रतलाम। एक लड़की अपने जीवन में अपनी शादी के लिए हजारों ख्वाब सजाती है. शादी के नाम से ही चेहरे पर एक अलग मुस्कान आती है. लेकिन आज भी शादी के लिए लड़कियों की उम्र एक बड़ा सवाल है. 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने लड़कियों के स्वास्थ्य और कुपोषण को देखते हुए शादी की उम्र बढ़ाने पर विचार करने की बात कही है.
इससे पहले केंद्रीय मंत्री-वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी बजट सत्र के दौरान इस बारे में बात कर चुकी हैं. 2 जून को महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से एक समिति बनाई गई. समिति की सिफारिशों पर गौर करते हुए सरकार मानसून सत्र में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल कर सकती है. सरकार के इस विचार पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की अलग-अलग राय है.
फैसले के समर्थन में राय
देश में सरकार लगातार महिलाओं को समानता के अधिकार देने के लिए समय-समय पर महत्वपूर्ण निर्णय लेती रही है. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार आगामी मानसून सत्र में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल किए जाने के प्रस्ताव पर चर्चा करवा सकती है. ETV भारत ने इस महत्वपूर्ण विषय पर रतलाम जिले के शहरी इलाकों में युवतियों और महिलाओं की राय जानी है. इस दौरान लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को रतलाम की युवतियों और अभिभावकों ने समर्थन दिया है. युवतियों और अभिभावकों का मानना है कि शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाए जाने से महिलाओं को स्वास्थ, बेहतर शिक्षा और आत्म निर्भर बनने में खासी मदद मिलेगी.
जिले में सेक्स रेशो
- रतलाम जिले में 1000 पुरुषों पर 975 महिला हैं.
- जिले में मातृ मृत्यु दर 1 लाख महिलाओं पर 176 प्रति है.
- जबकि जिले में शिशु मृत्यु दर 1000 बच्चों पर 92 प्रति है. (शिशु उम्र 0 से 5 साल)
जया जेटली की अध्यक्षता वाली 10 सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल की जाना चाहिए. जिस पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार आगामी मानसून सत्र में इस विषय पर चर्चा कर सकती है. जिसके बाद लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल किए जाने का निर्णय भी लिया जा सकता है.
वैवाहिक जीवन के लिए हो सकेंगी तैयार
ETV भारत की टीम ने जब शहर में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को युवतियों और अभिभावकों से बात की तो उन्होंने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया. अभिभावकों का कहना है कि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने से उन्हें शिक्षा और कैरियर पर फोकस करने के लिये समय मिल सकेगा. इसके अलावा वे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से भी वैवाहिक जीवन के लिए तैयार हो सकेंगी.
समाजसेवी और एक बेटी के अभिभावक अर्चना अग्रवाल भी मानती हैं कि सरकार यदि लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करती हैं तो यह स्वागत योग्य कदम होगा, क्योंकि कम उम्र में शादी और संतान को जन्म देने की वजह से महिलाओं को जीवन भर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं अपने कैरियर को भी शादी के बाद विराम देना पड़ जाता है. शादी की न्यूनतम उम्र यदि 21 साल की जाती है तो लड़कियां अपनी शिक्षा ,करियर और शादी के निर्णय लेने के लिए परिपक्व होंगी और आत्मनिर्भर भी बन सकेंगी.
सॉफ्टवेयर इंजीनियर आस्था अग्रवाल कहती हैं कि लड़कियों को कम से कम उनका ग्रेजुएशन पूरा करने तक का समय तो मिलना ही चाहिए. ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में आज भी लड़कियों की उम्र 18 साल होते ही उनकी शादी कर दी जाती है, जिसके बाद एक-दो साल में वे संतान को जन्म दे देती हैं, जिसकी वजह महिलाओं और शिशु दोनों के ही स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ता है.
शादी की न्यूनतम उम्र सीमा 21 साल किए जाने से लड़कियां शादी के लिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार हो पाएंगी. साथ ही एक बेहतर जीवन जी सकेंगी.
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छात्रा मुस्कान व्यास भी मानती हैं कि शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल किए जाने से उन्हें अपने करियर को सही दिशा देने में मदद मिलेगी और लड़कियां बेहतर शिक्षा हासिल कर आत्मनिर्भर बन पाएंगी.
सरकार के शादी के उम्र के विषय पर शहरी क्षेत्र की युवतियां और महिलाओं ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. साथ ही इस प्रस्ताव को स्वागत योग्य बताया है. लेकिन लड़कियों की शादी की वर्तमान न्यूनतम उम्र उम्र 18 साल होने पर जब बाल विवाह के कई मामले सामने आ रहे हैं, तो न्यूनतम उम्र 21 साल किए जाने पर बाल विवाह के मामलों में भी इजाफा होने की आशंका बनी हुई है.