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रईस खान बने गरीब बच्चों के लिए मसीहा, 65 नेशनल, 1 इंटर नेशनल और कई आदिवासी बच्चों को दी फुटबाल की ट्रेनिंग - फुटबाल कोच रईस खान

शहडोल के फुटबाल कोच रईस खान गरीब आदिवासी बच्चों को फुटबाल सिखाकर  खेल में उनका भविष्य बनाने में मदद करते है. यें खुद मध्य प्रदेश की फुटबाल टीम के कप्तान रह चुके है, जिसके बाद बच्चों को फुटबाल की ट्रेनिंग दे रहे हैं.

कोच रईस खान गरीब आदिवासी बच्चों को सिखाते है फुटबाल
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Published : Sep 5, 2019, 9:54 AM IST

Updated : Sep 6, 2019, 9:19 AM IST

शहडोल। जिले के रईस खान गरीब आदिवासी बच्चों को फुटबाल सिखाकर खेल के प्रति प्रेरित करते है. रईस खान फुटबाल के सात नेशनल खेल चुके है, साथ ही मध्य प्रदेश की फुटबाल टीम के कप्तान भी रह चुके हैं.

कोच रईस खान गरीब आदिवासी बच्चों को सिखाते है फुटबाल


फुटबाल के खिलाड़ियों के बीच खान सर के नाम से फेमस कोच रईस अहमद खान जिले में फुटबाल को जिंदा रखे हुए हैं. रईस खान शासकीय स्कूल में पीटीआई की नौकरी करते है, जिसके बाद आदिवासी बच्चों को फुटबाल की ट्रेनिंग देते है. एक समय में स्टार स्ट्राइकर रहे खान अपने खेल से मिले ज्ञान को बच्चों में बाटकर उन्हें नेशनल के लिए तैयार करते है. रईस पिछले 20 सालों से फुटबाल की ट्रेनिंग दे रहे हैं.


इनके तैयार किये हुए खिलाड़ीयों में से 65 बच्चे नेशनल, एक खिलाड़ी इंटरनेशनल खेल चुका है, जिनमें 30-35 आदिवासी लड़के शामिल हैं और 15 बैगा और कोल समाज की लड़कियां नेशनल फुटबाल खेल चुकीं हैं. रईस खान आर्थिक रुप से कमजोर बच्चों की मदद कर उन्हें खेल के प्रति प्रोत्साहित करते हैं, जिसके चलते खिलाड़ियों के बीच कोच लोकप्रिय है.

शहडोल। जिले के रईस खान गरीब आदिवासी बच्चों को फुटबाल सिखाकर खेल के प्रति प्रेरित करते है. रईस खान फुटबाल के सात नेशनल खेल चुके है, साथ ही मध्य प्रदेश की फुटबाल टीम के कप्तान भी रह चुके हैं.

कोच रईस खान गरीब आदिवासी बच्चों को सिखाते है फुटबाल


फुटबाल के खिलाड़ियों के बीच खान सर के नाम से फेमस कोच रईस अहमद खान जिले में फुटबाल को जिंदा रखे हुए हैं. रईस खान शासकीय स्कूल में पीटीआई की नौकरी करते है, जिसके बाद आदिवासी बच्चों को फुटबाल की ट्रेनिंग देते है. एक समय में स्टार स्ट्राइकर रहे खान अपने खेल से मिले ज्ञान को बच्चों में बाटकर उन्हें नेशनल के लिए तैयार करते है. रईस पिछले 20 सालों से फुटबाल की ट्रेनिंग दे रहे हैं.


इनके तैयार किये हुए खिलाड़ीयों में से 65 बच्चे नेशनल, एक खिलाड़ी इंटरनेशनल खेल चुका है, जिनमें 30-35 आदिवासी लड़के शामिल हैं और 15 बैगा और कोल समाज की लड़कियां नेशनल फुटबाल खेल चुकीं हैं. रईस खान आर्थिक रुप से कमजोर बच्चों की मदद कर उन्हें खेल के प्रति प्रोत्साहित करते हैं, जिसके चलते खिलाड़ियों के बीच कोच लोकप्रिय है.

