सागर। जिस बुंदेलखंड का नाम सुनते ही जेहन में गरीबी-भुखमरी और सूखे की तस्वीरें उभरने लगती हैं, उसी बुंदेलखंड का इतिहास भी बहुत गौरवशाली है. सूबे के लोग आज भी अपनी परंपराओं को विरासत की तरह संजोए हुए हैं और आने वाली पीढ़ियों को भी वसीयत की तरह सौंपते रहे हैं.
यही वजह है कि यहां इंसानों के साथ-साथ जानवरों का भी बखूबी ख्याल रखा जाता है. इसके लिए हर साल गो'भोज' आयोजित किया जाता है, जिसमें गायों को पूरे दिन के लिए खड़ी फसलों में छोड़ दिया जाता है, इसके बाद गायें अपनी पसंद और स्वाद के हिसाब से खेतों में खड़ी फसलें पूरे दिन चरती हैं.
राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि सागर के सुर्खी विधानसभा क्षेत्र के गजोली गांव में ये परंपरा पिछले 400 सालों से चली आ रही है.सागर के गजोली गांव में मनाई जा रही ये परंपरा शायद ही देश के किसी और गांव में मनाई जाती हो. मौजूदा दौर में मवेशी किसी के खेत में घुस भर जाये तो लोग आफत खड़ी कर देते हैं, लेकिन गजोली गांव में लोग खुशी से गायों को खड़ी फसलों के बीच खुला छोड़ देते हैं, जोकि सरहनीय है.
मंत्री का मानना है कि गाय हमारी माता है. मध्यप्रदेश सरकार ने गोसेवा के लिए करोड़ों रुपये का बजट जारी किया है और ज्यादा आबादी वाले गांवों में गोशाला भी खोल रही है. सरकार की कोशिश है कि हर पंचायत में एक एक गोशाला हो.
सुरखी विधानसभा क्षेत्र में कुल 40 गोशालाएं खोली जाएगी. एक-एक गोशाला के लिए 25 लाख रूपए खर्च किया जाएगा. जिसमें गायों के लिए खाने-पीने-चारे और भूसे की व्यवस्था रहेगी.
मवेशी के प्रति ग्रामीणों की ऐसी श्रद्वा
मंत्री गोविंद सिंह ने बताया कि जिस प्रकार से ग्रामीण गो के प्रति श्रद्वा रखते है. उससे दूसरे लोग भी सीख सकते है.
हर साल पौष आमावस्या के दिन श्रद्वा के साथ गो'भोज' का आयोजन किया जाता है, जिसमें गोपूजन के साथ ही गायों को खड़ी फसलों में चरने के लिये खुला छोड़ दिया जाता है, इस दिन गायों के चरने पर कोई रोक-टोक नहीं होती है और फसलों के इसी नुकसान को ग्रामीण गोमाता का आशीष मानते हैं. ईटीवी भारत मध्यप्रदेश