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फसलें चरने को ग्रामीण मानते हैं शुभ, हर साल गायों को कराते हैं गो'भोज'

बुंदेलखंड का इतिहास भी बहुत गौरवशाली है. सूबे के लोग आज भी अपनी परंपराओं को विरासत की तरह संजोए हुए हैं और आने वाली पीढ़ियों को भी वसीयत की तरह सौंपते रहे हैं.

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Published : Dec 30, 2019, 2:17 PM IST

cow consider grazing crops auspicious
फसलें चरने को ग्रामीण मानते हैं शुभ

सागर। जिस बुंदेलखंड का नाम सुनते ही जेहन में गरीबी-भुखमरी और सूखे की तस्वीरें उभरने लगती हैं, उसी बुंदेलखंड का इतिहास भी बहुत गौरवशाली है. सूबे के लोग आज भी अपनी परंपराओं को विरासत की तरह संजोए हुए हैं और आने वाली पीढ़ियों को भी वसीयत की तरह सौंपते रहे हैं.

यही वजह है कि यहां इंसानों के साथ-साथ जानवरों का भी बखूबी ख्याल रखा जाता है. इसके लिए हर साल गो'भोज' आयोजित किया जाता है, जिसमें गायों को पूरे दिन के लिए खड़ी फसलों में छोड़ दिया जाता है, इसके बाद गायें अपनी पसंद और स्वाद के हिसाब से खेतों में खड़ी फसलें पूरे दिन चरती हैं.

राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि सागर के सुर्खी विधानसभा क्षेत्र के गजोली गांव में ये परंपरा पिछले 400 सालों से चली आ रही है.सागर के गजोली गांव में मनाई जा रही ये परंपरा शायद ही देश के किसी और गांव में मनाई जाती हो. मौजूदा दौर में मवेशी किसी के खेत में घुस भर जाये तो लोग आफत खड़ी कर देते हैं, लेकिन गजोली गांव में लोग खुशी से गायों को खड़ी फसलों के बीच खुला छोड़ देते हैं, जोकि सरहनीय है.

मंत्री का मानना है कि गाय हमारी माता है. मध्यप्रदेश सरकार ने गोसेवा के लिए करोड़ों रुपये का बजट जारी किया है और ज्यादा आबादी वाले गांवों में गोशाला भी खोल रही है. सरकार की कोशिश है कि हर पंचायत में एक एक गोशाला हो.

सुरखी विधानसभा क्षेत्र में कुल 40 गोशालाएं खोली जाएगी. एक-एक गोशाला के लिए 25 लाख रूपए खर्च किया जाएगा. जिसमें गायों के लिए खाने-पीने-चारे और भूसे की व्यवस्था रहेगी.

मवेशी के प्रति ग्रामीणों की ऐसी श्रद्वा
मंत्री गोविंद सिंह ने बताया कि जिस प्रकार से ग्रामीण गो के प्रति श्रद्वा रखते है. उससे दूसरे लोग भी सीख सकते है.

हर साल पौष आमावस्या के दिन श्रद्वा के साथ गो'भोज' का आयोजन किया जाता है, जिसमें गोपूजन के साथ ही गायों को खड़ी फसलों में चरने के लिये खुला छोड़ दिया जाता है, इस दिन गायों के चरने पर कोई रोक-टोक नहीं होती है और फसलों के इसी नुकसान को ग्रामीण गोमाता का आशीष मानते हैं. ईटीवी भारत मध्यप्रदेश

सागर। जिस बुंदेलखंड का नाम सुनते ही जेहन में गरीबी-भुखमरी और सूखे की तस्वीरें उभरने लगती हैं, उसी बुंदेलखंड का इतिहास भी बहुत गौरवशाली है. सूबे के लोग आज भी अपनी परंपराओं को विरासत की तरह संजोए हुए हैं और आने वाली पीढ़ियों को भी वसीयत की तरह सौंपते रहे हैं.

यही वजह है कि यहां इंसानों के साथ-साथ जानवरों का भी बखूबी ख्याल रखा जाता है. इसके लिए हर साल गो'भोज' आयोजित किया जाता है, जिसमें गायों को पूरे दिन के लिए खड़ी फसलों में छोड़ दिया जाता है, इसके बाद गायें अपनी पसंद और स्वाद के हिसाब से खेतों में खड़ी फसलें पूरे दिन चरती हैं.

राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि सागर के सुर्खी विधानसभा क्षेत्र के गजोली गांव में ये परंपरा पिछले 400 सालों से चली आ रही है.सागर के गजोली गांव में मनाई जा रही ये परंपरा शायद ही देश के किसी और गांव में मनाई जाती हो. मौजूदा दौर में मवेशी किसी के खेत में घुस भर जाये तो लोग आफत खड़ी कर देते हैं, लेकिन गजोली गांव में लोग खुशी से गायों को खड़ी फसलों के बीच खुला छोड़ देते हैं, जोकि सरहनीय है.

मंत्री का मानना है कि गाय हमारी माता है. मध्यप्रदेश सरकार ने गोसेवा के लिए करोड़ों रुपये का बजट जारी किया है और ज्यादा आबादी वाले गांवों में गोशाला भी खोल रही है. सरकार की कोशिश है कि हर पंचायत में एक एक गोशाला हो.

सुरखी विधानसभा क्षेत्र में कुल 40 गोशालाएं खोली जाएगी. एक-एक गोशाला के लिए 25 लाख रूपए खर्च किया जाएगा. जिसमें गायों के लिए खाने-पीने-चारे और भूसे की व्यवस्था रहेगी.

मवेशी के प्रति ग्रामीणों की ऐसी श्रद्वा
मंत्री गोविंद सिंह ने बताया कि जिस प्रकार से ग्रामीण गो के प्रति श्रद्वा रखते है. उससे दूसरे लोग भी सीख सकते है.

हर साल पौष आमावस्या के दिन श्रद्वा के साथ गो'भोज' का आयोजन किया जाता है, जिसमें गोपूजन के साथ ही गायों को खड़ी फसलों में चरने के लिये खुला छोड़ दिया जाता है, इस दिन गायों के चरने पर कोई रोक-टोक नहीं होती है और फसलों के इसी नुकसान को ग्रामीण गोमाता का आशीष मानते हैं. ईटीवी भारत मध्यप्रदेश

Intro:सागर। जितना अनूठा बुंदेलखंड अंचल है उतनी ही अनूठी यहां की परंपराएं हैं इन परम्पराओं में जानवरों तक का ख्याल रखा गया है
सारे देश में गौ रक्षा गौ संरक्षण सम्बर्धन को लेकर तमाम वादे दावे किए जाते हो लेकिन बुंदेलखंड अंचल में गौ बंश सैकड़ो सालो से श्रद्धा का केंद्र रहा है गौ सेवा की यहां अनेक परंपराएं है इनमें से एक परंपरा है गौ भोज --
आपने फसलो में जानवरों के घुसने को लेकर ग्रामीण क्षेत्रो में वाद विवाद के किस्से अक्सर सुने होंगे लेकिन सागर जिले के एक गांव में एक दिन के लिए सारे जानवरो को इकठ्ठा कर हरे भरे खेतो में छोड़ दिया जाता है और इसी परंपरा का नाम है गौ भोज -
लगभग 400 से अधिक वर्षो से जारी
इस परंपरा के बारे में ग्रामीणों की मान्यता है कि इससे उनकी फसलो को लाभ होता है ।


Body:आप खुद देखिये हरे भरे खेतो में भागते दौड़ते ओर चरते हुए जानवरो के झुंड को
यह नजारा है सागर जिले के राहतगढ़ तहसील के रजौली गांव का ओर यह जानवर गौ भोज में हिस्सा ले रहे है इस परंपरा के बारे ग्रामीण लोग बताते है कि यह 400 से ज्यादा वर्ष पुरानी परंपरा है ग्रामीणों का मानना है कि इस से उनकी फसलो को फायदा होता है आयोजित इस गौ भोज कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक व प्रदेश सरकार के मंत्री गोविंद राजपूत ने भी भाग लिया --Conclusion:यहां प्रतिवर्ष पौष आमवस्या के दिन श्रृद्वा के साथ गौमाता भोज का आयोजन किया जाता है। जिसमें गाय पूजन के साथ गायों को खड़ी फसलों में चरने व विचरण करने के लिये खुला छोड़ दिया जाता है। पूरे गावं की गाय इस दिन कहीं पर भी फसलांे में जाकर स्वच्छद रूप से विचरण करती है व चरती है। इस दिन कोई रोक-टोक नहीं होती है। सभी ग्रामीणजन गौमाता भोज को पूरी श्रृद्वा के साथ मनाते है। ऐसी मान्यता है कि गौमाता के आषीष से फसलों की अच्छी पैदावार होती है।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मंत्री श्री राजपूत ने ग्राम रजौलीवासियां की गौभोज आयोजन के लिये सराहना की। उन्होंने कहा कि गौ के प्रति श्रृद्वा कैसे रखी जाती है दूसरे अन्य लोग रजौलीवासियों से सीख सकते हैैैं।  
बाइट-गोविंद राजपूत मंत्री
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