग पैठ बनाई है और अब ग्रामीण अंचल के लोग भी सोशल मीडिया के मंच का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं. सोशल मीडिया ने ग्रामीण अंचलों में इनफॉर्मेशन को स्ट्रांग किया हैं.

ग्रामीण कर रहे सोशल मीडिया का उपयोग

सोशल मीडिया आज लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है, एक दिन के लिए नेट बंद हो जाए तो सबकुछ अधूरा-अधूरा सा लगता है. इसके कुछ निगेटिव पहलू भी हैं, लेकिन इन्हें छोड़ दिया जाए तो आज ये मनोरंजन के साथ ही सूचनाओं के आदान-प्रदान का सबसे तेज और अहम माध्यम बन चुका है.

हुनरबाजों के लिए सोशल मीडिया बना मंच

सोशल मीडिया ऐसा माध्यम है, जिसे ग्रामीण अंचलों में लोग खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. कई ग्रामीणों के टैलेंट को दिखाने के लिए सोशल मीडिया एक अलग मंच बन गया है. जहां लोग अपने हुनर को बखूबी दिखा रहे है.

सोशल मीडिया के जरिए काव्य गोष्ठियां

मृगेंद श्रीवास्तव सिंहपुर गांव के रहने वाले हैं, जो पेशे से एक शिक्षक हैं, लेकिन उतने ही अच्छे वक्ता, कवि भी हैं. इन्हें कविताएं कहने और लिखने का बहुत शौक हैं और सोशल मीडिया ने उनके इस शौक को और ऊंचाइयां दी हैं.

मृगेंद्र श्रीवास्तव अब सोशल मीडिया के मंच का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं और उस मंच पर काव्य गोष्ठियां कर रहे हैं. सिंहपुर गांव में रहकर मृगेंद श्रीवास्तव दिल्ली, मुंबई, लखनऊ जैसे महानगरों के बड़े कवियों को जोड़कर सोशल मीडिया के मंच के माध्यम से काव्य गोष्ठियां कर रहे हैं. जिसे अब अच्छा प्रोत्साहन मिल रहा है और ग्रामीण कवि भी इससे जुड़ रहे है.

ऑनलाइन शिक्षा में भी बड़ा रोल

सोशल मीडिया का अब ऑनलाइन पढ़ाई में भी बड़ा रोल है. इस कोरोना काल में बच्चे ऑनलाइन सोशल मीडिया के माध्यम से ही पढ़ाई कर रहे हैं, जहां इस संकट काल में सोशल मीडिया बच्चों के पढ़ाई में एक बड़ा रोल निभा रही है.

खेती, किसानी, पशुपालन में भी बड़ा रोल

सोशल मीडिया का इस्तेमाल अब खेती-किसानी और पशुपालन जैसे कार्यों में भी हो रहा है. सोशल मीडिया के माध्यम से ग्रामीण अब सलाह ले रहे हैं, खेती में उन्हें मदद मिल रही है. इतना ही नहीं किसानों को सोशल मीडिया से तरह तरह के सुझाव मिलते रहते हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से अब किसान सीधे वैज्ञानिकों और अधिकारियों से जुड़ा होता है, जिनका उन्हें फायदा मिलता है. सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें सरकार की नई-नई योजनाओं की जानकारी मिल जाती है.

कनेक्टिविटी में बड़ा योगदान

युवा अरविंद शर्मा खुद भी गांव के रहने वाले हैं, जो एक बड़ी प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं, वो बताते हैं कि अब वो गांव में ही रहकर सोशल मीडिया के माध्यम से अपने बहुत सारे काम करते हैं. वो ग्रामीण अंचलों में जाते रहते हैं जहां वो देखते हैं कि अब छोटे से लेकर बड़े तक, आदिवासी वर्ग से लेकर हर वर्ग सोशल साइट में है. जिसका उन्हें अपने काम में फायदा मिलता है, साथ ही कनेक्टिविटी बनी रहती है.

