शहडोल/जबलपुर। मध्यप्रदेश में सरकारी अधिकारियों की लापरवाही चरम पर है. ((Shahdol 11 Thousand Quintals Of Paddy Missing ) जबलपुर ओपन कैम्प में रखा 1 करोड़ का अनाज सड़ गया तो वहीं शहडोल जिले में धान का बड़ा घोटाला सामने आया है. (jabalpur Rotten grain kept in open camp) शहडोल जिले में किसानों से खरीदी गई 11 हजार क्विंटल धान गायब हो गई है. इसकी अनुमानित कीमत लगभग 2 करोड़ से ज्यादा की बताई जा रही है. इस घोटाले के बाद अब इलाके में हड़कंप मचा है.
सुध लेना भूल गए अधिकारी: कुंडम के तिलसानी के ओपन कैप में अधिकारियों ने गेहूं और धान रखवाई थी लेकिन इसकी सुध लेना ही भूल गए. जिसके चलते खुले में पड़ा अनाज सड़ गया.इतना ही नहीं इसमें घुन और इल्लियां भी लग गई हैं. मामला ओपन कैप एमपी वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉरपोरेशन का है. बताया जा रहा है कि साल 2019 और 20 में सरकार ने किसानों से करीब 6000 क्विंटल धान और गेहूं की खरीदी की थी. तब भंडारण के लिए तिलसानी के ओपन कैप में अनाज को रखवाया गया था. लेकिन अधिकारियों ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया.
निरीक्षण के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई: इस अनाज की कीमत करीब 1 करोड़ बताई जा रही है. हैरानी की बात तो यह है कि ओपन कैप में अनाज के सड़ने की जानकारी आला अधिकारियों को भी है, जिले के प्रशासनिक मुखिया कलेक्टर तक ने इस ओपन कैप का निरीक्षण किया बावजूद इसके उन्होंने अनाज के सड़ने के मामले में अधिकारियों पर ना तो कोई कार्रवाई की और ना ही अनाज की सुरक्षा के लिए कोई कदम ठोस उठाया.
सरकारी खजाने को लगा चूना: पूरे मामले कोई भी अधिकारी कर्मचारी बोलने को तैयार नहीं है. जानकारों का कहना है कि साल 2019-20 में गेहूं और धान के उपार्जन के दौरान सरकार ने किसानों से ये अनाज खरीदा था. उस समय किसानों को इसका भुगतान भी कर दिया था लेकिन देखरेख के अभाव और अधिकारियों की लापरवाही से सरकारी खजाने को एक करोड़ का चूना लग गया है. लिहाजा अब देखना यह होगा इस पूरे मामले में जिले के कप्तान क्या कार्रवाई करते हैं.
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11 हजार क्विंटल धान कम: शहडोल जिले में बीते वर्ष समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदी की गई थी, जिस में खरीदी गई धान की मात्रा और गोदाम में जमा की गई धान की मात्रा में 11 हजार क्विंटल का अंतर पाया गया है, जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 2 करोड़ 33 लाख के आसपास की बताई जा रही है. एक साथ इतने बड़े तादाद में धान का गायब होना एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कारपोरेशन नान विभाग में हड़कंप मच गया है. 11 हजार क्विंटल धान कैसे गायब हुई इसे ऐसे समझा जा सकता है कि, बीते वर्ष 1940 रुपये प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य पर 14 लाख 6 हजार क्विंटल धान किसानों से ऑनलाइन समिति के माध्यम से खरीदी गई थी. जिसका परिवहन सानू ट्रांसपोर्ट के माध्यम से किया गया था.इसके बाद अब गोदाम में जो धान जमा कराई गई उसमें 11 हजार क्विंटल धान कम पाई गई है.