रतलाम। पर्यटन के लिए मशहूर रतलाम जिले में एशिया का प्रसिद्ध सैलाना टूरिस्ट पेलैस सैलानियों के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार है. बारिश की शुरुआत के साथ ही सैलाना के प्रसिद्ध केदारेश्वर झरने बहने लगे हैं. यहां की सुंदर पहाड़ियों ने हरियाली की चादर ओढ़ ली है. रिमझिम बरसात के बीच मानो प्रकृति ने भी मनोरम श्रंगार कर लिया है. जिससे यहां के दृश्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पंचमढ़ी जैसे दिखाई देते हैं, इसीलिए इसे मालवा का पंचमढ़ी भी कहा जाता है.
पर्यटकों की पहली पसंद सैलाना
सैलाना का कैक्टस गार्डन और इसके अंदर बना गुलाब गार्डन पर्यटकों को आकर्षित करता है. यहां करीब 100 से अधिक प्रकार के गुलाब व इतने ही प्रकार के कैक्टस खूबसूरती के साथ लगे हैं. इसके अलावा राज परंपरा का सैलाना महल भी देखने लायक है. कीर्ति स्तंभ, खरमोर अभ्यारण्य, बड़े केदारेश्वर और छोटे केदारेश्वर के झरने. सावन के महीने में यहां केदारेश्वर मंदिरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. यहां शिवलिंग पर प्राकृतिक रुप से गिरता झरना आकर्षण का बड़ा केंद्र है.
ये है सैलाना की खासियत
सैलाना के अडवानिया और सरवन रोड पर स्थित छोटे और बड़े केदारेश्वर मंदिरों की स्थापना प्राकृतिक रूप से गिरने वाले बरसाती झरनों के नीचे की गई है. जो सालों पुराने होकर बड़े और छोटे केदारेश्वर के नाम से जाने जाते हैं. जहां शिवलिंग का बारिश के पानी से अभिषेक होता है. प्राकृतिक रूप से अति सुंदर इन दोनों झरनों को देखने के पर्यटक और श्रद्धालु खिंचे चले आते हैं.
कैक्टस गार्डन
एशिया के सबसे बड़े कैक्टस गार्डन को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक यहां पहुंचते हैं. सैलाना राजमहल परिसर में स्थित इस कैक्टस गार्डन में एक हजार से अधिक प्रजाति के कैक्टस मौजूद हैं. जिसमें बड़े आकार के कैक्टस से लेकर अलग-अलग आकृतियों वाले पौधे भी मौजूद हैं. खास बात ये है कि चलाना के इस प्रसिद्ध कैक्टस गार्डन में 80 और 90 के दशक में हिंदी फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है.
कीर्ति स्तंभ
सैलाना की कीर्ति और गौरव बढ़ाने के लिए तत्कालीन महाराजा जसवंत सिंह ने 1895 से इसका निर्माण कराया था, जो 1919 में बनकर तैयार हुआ था, कीर्ति स्तंभ की ऊंचाई 177 फीट है. जिसके ऊपरी तल पर स्थित झरोखों से सैलाना की प्राकृतिक छटा निहारने का लुत्फ लिया जा सकता है. इसे मालवा का कुतुब मीनार भी कहा जाता है.
खरमोर अभयारण्य
दुर्लभ प्रजाति के पक्षी की आमद के लिए खरमोर की गिनती चुनिंदा स्थानों में होती है, जिसमें से सैलाना का खरमोर अभ्यारण भी प्रवासी पक्षी को खूब रास आता है. बारिश के मौसम में यहां उगने वाली घास में घोंसला बनाकर प्रजनन करने वाले खरमोर पक्षी को देखने यहां बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं.
बालम ककड़ी
यहां के पहाड़ी क्षेत्र में विशेष तौर पर बोई जाने वाली बालम ककड़ी के स्वाद का आनंद भी बारिश के मौसम में यहां पहुंचने वाले पर्यटक उठाते हैं. सैलाना नगर के इस फाइव के पर्यटन के अलावा भी यहां का प्राचीन घंटाघर, गोधूलि तालाब, विक्टोरिया तालाब और शिकारबाड़ी भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. बहरहाल कोरोना संक्रमण के बावजूद बारिश शुरू होते ही सैलाना में पर्यटकों की आवाजाही शुरू हो चुकी है. वहीं पर्यटकों की अगवानी करने के लिए सैलाना नगर निगम और यहां के नागरिक भी तैयार हैं.