डाटा क्रांति का मिला फायदा

गांवों में सोशल मीडिया क्रांति के लिए डाटा क्रांति का भी अहम रोल रहा, जिस तरह से कुछ कंपनी ने डाटा क्रांति शुरू की और सस्ते में डाटा उपलब्ध कराया, गांव गांव तक कवरेज पहुंचाया. जिसका फायदा ग्रामीणों को मिला है. उसी का नतीजा हैं कि अब हर हाथ में स्मार्ट फोन है और लोग दिलेरी से सोशल मीडिया के मंच का फायदा उठा रहे हैं. गावों में सोशल मीडिया क्रांति लाने में सस्ता डाटा और गांव गांव तक कवरेज का फायदा मिला है. आज स्मार्ट फोन और सस्ते इंटरनेट की बदौलत डिजिटल मीडिया भी शहरों से अधिक गावों में लोकप्रिय है.

ऐसे लोगों को भी फायदा

अपूर्व शुक्ला इंदौर में एक बड़े कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. जो लॉक डाउन होने के चलते अपने गांव से पढ़ाई कर रहे है. जिनके लिए कनेक्टिविटी में सोशल मीडिया उनके लिए बड़ा रोल अदा कर रहा है. सोशल मीडिया के जरिए उन्हें पहले से ही स्टडी मटेरियल मिल जाता है. सोशल मीडिया की सहायता से ही अपूर्व गांव में रहकर ही अपनी पढ़ाई को जारी रख पा रहे हैं.

मीडिया के बदलते आयामों को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि मौजूदा समय बदलाव का समय है. लोगों को और विभिन्न स्थानों को जोड़ने वाला सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है जिसे युवा, बच्चे और महिलाओं ने अटूट हिस्से के रूप में अपनाया है. इसकी उपयोगिता को देखकर कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया इस दौर में ग्रामीण अंचलों में एक बड़ी जरूरत और हकीकत बन चुका है.

शहडोल। इस कोरोना काल में सोशल मीडिया का एक अलग ही क्रेज देखने को मिला है, सोशल मीडिया ने बहुत ही बड़ा रोल अदा किया है. सोशल मीडिया अब गांवों में भी बड़ी तेजी के साथ अपने पैर पसार रहा है. गांव-गांव जितनी तेजी के साथ स्मार्ट फोन का चलन बढ़ा है, डाटा उतना ही सस्ता हुआ है. जहां सोशल मीडिया ने अपनी एक अलग पैठ बनाई है और अब ग्रामीण अंचल के लोग भी सोशल मीडिया के मंच का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं. सोशल मीडिया ने ग्रामीण अंचलों में इनफॉर्मेशन को स्ट्रांग किया हैं.

ग्रामीण कर रहे सोशल मीडिया का उपयोग

सोशल मीडिया आज लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है, एक दिन के लिए नेट बंद हो जाए तो सबकुछ अधूरा-अधूरा सा लगता है. इसके कुछ निगेटिव पहलू भी हैं, लेकिन इन्हें छोड़ दिया जाए तो आज ये मनोरंजन के साथ ही सूचनाओं के आदान-प्रदान का सबसे तेज और अहम माध्यम बन चुका है.

हुनरबाजों के लिए सोशल मीडिया बना मंच

सोशल मीडिया ऐसा माध्यम है, जिसे ग्रामीण अंचलों में लोग खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. कई ग्रामीणों के टैलेंट को दिखाने के लिए सोशल मीडिया एक अलग मंच बन गया है. जहां लोग अपने हुनर को बखूबी दिखा रहे है.

सोशल मीडिया के जरिए काव्य गोष्ठियां

मृगेंद श्रीवास्तव सिंहपुर गांव के रहने वाले हैं, जो पेशे से एक शिक्षक हैं, लेकिन उतने ही अच्छे वक्ता, कवि भी हैं. इन्हें कविताएं कहने और लिखने का बहुत शौक हैं और सोशल मीडिया ने उनके इस शौक को और ऊंचाइयां दी हैं.

