रतलाम। मानसून के मौसम का आधा समय बीत गया है और पश्चिम मध्य प्रदेश के अलावा आसपास के क्षेत्रों में झमाझम बारिश का दौर भी जारी है, लेकिन बारिश का आधा मौसम बीत जाने के बाद भी रतलाम जिले में पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल केवल 50 प्रतिशत ही बारिश दर्ज हो सकी है. वहीं कम बारिश की वजह से जिले के नदी नाले और तालाब भी सूखे पड़े हुए हैं. ऐसे में सिंचाई पर आधारित रबी सीजन की फसल को लेकर किसानों में चिंता बढ़ने लगी है.
शेष 25 दिनों में अच्छी बारिश की आस
रतलाम जिले में हालात ये है कि अगस्त के महीने में उफान पर रहने वाले नदी नालों में बारिश का पानी तक नहीं बह रहा है. अब बारिश के मौसम के शेष 25 दिन बचे हैं, जिसमें किसानों को अच्छी बारिश की आस है, जिससे जिले के जल स्त्रोतों में आगामी फसल की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सके.
पिछले साल की अपेक्षा हुई आधी बारिश
दरअसल इस साल वर्षाकाल की शुरुआत में अच्छी बारिश के बाद पश्चिमी मध्य प्रदेश में बारिश की लगातार कमी बनी हुई है. बारिश के मौसम का आधा समय बीत जाने के बाद भी रतलाम जिले में 20 इंच बारिश दर्ज की गई है.
वहीं पिछले साल इतने समय में 40 इंच बारिश हो चुकी थी, जो पिछले साल की तुलना में आधी वर्षा ही है. कम बारिश होने की वजह से रतलाम जिले के नदी नाले और तालाब सूखे पड़े हुए हैं. वहीं अगस्त के महीने में रतलाम जिले की लबालब रहने वाली छोटी बड़ी नदी-नाले भी जल विहीन हो गए हैं.
जल स्त्रोतों में जलभराव नहीं
जिले के जल स्त्रोतों में जलभराव नहीं होने से रबी सीजन की खेती के लिए आवश्यक सिंचाई का पानी उपलब्ध नहीं हो सकेगा. जिससे क्षेत्र के किसानों को रबी की फसलों की चिंता सताने लगी है. किसानों का कहना है कि इस साल हो रही कम बारिश की वजह से सोयाबीन की फसल तो जैसे तैसे पक जाएगी, लेकिन सिंचाई पर आधारित रबी सीजन की फसल के लिए किसानों को पानी ही उपलब्ध नहीं हो सकेगा.
फसलों का रकबा घटने के आसार
कृषि विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि इस साल पिछले वर्ष के मुकाबले आधी ही बारिश हो सकी है. जिससे रबी सीजन की फसलों का रकबा घटने के आसार बन रहे हैं. हालांकि मौसम विभाग के पूर्वानुमान को माने तो वर्षा काल के अंतिम दिनों में क्षेत्र में अच्छी वर्षा की संभावना बनी हुई है, जिससे क्षेत्र के नदी नालों के लबालब होने की उम्मीद अभी बाकी है.
किसानों को सता रही फसलों की चिंता
रतलाम जिले में इस बार पिछले साल की अपेक्षा कम बारिश हुई है. वहीं जिले में खंड वर्षा का दौर भी देखने को मिल रहा है. जिससे जिले से बहने वाली प्रमुख नदियां चंबल, शिप्रा, माही और मलेनी जैसी बड़ी नदियां भी अब तक उफान पर नहीं आई है.
बहरहाल बारिश का आधा सीजन बीत जाने के बाद भी क्षेत्र के खाली पड़े नदी, नालों में बारिश का पानी तक बहकर नहीं निकला है. जिससे जिले में जल संकट की स्थिति बन रही है.
वहीं किसानों को भी आगामी रबी सीजन की फसलों की चिंता सता रही है. हालांकि वर्षाकाल के अंतिम 25 दिनों में झमाझम बारिश की उम्मीद हर कोई लगा रहा है, जिससे जिले के जल स्त्रोत लबालब हो सके.