सागर। देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल कर आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करने के मोदी सरकार का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट जून 2023 में खत्म होने जा रहा है, लेकिन नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के गृह जिले सागर शहर में ही स्मार्ट सिटी मिशन के काम अधूरे पड़े हैं. गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. स्मार्ट सिटी मिशन द्वारा जून 2023 तक सभी काम पूरे करने के निर्देशों के बाद गुणवत्ता का ध्यान रखे बिना तेजी से काम निपटाने की कोशिश की जा रही है. इन परिस्थितियों को लेकर स्थानीय भाजपा विधायक भी नाराज हैं. उनका कहना है कि टेंडरिंग प्रोसेस के नियमों के चलते ये स्थिति बनी है. कई ऐसे ठेकेदारों को जानबूझकर काम देना पड़ा, जिनके बारे में हमें पहले से मालूम था कि वह अच्छा काम नहीं करते हैं. वहीं दूसरी तरफ प्रोजेक्ट को एक साल बढ़ाए जाने की मांग को लेकर नगरीय प्रशासन मंत्री ने साफ तौर पर इंकार कर दिया है कि स्मार्ट सिटी मिशन अब आगे नहीं बढ़ेगा.
तय समय पर नहीं हो रहे काम: सागर शहर को मोदी सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल किए जाने पर शहर को उम्मीद बंधी थी कि बुंदेलखंड का इकलौता संभागीय मुख्यालय महानगर की तर्ज पर विकास करेगा. बीजेपी सरकार आने पर सागर के खुरई से विधायक भूपेंद्र सिंह को नगरीय प्रशासन की जिम्मेदारी मिली, तो माना गया कि अब सागर शहर बड़े शहर की तरह नजर आएगा, लेकिन हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी मिशन जून में समाप्त किए जाने का ऐलान कर दिया गया है. सागर शहर में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चल रहे ज्यादातर काम अभी अधूरे है. जो पूरे हो गए हैं. उनकी गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे हैं. हाल ही में थोड़ी सी बारिश में स्मार्ट रोड का हिस्सा बहने की घटना भी सामने आई थी. इसी तरह पुराने शहर और नए शहर को जोड़ने के लिए लाखा बंजारा झील पर बनाए जा रहे एलिवेटेड कॉरिडोर को दिसंबर में पूरा हो जाना था,लेकिन अभी भी अधूरा पड़ा है. वहीं दूसरी तरफ संभागीय खेल परिसर में एस्ट्रो टर्फ और सिंथेटिक ट्रैक का काम अधूरा पड़ा है. शहर की सड़कों के यह हाल है कि कोई भी सड़क अपने तय समय में पूरी नहीं हो पाई है. पूरे शहर में धूल गुबार और गड्ढे नजर आ रहे हैं.
स्थानीय विधायक ने भी जताई नाराजगी: स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर सागर के बीजेपी विधायक शैलेंद्र जैन का कहना है कि स्मार्ट सिटी के जिन कामकाज पर सवाल उठ रहे हैं और जो काम तय समय में नहीं हो पाए हैं. उनकी बड़ी वजह टेंडरिंग प्रोसेस है. अगर आप देखेंगे, तो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत इनक्यूबेशन सेंटर और वर्किंग वूमेन हॉस्टल का काम तय समय में गुणवत्तापूर्ण हुआ है, क्योंकि हमें अच्छे ठेकेदार मिल गए थे, लेकिन ज्यादातर काम समय पर पूरे नहीं हो पा रहे हैं और गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे हैं. इसकी वजह टेंडरिंग प्रोसेस है, क्योंकि शासन के नियमों के तहत हमारे हाथ बंधे हैं कि जो कांट्रेक्टर सबसे कम रेट पर टेंडर लेगा, उसे ही टेंडर मिलेगा. इस स्थिति में हम कुछ नहीं कर सकते हैं और ठेकेदार कम लागत पर ठेका लेकर गुणवत्ता से समझौता कर रहे हैं. मेरी तो सरकार से मांग है कि सिर्फ सागर ही नहीं, पूरे मध्यप्रदेश पर और पूरे देश में टेंडरिंग प्रक्रिया पर एक बार गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए.
एक साल एक्सटेंशन कि नहीं मानी गई मांग: स्मार्ट सिटी के अधूरे प्रोजेक्ट की डेडलाइन जून 2023 तय होने के बाद ज्यादातर जनप्रतिनिधी चाह रहे हैं कि प्रोजेक्ट की अवधि एक साल बढ़ा दी जाए, लेकिन नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने साफ तौर पर कह दिया है कि स्मार्ट सिटी मिशन अब बंद हो चुका है. जून 2023 तक सभी काम पूरे कर लिए जाएंगे. अब स्मार्ट सिटी मिशन कोई भी काम नहीं करेगा, हालांकि नगरीय प्रशासन मंत्री ने हाल ही में सागर में विकास कार्यों के लिए 90 करोड़ की राशि भी स्वीकृत किए हैं.