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Religious Conversion Controversy: सागर में बाल संरक्षण आयोग के खिलाफ सड़कों पर ईसाई समुदाय, जताया विरोध - बाल संरक्षण आयोग

सागर में शुक्रवार को ईसाई समुदाय के लोगों ने पैदल मार्च निकालकर विरोध प्रदर्शन किया है. उन्होंने सीएम शिवराज के नाम जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा है. इस दौरान उन्होंने खुद पर लग रहे धर्मांतरण के आरोप को झूठा बताते हुए सफाई दी है. साथ ही बाल संरक्षण आयोग के खिलाफ भी आरोप लगाया है.

sagar christian community foot march
सागर में सड़कों पर उतरा ईसाई समुदाय
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Published : May 12, 2023, 4:32 PM IST

सागर ईसाई समुदाय का विरोध

सागर। इन दिनों सागर में धर्मांतरण का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है. खासकर सागर के श्यामपुरा स्थिति सेंट फ्रांसिस सेवाधाम में पिछले दिनों हुए विवाद के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. दरअसल, कुछ दिनों पहले पहुंचे राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के साथ सेवाधाम के निरीक्षण के दौरान विवाद की स्थिति पैदा हो गई थी, जिसके बाद मामला गंभीर हो गया है. बाल संरक्षण आयोग ने जहां सेवाधाम में धर्मांतरण और अवैध गतिविधियों के आरोप लगाए हैं, वहीं सेवाधाम ने इन आरोपों को नकारते हुए बाल संरक्षण आयोग पर जबरन प्रताड़ित किए जाने के आरोप लगाया है. शुक्रवार को इसी सिलसिले में सागर में ईसाई धर्म के लोगों ने पैदल मार्च निकालकर विरोध प्रदर्शन किया और बाल संरक्षण आयोग पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया.

ये है मामला: दरअसल, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने 8 मई को सागर के श्यामपुरा स्थित सेंट फ्रांसिस सेवाधाम आश्रम का दौरा किया था. इसके बाद उन्होंने सेवाधाम पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने सेवाधाम पर धार्मिक परीक्षा संबंधित पेपर मिलने, एक ही जगह बच्चों को कई सालों तक रखने और धर्म विशेष की प्रार्थना करवाने का आरोप लगाया था. उन्होंने संस्था द्वारा धर्मांतरण के आरोप लगाते हुए कहा था कि "आयोग को एक लड़की की जानकारी मिली है जो आश्रम में दाखिल होते समय हिन्दू थी, लेकिन बालिग होने पर ईसाई हो गई है." उन्होंने सेवाधाम छात्रावास में लड़के और लड़कियां एक साथ रखने और एक पंजीयन पर 2 संस्थान चलाने के अलावा 1 कमरे से शराब की बोतलें मिलने के आरोप लगाए थे. हांलाकि, इन आरोपों के बाद सेवाधाम ने अपनी सफाई पेश की थी और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के आरोपों को निराधार बताया था.

sagar christian community foot march
सागर में सड़कों पर उतरा ईसाई समुदाय

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पैदल मार्च निकालकर जताया विरोध: इसी मामले को लेकर ईसाई समुदाय के लोगों ने पैदल मार्च निकालकर विरोध जताया है. जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है. ईसाई समुदाय के मध्यप्रांत के प्रमुख पॅाल चुंगत ने कहा कि "हम लोग अवैधानिक रूप से सेवाधाम में नहीं हैं, क्योंकि ये 150 साल पुरानी संस्था है. हमारे पंजीयन का सरकार द्वारा नवीनीकरण नहीं किया जा रहा है साथ ही हमें प्रताड़ित भी किया जा रहा है. विशेषकर बाल संरक्षण अधिकार आयोग के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है. राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह हमें परेशान करते हैं. हमारी संस्था का पंजीयन सरकार को देना है, हम लोग आवेदन कर चुके हैं." धर्मांतरण के आरोपों पर उन्होंने कहा कि "हम लोग वहां पर कोई धर्मपरिवर्तन नहीं कर रहे हैं. श्यामपुरा में हमारा संस्थान सदियों पुराना है. धर्मांतरण के आरोपों का आज तक कोई सबूत नहीं है." विधानसभा चुनाव को लेकर धर्मांतरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि "हमें राजनीति से कोई मतलब नहीं है और हम लोग राजनीति करने नहीं आए हैं."

