रतलाम। जिले के आलोट में खेड़ापति हनुमान मंदिर सेवा समिति पालनगरा-आलोट के जनसहयोग से मंदिर जीर्णोद्धार और विकास कार्यों के साथ-साथ सामाजिक सेवा के क्षेत्र मे भी सक्रिय रहकर अपनी एक अलग पहचान स्थापित कर रही है. वहीं इस स्थल पर धार्मिक आयोजन जैसे रामायण पाठ, रात्रि जागरण, सुंदरकांड आदि होते हैं साथ ही हर साल हनुमानजी का जन्मोत्सव भी बड़ी धूमधाम से और विशाल भंडारे के साथ मनाया जाता है.
रतलाम से करीब दो किलोमीटर दूर नागेश्वर-उन्हेल रोड पर कुछ अंदर की ओर खेड़ापति हनुमान मंदिर स्थित है. जहां प्राचीन हनुमानजी की प्रतिमा प्रतिष्ठित है, यहां साल 1990 में खेड़ापति हनुमान सेवा समिति गठित की गई और इसके बाद से समिति लगातार मंदिर जीर्णोद्धार कार्य, विकास कार्य और नेत्र शिविरों के आयोजनों के माध्यम से क्षेत्र में ख्याति अर्जित कर रही है.
समिति के प्रयासों से मंदिर और परिसर की लगभग दो बीघा जमीन स्व. उमरावसिंह परिहार पालनगरा से एवं अन्य डेढ बीघा जमीन स्व.चेनसिंह पिता कुशालसिंह चंद्रावत आलोट के दान पत्र से प्राप्त की थी और डेढ बीघा जमीन खरीदी गई है. इतना ही नहीं सांसद, विधायक की निधि एवं जनसहयोग से यहां धर्मशाला, भोजनशाला, सुलभ कॉम्पलेक्स, रोड पर सार्वजनिक प्याऊ व भव्य प्रवेश व्दार (व्दार मे स्व.दीपचंद जैन का भी सहयोग रहा) के निर्माण कार्य किये गये हैं.
इसके साथ ही प्रवचन हाल, बड़ी भोजनशाला और बच्चों के खेलकूद के लिए गार्डन, झूले, चकरी आदि के निर्माण कार्य प्रस्तावित हैं. समिति के संरक्षक हरपाल सिंह सोलंकी, हरिशंकर जोशी, शांतिलाल कामरिया हैं, जबकि अध्यक्ष रमेश सेठिया, सचिव विजय अग्रवाल, कोषाध्यक्ष गोपाल द्विवेदी और सदस्य प्रतिपाल सिंह सोलंकी, नरेन्द्र निगम, नरेन्द्र सोनी, राधेश्याम कोदिया, कमल सोनी, प्रकाश जांगलवा, रणवीर सिंह सोलंकी, तेजपाल सिंह सोलंकी, सत्यनारायण राठौड, यशवंतराव, रमेश पोरवाल आदि हैं. मंदिर के पुजारी पं. नरहरि दुबे हैं.
समिति ने बताया कि मंदिर जीर्णोद्धार का कार्य पिछले 8 साल से लगातार जारी है, वहीं आने वाले दो सालों में इसके पूरे होने की संभावना जताई जा रही है. वहीं समिति ने मंदिर परिसर को हराभरा बनाने के लिए आम, नीम, पीपल, इमली, जायफल, सीताफल, आंवला, कदम, हरश्रंगार, शमी, रुद्राक्ष, गुलर, अर्जुन, कचनार, पाम, केवड़ा, पारसपीपल, गिलोय, केर, कनेर आदि के पौधे लगाए थे, जो अब पेढ़ का आकार ले चुके हैं.