Intro:Note_ ये शिक्षक दिवस के लिए स्पेशल स्टोरी है, इसमें कोच रईस अहमद खान जो दाढ़ी में है वो हैं, और बाकी उनके कई स्टूडेंट्स के बाइट एक साथ दे दिया हूँ। इसके अलावा विसुअल भी अलग से दिया गया है।


शिक्षक दिवस पर विशेष- फुटबॉल खिलाड़ियों का सबसे बड़ा गुरु, खिलाड़ियों की हर तरह से मदद करने को रहते हैं तैयार

शहडोल- शहडोल जिला आदिवासी जिला के अंतर्गत आता है, और यहां फुटबॉल के खेल में एक से एक खिलाड़ी मिल जाएंगे तो उसकी सबसे बड़ी वजह है ये फुटबॉल कोच, जब खेलते थे तो कन्नू स्टार स्ट्राइकर के नाम से फेमस थे, जब कोच बने तो खान सर के नाम से फेमस हुए, इनका नाम है रईस अहमद खान, अगर कहा जाए कि शहडोल में फुटबॉल जिंदा है तो इसी कोच की वजह से , आज पूरे शहडोल जिले में फुटबॉल का क्रेज़ बढ़ रहा है तो इसी कोच की बदौलत क्योंकि इन्हीं कोच के तैयार किये हुए स्टूडेंट आज अलग अलग जगह लोगों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। ऐसे खेल के गुरु का नाम है रईस अहमद खान।


Body:कभी खुद स्टार फुटबॉल खिलाड़ी थे, आज स्टूडेंट्स के प्यारे खान सर

रईस अहमद खान कभी खुद फुटबॉल के स्टार खिलाड़ी थे, फुटबॉल में 7 नेशनल खेल चुके हैं, स्टार स्ट्राइकर थे, और एमपी टीम के कप्तान भी रह चुके हैं, और अब अपने उसी फुटबॉल ज्ञान को इस आदिवासी अंचल में बांट रहे हैं।
अपने शानदार कोचिंग और हर समय सहयोगी नेचर की वजह से आज खान सर के नाम से जाने जाते हैं।

इंटरनेशनल खिलाड़ी भी तैयार कर चुके हैं

रईस अहमद खान यूं ही खान सर नहीं बने हैं इनके तैयार किये हुए स्टूडेंट्स में आज करीब 65 बच्चे नेशनल खेल चुके हैं एक खिलाड़ी इंटरनेशनल खेल चुका है, इतना ही नहीं करीब 30 से 35 आदिवासी लड़कों को भी नेशनल तक पहुंचा चुके हैं, करीब 15 बैगा और कोल समाज की लड़कियों को नेशनल तक फुटबॉल में पहुंचा चुके हैं।

20 साल से दे रहे ट्रेनिंग

कहते हैं जिस खेल ने आपको कुछ दिया है और आगे आप उसी खेल को कुछ वापस करें तो अच्छा लगता है रईस अहमद खान करीब 20 साल से फुटबॉल की ट्रेनिंग दे रहे हैं, और खिलाड़ियों के बीच इनका बहुत सम्मान है। किसी भी खिलाड़ी को किसी भी तरह की जरूरत पड़ी वो तैयार रहते हैं अगर कोई ख़िलाड़ि पैसों से कमजोर है गरीब है तो वो आर्थिक मदद भी करने को तैयार रहते हैं, खेल के सामान से लेकर हर तरह की मदद में आगे रहते हैं, फुटबॉल को आगे बढाने के लिए गांव गांव से खिलड़ियों को ढूंढकर लाना और उन्हें हर मदद देकर तैयार करना इनकी आदत है। और इसीलिए आज ये रईस अहमद खान से खान सर बन चुके हैं।

खिलाड़ियों के बीच बहुत सम्मान

रईस अहमद खान की खिलड़ियों के बीच बहुत सम्मान है खेल के प्रति उनके त्याग समर्पण और हेल्पिंग नेचर की वजह से आज वो अपने स्टूडेंट्स के बीच काफी लोकप्रिय हैं उनके कई स्टूडेंट्स का तो ये तक कहना है कि आज खान सर की वजह से ही शहडोल में फुटबॉल ज़िंदा है।


Conclusion:पीटीआई की नौकरी, फिर फुटबॉल को समय

रईस अहमद खान जिला मुख्यालय में ही रघुराज स्कूल में पीटीआई की नौकरी करते हैं दिनभर बच्चों को अलग अलग खेल की बारीकी सिखाते हैं और फिर स्कूल के बाद फुटबॉल खिलाड़ियों को फ्री में ट्रेनिंग देते हैं और उन्हें आगे बढ़ने के लिए रास्ता बताते हैं।
Last Updated : Sep 6, 2019, 9:19 AM IST
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