सतना। एक बार फिर ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. जिले के सुलखामा गांव में लोग आज भी बापू के आदर्श पर चलते हैं और महात्मा गांधी द्वारा चलाए गये चरखे को चलाकर अपना जीवन यापन करते हैं. गांधी जयंती के मौके पर इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाया था. जिसके बाद सतना कलेक्टर सत्येंद्र सिंह ने सुलखामा गांव पहुंचकर ग्रामीणों से मुलाकात की और उन्हें मदद का भरोसा दिलाया. इस दौरान उन्होंने पूरे गांव का निरीक्षण भी किया. उन्होंने कहा कि इस गांव से चरखे के व्यापार को आगे बढ़ाया जाएगा.
कलेक्टर ने बताया कि 11 अक्टूबर को सुलखमा गांव मे शिकायत निवारण शिविर का आयोजन किया जायेगा, ताकि लोगों की समस्याओं का पता चल सके और उनकी समस्या का निवारण हो सके. जिला मुख्यालय से महज 90 किलोमीटर दूर रामनगर ब्लाक के सुलखामा गांव के लोग आज भी बापू के आदर्शों पर चलते हैं. इस गांव में पाल समाज के सौ परिवार हैं. जिसकी आबादी लगभग 4 हजार की है. जिसमें आज भी 2 हजार लोग चरखा चलाकर अपनी जीविका चलाते हैं. इस गांव के हर घर से चरखे की आवाज सुनाई देती है.
देश की आजादी के बाद से आज तक इस गांव को शासन की किसी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है, आज भी लोग यहां चरखे द्वारा बनाए गए कपड़े और कंबल बनाकर उसे बेचते हैं और अपना जीवन यापन चलाते हैं. बापू की धरोहर चरखा जहां देश के संग्रहालय में देखने के विषय वस्तु बन चुका है, तो वहीं सतना जिले का सुलखामा गांव में बापू का चरखा पाल समाज की जीविकोपार्जन का साधन बना हुआ है.