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सागरः स्वसहायता समूह की महिलाओं ने बनाए मिट्टी और गोबर के दीये

आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की परिकल्पना को सागर जिले में स्वसहायता समूहों की महिलाएं साकार कर रहीं हैं. दिवाली त्योहार पर इन महिलाओं ने दिवाली पूजन किट तैयार की है. जिसे गोबर मिट्टी और पानी से तैयार किया गया है. महिलाओं द्वारा बनाई गई दिवाली स्पेशल सामग्री में छोटे बड़े दीये,श्री यंत्र, स्वास्तिक चिन्ह, पूजा की थाली, गणपति प्रतिमा, शुभ लाभ, दीपमालाएं शामिल हैं.

Mud and cow dung lamps
मिट्टी और गोबर के दीये
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Published : Nov 14, 2020, 4:45 PM IST

सागर। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की परिकल्पना को सागर जिले में स्वसहायता समूहों की महिलाएं साकार कर रहीं हैं. दिवाली के त्योहार पर इन महिलाओं ने दिवाली पूजन किट तैयार की है. जिसे गोबर मिट्टी और पानी से तैयार किया गया है. महिलाओं द्वारा बनाई गई दिवाली स्पेशल सामग्री में छोटे बड़े दीए, श्री यंत्र, स्वास्तिक चिन्ह, पूजा की थाली, गणपति प्रतिमा, शुभ लाभ, दीपमालाएं शामिल हैं.

मिट्टी और गोबर के दीये

कोरोना काल में समूह की इन्ही महिलाओं ने पीपीई किट, मास्क, सेनिटाइजर सहित अन्य सामग्रियां तैयार कर लाभ कमाया था. जो अब गोबर से दिवाली पूजन सामग्री तैयार कर सीधे विदेशी पूजन सामग्री को कड़ी टक्कर दे रहीं हैं. ये सामग्री पर्यावरण के अनुकूल हैं.

ग्रामीण आजीविका समूह की इन महिलाओं द्वारा बनाई जाने वाली इस सामग्री की बिक्री के लिए एक बेहतर बाजार मिल सके. इसके लिए जिला प्रशासन भी प्रयास करने में लगा है. इस सामग्री को जहां आजीविका की स्टॉल पर बेचा जा रहा है. वहीं मृगनयनी एम्पोरियम में भी यह बिक्री के लिए उपलब्ध है. साथ ही इस सामग्री की ऑनलाइन बिक्री के प्रयास किए जा रहे हैं.

सागर। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की परिकल्पना को सागर जिले में स्वसहायता समूहों की महिलाएं साकार कर रहीं हैं. दिवाली के त्योहार पर इन महिलाओं ने दिवाली पूजन किट तैयार की है. जिसे गोबर मिट्टी और पानी से तैयार किया गया है. महिलाओं द्वारा बनाई गई दिवाली स्पेशल सामग्री में छोटे बड़े दीए, श्री यंत्र, स्वास्तिक चिन्ह, पूजा की थाली, गणपति प्रतिमा, शुभ लाभ, दीपमालाएं शामिल हैं.

मिट्टी और गोबर के दीये

कोरोना काल में समूह की इन्ही महिलाओं ने पीपीई किट, मास्क, सेनिटाइजर सहित अन्य सामग्रियां तैयार कर लाभ कमाया था. जो अब गोबर से दिवाली पूजन सामग्री तैयार कर सीधे विदेशी पूजन सामग्री को कड़ी टक्कर दे रहीं हैं. ये सामग्री पर्यावरण के अनुकूल हैं.

ग्रामीण आजीविका समूह की इन महिलाओं द्वारा बनाई जाने वाली इस सामग्री की बिक्री के लिए एक बेहतर बाजार मिल सके. इसके लिए जिला प्रशासन भी प्रयास करने में लगा है. इस सामग्री को जहां आजीविका की स्टॉल पर बेचा जा रहा है. वहीं मृगनयनी एम्पोरियम में भी यह बिक्री के लिए उपलब्ध है. साथ ही इस सामग्री की ऑनलाइन बिक्री के प्रयास किए जा रहे हैं.

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