मृगेंद्र श्रीवास्तव अब सोशल मीडिया के मंच का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं और उस मंच पर काव्य गोष्ठियां कर रहे हैं. सिंहपुर गांव में रहकर मृगेंद श्रीवास्तव दिल्ली, मुंबई, लखनऊ जैसे महानगरों के बड़े कवियों को जोड़कर सोशल मीडिया के मंच के माध्यम से काव्य गोष्ठियां कर रहे हैं. जिसे अब अच्छा प्रोत्साहन मिल रहा है और ग्रामीण कवि भी इससे जुड़ रहे है.

ऑनलाइन शिक्षा में भी बड़ा रोल

सोशल मीडिया का अब ऑनलाइन पढ़ाई में भी बड़ा रोल है. इस कोरोना काल में बच्चे ऑनलाइन सोशल मीडिया के माध्यम से ही पढ़ाई कर रहे हैं, जहां इस संकट काल में सोशल मीडिया बच्चों के पढ़ाई में एक बड़ा रोल निभा रही है.

खेती, किसानी, पशुपालन में भी बड़ा रोल

सोशल मीडिया का इस्तेमाल अब खेती-किसानी और पशुपालन जैसे कार्यों में भी हो रहा है. सोशल मीडिया के माध्यम से ग्रामीण अब सलाह ले रहे हैं, खेती में उन्हें मदद मिल रही है. इतना ही नहीं किसानों को सोशल मीडिया से तरह तरह के सुझाव मिलते रहते हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से अब किसान सीधे वैज्ञानिकों और अधिकारियों से जुड़ा होता है, जिनका उन्हें फायदा मिलता है. सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें सरकार की नई-नई योजनाओं की जानकारी मिल जाती है.

कनेक्टिविटी में बड़ा योगदान

युवा अरविंद शर्मा खुद भी गांव के रहने वाले हैं, जो एक बड़ी प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं, वो बताते हैं कि अब वो गांव में ही रहकर सोशल मीडिया के माध्यम से अपने बहुत सारे काम करते हैं. वो ग्रामीण अंचलों में जाते रहते हैं जहां वो देखते हैं कि अब छोटे से लेकर बड़े तक, आदिवासी वर्ग से लेकर हर वर्ग सोशल साइट में है. जिसका उन्हें अपने काम में फायदा मिलता है, साथ ही कनेक्टिविटी बनी रहती है.

डाटा क्रांति का मिला फायदा

गांवों में सोशल मीडिया क्रांति के लिए डाटा क्रांति का भी अहम रोल रहा, जिस तरह से कुछ कंपनी ने डाटा क्रांति शुरू की और सस्ते में डाटा उपलब्ध कराया, गांव गांव तक कवरेज पहुंचाया. जिसका फायदा ग्रामीणों को मिला है. उसी का नतीजा हैं कि अब हर हाथ में स्मार्ट फोन है और लोग दिलेरी से सोशल मीडिया के मंच का फायदा उठा रहे हैं. गावों में सोशल मीडिया क्रांति लाने में सस्ता डाटा और गांव गांव तक कवरेज का फायदा मिला है. आज स्मार्ट फोन और सस्ते इंटरनेट की बदौलत डिजिटल मीडिया भी शहरों से अधिक गावों में लोकप्रिय है.

ऐसे लोगों को भी फायदा

अपूर्व शुक्ला इंदौर में एक बड़े कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. जो लॉक डाउन होने के चलते अपने गांव से पढ़ाई कर रहे है. जिनके लिए कनेक्टिविटी में सोशल मीडिया उनके लिए बड़ा रोल अदा कर रहा है. सोशल मीडिया के जरिए उन्हें पहले से ही स्टडी मटेरियल मिल जाता है. सोशल मीडिया की सहायता से ही अपूर्व गांव में रहकर ही अपनी पढ़ाई को जारी रख पा रहे हैं.

मीडिया के बदलते आयामों को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि मौजूदा समय बदलाव का समय है. लोगों को और विभिन्न स्थानों को जोड़ने वाला सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है जिसे युवा, बच्चे और महिलाओं ने अटूट हिस्से के रूप में अपनाया है. इसकी उपयोगिता को देखकर कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया इस दौर में ग्रामीण अंचलों में एक बड़ी जरूरत और हकीकत बन चुका है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.