रतलाम। नवाबों की नगरी के नाम से जावरा अपनी एक अलग ही पहचान बनाए हुए है. शहर में आज तक सभी त्योहारों को सादगी से मनाया जाता है. इसी तरह अब तक परंपरागत रूप से रमजान माह के बाद आने वाली मीठी ईद के लिए हर घर बनने वाली सेवइयों की मिठास से हर घर महकने को तैयार है.
लॉकडाउन में भी सेवइयां बनाने का जुगाड़
जिले में ईद की तैयारियां शुरू हो गई है. लॉकडाउन के दौरान भी सेवइयां बनाने का काम जारी है. मुस्लिम समाज की महिलाएं बाजारों में बेचने के लिए सेवइयां बना रही हैं. अब तक जहां कांटों की जालियों के मदद से सेवइयां बनाई जाती थी, अब उसकी समस्या होने से सेवाइयों को सुखाने के लिए दो पलंगों को जोड़कर बनाई जा रही है. पुराने पलंगों को आपस में जोड़कर उनके बीच बारीक धागे बांध कर काम किया जा रहा है. ये सेवाइयां भी बिल्कुल उसी की तरह बन रही है, जैसे पहले बनती थी.
अधिकतर मुस्लिम महिलाएं ईद पर उपयोग में आने वाली सेवइयां बनाने का काम ईद से 1 महीने पहले ही शुरू कर देती हैं, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा बना सकें और बाजार में बेचकर दो वक्त का पैसा कमा सकें. हालांकि इन दिनों कई मुस्लिम महिलाएं अपने घरों पर ही रहकर सेवइयां बनाने का कार्य कर रही हैं.
ऐसी बनती है सेवइयां
खाने में सेवइयां बड़ी ही लजीज और मीठी लगती हैं. वहा मौजूद महिला ने बताया कि रमजान माह शुरू होते ही इसको बनाने का काम शुरू कर देते हैं, जो सूजी और मैदे से बनती है. इसके लिए सूजी को गलाकर मैदे की मदद से बनाया जाता है. इसमें ही काफी समय लग जाता है. इसलिए इसको बनाने के लिए एक महीने से तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं. 6 महिलाएं मिलकर इस कार्य को करती हैं. कार्य के दौरान रोजा भी रखती हैं. इसको ज्यादा मात्रा में बनाकर बाजार में भी बेचा जाता है.