सागर ईसाई समुदाय का विरोध

सागर। इन दिनों सागर में धर्मांतरण का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है. खासकर सागर के श्यामपुरा स्थिति सेंट फ्रांसिस सेवाधाम में पिछले दिनों हुए विवाद के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. दरअसल, कुछ दिनों पहले पहुंचे राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के साथ सेवाधाम के निरीक्षण के दौरान विवाद की स्थिति पैदा हो गई थी, जिसके बाद मामला गंभीर हो गया है. बाल संरक्षण आयोग ने जहां सेवाधाम में धर्मांतरण और अवैध गतिविधियों के आरोप लगाए हैं, वहीं सेवाधाम ने इन आरोपों को नकारते हुए बाल संरक्षण आयोग पर जबरन प्रताड़ित किए जाने के आरोप लगाया है. शुक्रवार को इसी सिलसिले में सागर में ईसाई धर्म के लोगों ने पैदल मार्च निकालकर विरोध प्रदर्शन किया और बाल संरक्षण आयोग पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया.

ये है मामला: दरअसल, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने 8 मई को सागर के श्यामपुरा स्थित सेंट फ्रांसिस सेवाधाम आश्रम का दौरा किया था. इसके बाद उन्होंने सेवाधाम पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने सेवाधाम पर धार्मिक परीक्षा संबंधित पेपर मिलने, एक ही जगह बच्चों को कई सालों तक रखने और धर्म विशेष की प्रार्थना करवाने का आरोप लगाया था. उन्होंने संस्था द्वारा धर्मांतरण के आरोप लगाते हुए कहा था कि "आयोग को एक लड़की की जानकारी मिली है जो आश्रम में दाखिल होते समय हिन्दू थी, लेकिन बालिग होने पर ईसाई हो गई है." उन्होंने सेवाधाम छात्रावास में लड़के और लड़कियां एक साथ रखने और एक पंजीयन पर 2 संस्थान चलाने के अलावा 1 कमरे से शराब की बोतलें मिलने के आरोप लगाए थे. हांलाकि, इन आरोपों के बाद सेवाधाम ने अपनी सफाई पेश की थी और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के आरोपों को निराधार बताया था.

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पैदल मार्च निकालकर जताया विरोध: इसी मामले को लेकर ईसाई समुदाय के लोगों ने पैदल मार्च निकालकर विरोध जताया है. जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है. ईसाई समुदाय के मध्यप्रांत के प्रमुख पॅाल चुंगत ने कहा कि "हम लोग अवैधानिक रूप से सेवाधाम में नहीं हैं, क्योंकि ये 150 साल पुरानी संस्था है. हमारे पंजीयन का सरकार द्वारा नवीनीकरण नहीं किया जा रहा है साथ ही हमें प्रताड़ित भी किया जा रहा है. विशेषकर बाल संरक्षण अधिकार आयोग के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है. राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह हमें परेशान करते हैं. हमारी संस्था का पंजीयन सरकार को देना है, हम लोग आवेदन कर चुके हैं." धर्मांतरण के आरोपों पर उन्होंने कहा कि "हम लोग वहां पर कोई धर्मपरिवर्तन नहीं कर रहे हैं. श्यामपुरा में हमारा संस्थान सदियों पुराना है. धर्मांतरण के आरोपों का आज तक कोई सबूत नहीं है." विधानसभा चुनाव को लेकर धर्मांतरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि "हमें राजनीति से कोई मतलब नहीं है और हम लोग राजनीति करने नहीं आए हैं."

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