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ETV भारत की खबर का असर, प्रशासन ने ली महात्मा गांधी के आर्दश गांव की सुध

सतना जिले के सुलखामा गांव में ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलने वाले ग्रामीणों का प्रशासन ने संज्ञान लिया है. कलेक्टर ने पूरे गांव का निरीक्षण कर ग्रामीणों को शासन की योजनाओं का लाभ दिलवाने का आश्वासन दिया है.

ईटीवी भारत की खबर का असर
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Published : Oct 4, 2019, 10:23 PM IST

Updated : Oct 6, 2019, 4:00 PM IST

सतना। एक बार फिर ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. जिले के सुलखामा गांव में लोग आज भी बापू के आदर्श पर चलते हैं और महात्मा गांधी द्वारा चलाए गये चरखे को चलाकर अपना जीवन यापन करते हैं. गांधी जयंती के मौके पर इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाया था. जिसके बाद सतना कलेक्टर सत्येंद्र सिंह ने सुलखामा गांव पहुंचकर ग्रामीणों से मुलाकात की और उन्हें मदद का भरोसा दिलाया. इस दौरान उन्होंने पूरे गांव का निरीक्षण भी किया. उन्होंने कहा कि इस गांव से चरखे के व्यापार को आगे बढ़ाया जाएगा.

ईटीवी भारत की खबर का असर

कलेक्टर ने बताया कि 11 अक्टूबर को सुलखमा गांव मे शिकायत निवारण शिविर का आयोजन किया जायेगा, ताकि लोगों की समस्याओं का पता चल सके और उनकी समस्या का निवारण हो सके. जिला मुख्यालय से महज 90 किलोमीटर दूर रामनगर ब्लाक के सुलखामा गांव के लोग आज भी बापू के आदर्शों पर चलते हैं. इस गांव में पाल समाज के सौ परिवार हैं. जिसकी आबादी लगभग 4 हजार की है. जिसमें आज भी 2 हजार लोग चरखा चलाकर अपनी जीविका चलाते हैं. इस गांव के हर घर से चरखे की आवाज सुनाई देती है.

देश की आजादी के बाद से आज तक इस गांव को शासन की किसी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है, आज भी लोग यहां चरखे द्वारा बनाए गए कपड़े और कंबल बनाकर उसे बेचते हैं और अपना जीवन यापन चलाते हैं. बापू की धरोहर चरखा जहां देश के संग्रहालय में देखने के विषय वस्तु बन चुका है, तो वहीं सतना जिले का सुलखामा गांव में बापू का चरखा पाल समाज की जीविकोपार्जन का साधन बना हुआ है.

सतना। एक बार फिर ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. जिले के सुलखामा गांव में लोग आज भी बापू के आदर्श पर चलते हैं और महात्मा गांधी द्वारा चलाए गये चरखे को चलाकर अपना जीवन यापन करते हैं. गांधी जयंती के मौके पर इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाया था. जिसके बाद सतना कलेक्टर सत्येंद्र सिंह ने सुलखामा गांव पहुंचकर ग्रामीणों से मुलाकात की और उन्हें मदद का भरोसा दिलाया. इस दौरान उन्होंने पूरे गांव का निरीक्षण भी किया. उन्होंने कहा कि इस गांव से चरखे के व्यापार को आगे बढ़ाया जाएगा.

ईटीवी भारत की खबर का असर

कलेक्टर ने बताया कि 11 अक्टूबर को सुलखमा गांव मे शिकायत निवारण शिविर का आयोजन किया जायेगा, ताकि लोगों की समस्याओं का पता चल सके और उनकी समस्या का निवारण हो सके. जिला मुख्यालय से महज 90 किलोमीटर दूर रामनगर ब्लाक के सुलखामा गांव के लोग आज भी बापू के आदर्शों पर चलते हैं. इस गांव में पाल समाज के सौ परिवार हैं. जिसकी आबादी लगभग 4 हजार की है. जिसमें आज भी 2 हजार लोग चरखा चलाकर अपनी जीविका चलाते हैं. इस गांव के हर घर से चरखे की आवाज सुनाई देती है.

देश की आजादी के बाद से आज तक इस गांव को शासन की किसी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है, आज भी लोग यहां चरखे द्वारा बनाए गए कपड़े और कंबल बनाकर उसे बेचते हैं और अपना जीवन यापन चलाते हैं. बापू की धरोहर चरखा जहां देश के संग्रहालय में देखने के विषय वस्तु बन चुका है, तो वहीं सतना जिले का सुलखामा गांव में बापू का चरखा पाल समाज की जीविकोपार्जन का साधन बना हुआ है.

Intro:"सतना ETV भारत की खबर का असर"

एंकर ---
सतना जिले का एक ऐसा गांव जहां आज भी महात्मा गांधी के आदर्श में चलने वाले लोग मौजूद हैं. महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे हैं चरखे को आज भी इस गांव के लोग चलाकर अपना जीवन यापन व्यतीत करते हैं. इस गांव मैं पाल समाज के सौ परिवार हैं जो आज भी बापू के आदर्श पर चलते हैं और चरखा चलाकर अपनी जीविका चलाते हैं. गांधी जयंती के उपलक्ष में इस खबर को सतना ईटीवी भारत द्वारा प्रमुखता से दिखाई गई थी. जिसके बाद सतना कलेक्टर डॉक्टर सत्येंद्र सिंह चरखे का गांव कहे जाने वाले सुलखामा पहुंचकर पूरे गांव का निरीक्षण किया और गांव के लोगों को कहा कि जल्द इस गांव को भी शासन की योजनाओं का लाभ मिलेगा और चरखे के व्यापार को आगे बढ़ाया जाएगा ।


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सतना जिला मुख्यालय से महज 90 किलोमीटर दूर रामनगर ब्लाक के सुलखामा गांव के लोग आज भी बापू के आदर्श पर चलते हैं. इस गांव में पाल समाज के सौ परिवार हैं. जिसकी आबादी लगभग 4 हजार की है. जिसमें आज भी 2 हजार लोग चरखा चलाकर अपनी जीविका चलाते हैं. इस गांव के हर घर से चरखे की आवाज सुनाई देती है. देश की आजादी के बाद से आज तक इस गांव को शासन की किसी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है आज भी लोग यहां चरखी द्वारा बनाए गए कपड़े और कंबल बनाकर उसे बेचते हैं और अपना जीवन यापन चलाते हैं. बापू की धरोहर चरखा जहां देश के संग्रहालय में देखने के विषय वस्तु बन चुका है तो वहीं सतना जिले का सुलखामा गांव मैं बापू का चरखा पाल समाज की जीविकोपार्जन का साधन बना हुआ है. इस खबर को सतना ईटीवी भारत द्वारा 2 अक्टूबर को प्रमुखता से दिखाई गई थी और मामले को जिला कलेक्टर के संज्ञान में लाया गया था जिसके बाद जिला कलेक्टर डॉ सत्येंद्र सिंह आज सतना जिले के रामनगर ब्लॉक के सुलखामा गांव पहुंचकर निरीक्षण किया. और गांव के लोगों को कहा कि जल्द बहुरेंगे सुलखमा गाँव के दिन.11 अक्टूबर को होगा सुलखमा गाँव मे शिकायत निवारण शिविर का आयोजन.इस दौरान एसडीएम, सीईओ, तहसीलदार सहित समस्त विभाग के अधिकारी कर्मचारी रहे मौजूद ।Conclusion:
Last Updated : Oct 6, 2019, 4:00 PM IST
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